Thursday, February 28, 2008

क्या मैं बदल रहा हूं?

मुझे ऐसा लगता है की मुझमें बदलाव आ गया है.. और ये बदलाव अच्छा तो नहीं है.. मुझे कुछ पता नहीं, पर कुछ लोगों ने मुझे अभी हाल के दिनों में मुझे ऐसा कुछ कहा है जिससे मैं ये सोचने पर मजबूर हो गया हूं कि क्या मैं सच में बदल गया हूं?कल जब मैं काफी पीने के लिये काफी मशीन की तरफ बढ रहा था तो मेरे कार्यालय काम...

Tuesday, February 26, 2008

बच्चों की कम्यूनिटी ब्लौग, चोखेरबाली

अगर आप किसी बच्चे से कहेंगे की, "अभी तुम बच्चे हो.."तो आपको यकीनन यही जवाब मिलेगा, "नहीं मैं बच्चा नहीं हूं.."यही अगर किसी बड़े को कहियेगा तो वो शालीनता से मुस्कुरा भर देगा..उसे किसी अच्छे काम करने को कहियेगा, "ये काम करो तुम्हारे लिये अच्छा रहेगा.."तो उसका जवाब यही होगा, "नहीं मैं ये काम नहीं करूंगा.."...

Monday, February 25, 2008

पकवान का नाम है लंग कैंसर

"कहां हो?""किचेन में..""क्या कुछ पका रहे हो?""अभी तो बस जलाया हूं, देखो पकने में कितना समय लगता है?""...????""इसके पकने की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है.."कुछ समझ नहीं आ रहा है सोचते हुये, "क्या जलाये हो?""सिगरेट..""और...

कमी सी क्यों है

जाने क्यों चलते-चलते राह रुकी सी क्यों लगती है,हर राह तुम्हारी गली सी क्यों लगती है?तुम्हारे दिये उस सूखे गुलाब की बची खुश्बू,मेरे हिस्से की बची हुई प्रेम की क्यों लगती है?मुझे तुम याद नहीं आती हो ऐसा मैं सोचता हूं,पर पलकों...

Thursday, February 21, 2008

एक डरा हुआ चेहरा, जिसे देखकर लोग मुस्कुरा देते हैं

ये बिना चित्र की कथा हैकल मैंने एक चेहरा देखा.. बहुत डरा हुआ.. मगर उसे देखकर मुझे उसपर बहुत प्यार आया.. शायद किसी छोटे शहर में होता तो थोड़ा दुलार भी कर देता.. अब बड़े शहरों में रहने की कीमत तो हम सभी किस्तों में जीवन भर चुकाते ही हैं सो चलो एक कीमत और सही..कल घर लौटते समय बस में एक बच्चे को अपने पापा...

अपना पोस्ट हिट करें, ब्लौगवाणी की सहायता से

क्या आप चाहते हैं की आपके किसी भी पोस्ट को लोग ज्यादा से ज्यादा देखें? आप अपनी ये इच्छा ब्लौगवाणी की सहायता से आसानी से पूरा कर सकते हैं.. कैसे? चलिये मैं ही बता देता हूं.. आपको करना कुछ नहीं है बस अपने शीर्षक में ब्लौगवाणी...

Sunday, February 17, 2008

आपके शहर में साफ्टवेयर कंपनी होने के नुकसान

आजकल कौन सा शहर सबसे ज्यदा माडर्न है इसका फैसला आमतौर पर लोग इससे करते हैं की वहां कितनी साफ्टवेयर कंपनी के कार्यालय हैं.. तो चलिये मैं आपको कुछ नुकसान गिनाता हूं जो आपको भी नजर आयेगा जब आपके शहर में साफ्टवेयर कंपनी खुलेगी या फिर आपको भी नजर आता होगा अगर आप पहले से ही किसी ऐसे शहर में रहते हैं तो..1....

Saturday, February 16, 2008

रिश्ते की बात

जय : मौसी, लड़का इंफोटेक में काम करता है...मौसी : हाये राम..! और कहीं ट्राई कर रहा है क्या??जय : कहां मौसी 2 साल इंफोटेक में रहने के बाद कोई कंपनी लेती कहां है...मौसी : हाये राम तो क्या 2 साल से इंफोटेक में ही है??जय : हां सोचा था 2 साल में सैलेरी हाईक होगी ही. आजकल तो सैलेरी भी ज्यादा नहीं मिल रही...

Thursday, February 14, 2008

वेलेंटाईन डे पर मेरी अनोखी मित्र तनुजा का परिचय

मेरी एक मित्र हैं तनुजा.. उनका और वेलेंटाईन डे का रिश्ता तो जन्म जन्म का है.. आज के दिन जो कोई भी उन्हें बधाईयां देता है उसे वो खुले दिल से स्वीकार करती हैं.. किसी को भी कोई इंकार नहीं.. पता है क्यों? क्योंकि आज उनका जन्मदिन...

Tuesday, February 12, 2008

तीन पोस्टों की एक पोस्ट

ब्लौग का नशा भी जब चढता है तो सर चढ कर बोलता है ये शत-प्रतिशत सही है.. मैं पिछले कुछ दिनों से बिलकुल भी समय नहीं निकाल पा रहा हूं किसी भी चीज के लिये.. चिट्ठों की तो बात ही छोड़ दिजीये.. पर ब्लौग का नशा जब चढ ही चुका है तो अब क्या किया जा सकता है? लिखना तो परेगा ही, सो लिख रहा हूं.. :)कुछ बातें जो छूट...

Sunday, February 10, 2008

आज से मेरी छोटी सी दुनिया बंद

मैंने अपनी छोटी सी दुनिया से छुट्टी लेने का मन बना लिया है.. कारण ये नहीं की मैं इससे परेशान हो गया हूं या फिर इसे चलाना नहीं चाहता हूं.. भला कोई अपनी दुनिया से परेशान हो सकता है क्या? मैंने कुछ दिन पहले अपने एक पोस्ट में चीख चीख कर काम मांगा था और वही सबसे बड़ी वजह है इसे कुछ दिनों के लिये बंद करने...

Saturday, February 09, 2008

पुरानी जींस और गिटार

पुरानी जींस और गिटार सूचक है कालेज के बीते हुये दिनों का और आज फिर से मुझे ना जाने क्यों कालेज के दिन याद आ रहे हैं। आज मैं आपको अपने कक्षा की एक घटना बताने जा रहा हूं जिसके पात्र हैं नीता, शिवेन्द्र और मैं।नीता पढने लिखने...

Thursday, February 07, 2008

ममता जी, घुघुती जी और अनिता जी का जिक्र एक प्रसिद्ध अंग्रेजी चिट्ठे पर

ममता जी, घुघुती जी और अनिता जी का जिक्र एक अंग्रेजी के एक प्रसिद्ध चिट्ठे पर आज मैंने देखा है। उस अंग्रेजी चिट्ठे का नाम है वाटब्लौग और उसका लिंक यहां है। ये अंग्रेजी चिट्ठा कारपोरेट ब्लौगिंग के लिये प्रसिद्ध है और इसे चलाने वाले सभी युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह एक कम्पनी का रूप लिये हुये...

कुछ बातें ब्लौगवाणी की मेरी समझ से बाहर

मैंने कल "मोहल्ला" और "अपनी छोटी सी दुनिया" पर एक साथ एक पोस्ट डाला था, जिसका शीर्षक मोहल्ला पर "कौन शांति, किसकी हत्या, अमां छोड़ो यार!" था और मेरी छोटी सी दुनिया पर "शांति की हत्या का जिम्मेवार कौन?"आज सुबह जब मैंने ब्लौगवाणी चेक किया तो पाया की मोहल्ला पर किये हुये पोस्ट को 13 लोगों ने पसंद किया है...

ब्रेकिंग न्यूज(सबसे तेज आजतक)

इस देश का क्या होगा?नीचे दिये हुये आज के ब्रेकिंग न्यूज को देखिये। सच में गंभीर खबर है। पूरे देश को इसके लिये एकजुट होना परेगा।ये मुझे एक फ़ारवाडेड मेल के द्वारा मुझे मिला, इस मेल का शीर्षक और जो कंटेंट था उससे मैंने कोई...

Wednesday, February 06, 2008

शांति की हत्या का जिम्मेदार कौन??

रोज की छेड़खानी से बचने के लिए शांति ने आत्महत्या कर ली। वो बारहवीं में पढने वाली एक लड़की थी, जिसे कुछ लफंगे रोजाना स्कूल जाने वाले रास्ते में छेड़ा करते थे। 17 साल की शांति ने 5 फरवरी को कोयमवेदु (चेन्नई) स्थित अपने घर में खुद पर किरोसिन तेल छिड़ककर आत्महत्या कर ली। खबर चेन्नई के अखबार में 2-4 लाइनों...

Tuesday, February 05, 2008

नये भारत की नई तस्वीर

एक कंकाल सा शरीर जो सकुचाता हुआ कहीं बैठने की जुगत में लगा हुआ था और बगल में खड़े टिप-टाप लोग उसे ऐसे देख रहे थे जैसे किसी गली के जानवरों से भी गया गुजरा हो। वो बैठा वहां, उसके साथ में एक 1-2 साल का बच्चा भी था। बस एक चिथड़ा जैसा कुछ लपेटे हुये। वो आदमी जिसके चेहरे से ही लग रहा था की वो कई दिनों से नहाया...

मैं पागल हूं

कल रात सोने से पहले मुझे इस ब्रह्मज्ञान का पता चला की मैं पागल हूं और आज जब मैंने अपने ब्लौग पर टिप्पणीयां देखी तो मन खुश हो गया की चलो एक पागल के पागलपने से भरे हुये बातों को भी लोग पढते हैं और लगे हाथों टिप्पणीयां भी करते हैं। डा. साहब कि बातों को मान कर अपने तकनीक संवाद नामक ब्लौग को फिर से जीवंत...

Monday, February 04, 2008

मायूसी भरे दिन

आज अपना भेजा खपा कर कुछ भी लिखने का मन नहीं कर रहा है पर समय भी तो काटना है। कमबख्त साफ्टवेयर बनाने वालों कि भी अजीब जिंदगी होती है। जब काम मिले तो इतना की अपनी झोली तो भड़े ही भड़े दुसरों कि झोली भी खीचने का मन करने लगे और...

Sunday, February 03, 2008

समय और रेत

मुट्ठी बंद करने से,हाथ से फिसल जाती हैं रेत..मैंने तो हाथ खोल दिये थे,फिर भी एक कण ना बचा सपनों का..एक आंधी सी आयी थी,जो उसे उड़ा ले गई..हां वो आंधी समय की ही थी..और मैं अब तक, हवा में उड़ते उन कणों के इंतजार में हूं..कभी तो हवा की दिशा बदलेगी...

Saturday, February 02, 2008

एक एनोनिमस की टिप्पणी

मेरे "अविनाश" वाले पोस्ट पर एक एनोनिमस महाशय की टिप्पणी आयी है। मेरे पूरे ब्लौगिये जीवन में ये दूसरी एनोनिमस टिप्पणी आयी है। मुझे आज तक समझ में नहीं आया है कि जब लोग अपनी पहचान छुपाना ही चाहते हैं तो ये टिप्पणी करने को क्यों आतुर रहते हैं?आप भी पढिये एनोनिमस जी कि टिप्पणी और उसका जवाब भी..Anonymous...

Friday, February 01, 2008

अरे सर क्या बताऊं, इस बार तो मस्त-मस्त आइटम एडमिशन ली है

"अभी कुछ दिन पहले तो देखे थे की कैंपस में खुल्लम-खुल्ला एक फारेनर लड़का और एक फारेनर लड़की किस कर रहे थे और क्या-क्या नहीं कर रहे थे जैसे...(सेंसर्ड...)। जब एक फैकल्टी आकर रिक्वेस्ट किये की "This is India not Europe so please...