Tuesday, April 29, 2008

चलो सुहाना भरम तो टूटा, जाना की हुश्न क्या है

कुछ दिन पहले रेडियोवाणी में गाईड से संबंधित कुछ कड़ियां पढाई जा रही थी और उसी के गीत अंतर्मन के किसी हिस्से में कहीं गूंज रहे थे जो कभी शब्दों का भी रूप लेकर होंठों से भी निकल रहे थे.. यूं ही ना जाने कैसे वे शब्द मेरे मित्र विकास के मोबाईल में भी जगह पा गई.. मैंने सोचा क्यों ना वो बेतकल्लुफी से निकले...

Sunday, April 27, 2008

अकेलापन और यायावरी मनुष्य का सच्चा साथी

आज फिर मैं अपनी यायावरी पर निकल गया.. मेरा सोचना है की यायावरी का असली मजा अकेले ही यायावरी करने में आता है.. अगर आपको भरोसा ना हो तो कभी आप भी करके देखिये, मेरा दावा है की आप भी मुझसे सहमत होंगे.. हर बात पर आप बारीक नजर डालेंगे जितना आप उस समय कभी नहीं डाल सकते हैं जब कोई आपके साथ हो.. हर चीज को एक...

Saturday, April 26, 2008

पहले लड़की बनाया फिर उसे प्रेग्नेंट कर दिया

इस दुनिया में क्या-क्या नहीं होता है.. पहले तो अच्छे खासे 26 साल के खांटी जवान को लड़की बन कर काम करना परा और फिर जब उसका काम Client को पसंद आया और उसने उस लड़की से बात करनी चाही तो उसे Maternity Leave पर छः महीने के लिए भेज दिया.. ये कहानी किसी और की नहीं मेरी ही है.. :(मैं आज-कल जिस प्रोजेक्ट पर काम...

Friday, April 25, 2008

काश हम इश्क ही ना करते किसी से

काश हम इश्क ही ना करते किसी से..ना किसी दराज में रखते सूखे गुलाब छुपा कर..ना बटुवे में कोई तस्वीर ही होती..होती एक ऐसी दुनिया जहां,जीने की तस्वीर ही अलग होती..काश हम इश्क ही ना करते किसी से..कहीं अचानक टकरा जाना सड़क परऔर...

Thursday, April 24, 2008

संजीव की भाषा में मैं सनकी हूँ

ये अक्सर मुझे और हमारे सभी दोस्तों को कहता था, "प्रशान्त सनकी है.. जब तक इसे सनक सवार नहीं है तब तक ये सभी के लिए बहुत अच्छा है नहीं तो एक बार सनक सवार हो जाए तो किसी को कुछ भी नहीं समझता.. सबसे जरूरी बात ये की कोई भी ये...

Wednesday, April 23, 2008

Oh!! Its Lalu's Bihar??

"Where is your native place?" उसने मुझसे पूछा..मैंने कहा, "Patna, Bihar..""Oh!! Its Lalloo's Bihar??" उसने कहा.."Nope.. Who told you that its Lalu's Bihar??" मैंने उससे कहा, "Its My Bihar.."वो अपनी आंखें गोल-गोल करके आश्चर्य से मेरी ओर देखने लगा, जैसे मेरा कहा इस दुनिया का नौवां अजूबा हो..मैं भी इतनी...

Tuesday, April 22, 2008

Marriage Anniversary

आज मेरे पापा-मम्मी का वैवाहिक वर्षगांठ है.. इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं कहना है आज.. मुझे उनकी बहुते याद आ रही है..I am missing You Papa-Mummy......

Sunday, April 20, 2008

यूनुस जी की सादगी - अंतिम भाग

मंगलवार को जब सुबह १० बजे यूनुस जी का फोन आया था तब उन्होने मेरी आवाज सुन कर सबसे पहले कहा की आपकी आवाज तो बहुत ही अच्छी है, आप गलत जगह पहुंच गए हैं.. एक आवाज के धनी व्यक्ति के मुंह से ये सुनना एक अलग ही बात है.. उनसे ये सुन कर मेरी हालत लगभग वैसी ही हो गई थी जैसे की किसी स्कूली बच्चे की हो जाए अगर...

यूनुस जी की सादगी - पार्ट 1

यूनुस जी से पहले मैं अपने जीवन मे अभी तक किसी भी ऐसे व्यक्ति से नही मिला था जिसने पहली ही मुलाक़ात मे मुझे प्रभावित किया हो, मगर कहीं ना कहीं से तो शुरूवात होनी ही थी और ये काम यूनुस जी ने किया और वो भी ऐसे मे जबकि मेरा स्वभाव...

Saturday, April 19, 2008

Do you believe in Ghost??

कल... नहीं-नहीं आज सुबह जब आफिस से लौटा तो सुबह के ३:३० हो रहे थे.. मैंने इससे पहले कभी इतना समय कार्यालय में नहीं बिताया.. पिछला पूरा सप्ताह कुछ ऐसे बिता जैसे अपनी कोई निजी जिन्दगी ही ना हो.. उधार पर दे रखा हो अपनी कम्पनी वालों को.. पूरे १९ घंटे लगातार कंप्यूटर के मानीटर पर नजर गड़ा कर देखते जाना.....

संघर्ष के दिनों का सच्चा साथी

मेरी यह रचना कल रेडियोनामा में छाप चुकी है और यह संभव है की आपमें से अधिकतर ये पोस्ट पहले ही पढ़ चुके होंगे.. मगर ये फिर से अपने चिट्ठे पर डालने का मकसद यह है की मेरे कई मित्र और सबसे खासतौर पर मेरे पापाजी जो बस मेरे चिट्ठे को जानते हैं और किसी और चिट्ठे पर नहीं भटकते हैं, वो भी इसे पढ़ सकें..यूँ तो रेडियो...

Friday, April 18, 2008

Big B's New Blog Era, अमिताभ बच्चन जी का नया ब्लौग

आमिर खान के बाद अपने बच्चन साहब भी ब्लौग की दुनिया में उतर ही आये हैं.. ये ब्लौग उन्होने अपने करीबी मित्र अनिल अंबानी के साईट ब्लौगअड्डा पर बनाया है.. अगर आप उनके ब्लौग पर नजर डालेंगे तो पायेंगे की ब्लौग पर उनकी आने वाली...

Thursday, April 17, 2008

पायलट एयर होस्टेज को हैंडल कर रहे थे

एक बार ब्राजील में हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया, बस एक बन्दर बचा जो जहाज के अन्दर बैठा था..एक बार ब्राजील में हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हो गया, बस एक बन्दर बचा जो जहाज के अन्दर बैठा था.. संयोगवश बन्दर अपेक्षाकृत बुद्धिमान...

Wednesday, April 16, 2008

फायरफाक्स समस्या का समाधान

मेरे चिट्ठे पर फायरफाक्स से आने वालों पाठकों को हुई असुविधा के लिये मैं क्षमाप्रार्थी हूं और दिनेशराय जी को धन्यवाद देता हूं की उन्होंने मुझे इस समस्या का समाधान बताया.. अभी मैंने इंटरनेट एक्सप्लोरर, फायरफाक्स और ओपेरा में अपने चिट्ठे को टेस्ट किया है और ये बिलकुल सही काम कर रहा है.. मैंने दिनेश जी...

Sunday, April 13, 2008

दिनेशराय जी, ज्ञान जी और पंगेबाज जी कि अर्थपूर्ण टिप्पणी

दलित, आदिवासी और पिछड़ों को उठाने की किसी भी सार्थक कोशिश से हम सहमत हैं। लेकिन वह सार्थक तो हो। आरक्षण अब सार्थक नहीं रह गया है। इस से इन वर्गों को ऊपर उठाने का काम बिलकुल नहीं हो रहा है। केवल वे ही लोग जो आजादी के बाद के कुछ सालों में आरक्षण पा कर अपनी अपनी जातियों में ऊपर उठ आए थे अब भी लाभ उठा रहे...

चित्र कथा - A Pictorial story

मैंने कल एक नया चिट्ठा शुरू किया है जिसमें मैं हिंदी और अंग्रेजी में लगातार लिखता रहूंगा.. मतलब ये कि जो कुछ भी मैं हिंदी में लिखूंगा उसे अंग्रेजी में भी अनुवाद करके लिखूंगा..आप भी एक नजर इस पर डालें और बतायें कि आपको कैसा लगा? लिंक है ->http://pictorial-story.blogspot.c...

Friday, April 11, 2008

आरक्षण से निकलते मेधावी छात्र

अगर ऐसे-ऐसे विद्या की अर्थी निकालने वाले विद्यार्थियों को आरक्षण का संरक्षण मिलता रहे तो भारत की अर्थी निकलते भी देर ना लगे..मैं BCA करने के बाद किसी भी आम बिहारी लड़के की तरह दिल्ली जाकर विभिन्न सरकारी नौकरी कि तैयारी करने...

Thursday, April 10, 2008

मैं क्षत्रिय हूं, तुम क्या हो?

आरक्षण अभी फिर से सर उठा कर घूम रहा है, और उधर जातिवाद भी गरमा रहा है.. इसी बीच में जातिवाद से मेरा जब पहली बार पाला परा था उसे मैं आपके पास लेकर आया हूं..मैं तब 15 साल का था और नया-नया दसवीं पास करके आगे कि पढाई करने के...

Wednesday, April 09, 2008

भागते मन पर लगाम कैसे लगाऊं

आज मन बहुत इधर-उधर भाग रहा है.. क्या लिखूं, किसके बारे में लिखूं, क्या-क्या लिखूं.. ना लिखूं तो भी काम ना चले.. आखिर अपने मन का गुबार निकालने का भी तो कोई माध्यम होना चाहिये.. क्या उस बस ड्राईवर के बारे में लिखूं जिसे मैं रोज आते जाते देखता हूं.. रोज मैं लगभग एक नियत समय पर ही आफिस के लिये निकलता हूं...

Tuesday, April 08, 2008

बिहारियों पर सुधांशु रंजन की एक रिपोर्ट

महाराष्ट्र की घटनाओं से बिहार के लोगों को गहरी तकलीफ पहुंची है। कुछ अरसा पहले बिहार विधानमंडल के साझा सम्मेलन में कुछ विधायकों ने 'मराठी राज्यपाल वापस जाओ' के नारे लगाए। बिहार के लोगों की पीड़ा को समझा जा सकता है, लेकिन यह कार्रवाई बिहार की परंपरा और संस्कृति के अनुरूप नहीं थी। बिहार की अपनी खामियां...

Monday, April 07, 2008

Udan Tashtari जी का पत्र मेरे नाम

मेरे ब्लौगवाणी वाले पोस्ट पर उड़न तस्तरी जी ने एक टिप्पणी दी जिसने मुझे वह पोस्ट हटाने के लिये प्रेरित किया और ये भी ख्याल आया कि आगे से पुनः इस तरह का काम नहीं करूंगा.. समीर जी को मैं धन्यवाद देना चाहूंगा जो मुझे विवादास्पद और सस्ती लोकप्रियता के मृगतृष्णा के चक्कर में परने से पहले ही वापस ले आये..समीर...

Sunday, April 06, 2008

रेल यात्रा वृतांत(छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 5)

अंतिम दिन, जिस दिन मैं वापस आ रहा था, भैया कि तबियत खराब हो गई थी.. थोड़ा बुखार सा आ रहा था उन्हें.. सो मुझे विदा करने के लिये पापाजी ही आये थे.. मैं वापसी के समय अपनी यात्रा ट्रेन से पूरी करने का सोचा था.. मेरी द्वितीय श्रेणी...

मेरी भाभी, प्यारी भाभी (छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 4)

इस बार घर गया तो अपने घर में पहली बार किसी नौकर को देखा.. (सरकारी नौकर छोड़कर).. टिकेश्वर नाम है उसका मगर कुछ लोग उसे टिके तो कुछ लोग उसे टिकू पूकारते हैं.. 14-15 साल का लड़का है.. उसके शोषण की बात तो छोड़ ही दीजीये(जैसा कि अक्सर आम घरों में होता है), वो तो मुझसे भी ज्यादा मजे में है.. घर में ज्यादा...

Saturday, April 05, 2008

खुश्बू का घर आना(छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 3)

11 मार्च को मैं खुश्बू को अपने घर खाने पर बुलाने कि तैयारी में था और इसके लिये मैंने पहले ही खुश्बू की मम्मी से आज्ञा ले रखी थी.. खुश्बू, स्नेहा कि छोटी बहन का नाम है.. अगले दिन सुबह-सुबह मैंने खुश्बू को फोन किया और कहा...

Friday, April 04, 2008

सोचा भी ना था

सोचा था, तुम्हारे दर्द में मैं और मेरे दर्द में तुम जागो सारी रात..मैं तो आज भी जाग रहा हूं,सोचकर कि तुम्हें कोई तकलीफ़ तो नहीं?क्या तुम भी जागती हो?सोचा था कि तुम्हारी खुशियों में तुमसे ज्यादा मैं खुश होउंगा..इसी भ्रम में...

Thursday, April 03, 2008

मुझे अपने गांव से कोई प्यार नहीं(छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 2)

मुझे अपने गांव से कोई प्यार नहीं है.. मैं अपने गांव भी कभी जाना नहीं चाहता हूं.. क्यों जाउं? मैं कभी वहां रहा नहीं सो मुझे उससे लगाव का कोई कारण भी नहीं है.. मेरे लिये तो मेरा गांव, शहर, कस्बा सभी कुछ पटना ही है.. कई लोगों...

Wednesday, April 02, 2008

छुट्टियों का एक और दिन---पार्ट 1

9 मार्च की सुबह जब मैं ट्रेन की खिड़की का पर्दा हटा कर देखा तो आरा दिखने लगा था.. मुझे ऐसा लगने लगा की जैसे पटना की खुश्बू मेरे सांसों में आने लगी है.. वैसे मैं ये जानता हूं की कि ये सब बस कहने की बातें हैं, मगर क्या कहूं...

Tuesday, April 01, 2008

अप्रैल फूल और किस्सा-ए-ब्लौगवाणी

आप बस ब्लौगवाणी का अभी रात 11:30 बजे का स्टैट देखें.. आप भी कहेंगे की ब्लौगवाणी का स्टैट अप्रैल फूल के साथ ही चल रहा है.. :)आप क्या कहते है...