Tuesday, December 25, 2007

ईसाई भारतीय नहीं हैं क्या?

मैं जब से हिंदी चिट्ठाजगत में आया हूं तब से लेकर अभी तक एक बात मैंने पाया है, वो ये कि हिंदी चिट्ठाजगत कुछ विभिन्न ध्रुवों में बंटा हुआ है। जिनमें से दो प्रमुख ध्रुव कम्यूनिस्म और भगवाधारीयों का है। पर एक बात तो जरूर है कि चाहे जो भी मतभेद अलग विचारधाराओं में हों लेकिन एक बात पर दोनों के विचार एक हो जाते हैं। वे सभी भारतीयता और राष्ट्रभाषा के नाम पर एक ही तरह की बातें कहते हैं चाहे तर्क जो भी दें।

ये बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी बातें पढने को मिल जाती है जिससे लगता है कि सिर्फ हिंदू और मुसलमान ही भारतीय हैं ईसाई नहीं, जो भी पाश्चात्य शैली को अपनाता है या फिर विदेशी त्योहारों में भाग लेता है वे सभी देशद्रोहीयों की कतार में शामिल है।

जैसे एक उदाहरण मैं देना चाहूंगा। अभी 2-3 दिन पहले ही मैंने कहीं पर अपने किसी ब्लौगिये मित्र की टिप्पणी पढी थी, उनका कहना था कि हमने होली-दिपावली मना लिया, ईद भी मना लिया, क्रिसमस भी मना लेंगे। लेकिन नववर्ष हम क्यों मनाये?

मेरा उनसे पूछना है कि क्या हिंदूओं और मुसलमानों का पर्व और नववर्ष ही भारतीयता है, ईसाइयों का पर्व और नववर्ष नहीं?

मैं ना तो भगवान को मानता हूं, ना अल्लाह को, ना तो ईशू को और ना ही उनकी तरह के किसी और चीजों को। मगर जो मानते हैं, मैं उनकी भावनाओं का पूरा सम्मान भी करता हूं। मैं कभी उनसे ये अपेक्षा नहीं करता हूं कि वो भी मेरी तरह सोचने लगें। मेरा सोचना है कि जब तक आपको किसी से कोई व्यक्तिगत परेशानी ना हो तब-तक आप किसी को कोई भी त्योहार मनाने से क्यों रोकें? चाहे वो नया वर्ष हो, या वेलेंटाईन डे हो, या रोस डे या फिर कुछ और ही क्यों ना। इस तरह के दिवस और भारतीयता में कोई संबंध नहीं है, हां अगर कोई इस तरह के दिवस मना कर ये सोचता है कि जो इस तरह के दिवस नहीं मनाते हैं वो छोटे हैं तो उनकी यही मानसिकता बहुत कुछ कह जाती है।

खैर आज के इस शुभ पावन अवसर पर मैं भी क्या लेकर बैठ गया। आज तो मुझे याद करना चाहिये था अपने उन दोस्तों को जिनके घर पर बैठकर हम सारे दोस्त "जिंगल बेल" गाते थे। उनकी मां के हाथ का बना हुआ केक खाते थे। और जिंगल बेल के बाद शिक्स स्ट्रिंग (गिटार) पर कुछ ब्रायन एडम्स और कर्लोस संटाना के गीत को अपनी आवाजों से सजाते थे। हमलोगों का सबसे पसंदिदा गीत "Summer of 69" हुआ करता था। अगर आपने नहीं सुना है तो मैं आपसे कहूंगा कि आप इसे एक बार जरूर सुने, आप इसे सुनकर अपने पूराने दिनों में जरूर लौट जायेंगे।

summer of 69.mp3


"Merry Chrismas"

Related Posts:

  • "एक शहर जो हर शहर में बसता है" और बिहार2003 में पहली बार घर से बाहर पाँव रखा और दिल्ली कि और निकल पड़ा.. मुनिरका में अपना आसरा बनाया.. हर शहर में एक ही शहर बसता है.. मैंने पाया कि हर शहर में… Read More
  • Coorg - खुद से बातें Part 2सूरज कि रौशनी मे बारिश होने पर इन्द्रधनुष निकलता है.. चाँद कि रौशनी मे बारिश होने पर भी वो निकलता होगा ना? हाँ!! जरूर निकलता होगा.. मगर रात कि कालिमा … Read More
  • एक कलयुगी जातक कथाइधर-उधर कि बात किये बिना मैं सीधे प्वाइंट पर मतलब कहानी पर आता हूँ..एक धोबी के पास एक गधा और दो कुत्ते थे.. गधा गधामजूरी करता था और दोनों कुत्ते घर कि… Read More
  • Coorg - एक अनोखी यात्रादफ्तर से समय से बहुत पहले ही निकल गया.. टी.नगर बस स्टैंड के पास के लिए, जहाँ मेरा एक मित्र किसी लौज में रहता है, किसी छोटे से दूकान से पकौड़े और जलेबी … Read More
  • वेल्लोरा?तमिल व्याकरण में किसी भी प्रश्न पूछने के लिए अंत में 'आ' का प्रयोग किया जाता है.. जैसे 'पुरंजिदा' का मतलब 'समझ गए?' होता है.. ठीक इसी तरह अंग्रेजी के … Read More

5 comments:

  1. क्रिसमस मुबारक हो जी।

    ReplyDelete
  2. यह गाना सुनाने के लिए धन्यवाद।

    ReplyDelete
  3. जो भारतमाता को अपनी मां मानता है वह हिन्दुस्तानी है -- धर्म से कोई फरक नहीं पडता.

    ReplyDelete
  4. आपकी भावनाएं मनुष्योचित हैं, क्रिसमस आपके जीवन में उल्लास भर दे।

    ReplyDelete