1.
जब देश उबल रहा था
माओवादी हिंसा एवं
आदिवासियों पर हुए अत्याचार पर
मैं सोच रहा था कि लिखूँ
एक नितांत प्रेम में डूबी कविता!!
2.
बुद्धिजीवियों के विमर्श का शीर्ष बिंदू
जब थी सामाजिक समस्याएँ
तब मैं सोच रहा था लिखूँ
कुछ ऐसा जो छू ले तुम्हारे अंतर्मन को
3.
तथाकथित बुद्धिजीवी
जब लगे थे इस जुगत में
की कैसे साधा जाए अर्थ संबंधी
अपना नितांत स्वार्थ
मैं सोच रहा था लिखूँ कुछ ऐसा
कि तुम हो जाओ मेरी
4.
उस क्षण जब
आदिवासियों को माओवादी
और
माओवादियों को राजनितिज्ञ करार दिया गया था
मैं डूबा था
तुम्हारे प्रेम की बातों में
5.
उस वक़्त जब लोग प्रयत्नरत थे
बन्दूक की नाल से सत्ता की ओर
मैं प्रयत्नरत था प्रेम की ओर
और तोड़ने में वे सभी हिंसक
मानसिक हथियार
जब देश उबल रहा था
माओवादी हिंसा एवं
आदिवासियों पर हुए अत्याचार पर
मैं सोच रहा था कि लिखूँ
एक नितांत प्रेम में डूबी कविता!!
2.
बुद्धिजीवियों के विमर्श का शीर्ष बिंदू
जब थी सामाजिक समस्याएँ
तब मैं सोच रहा था लिखूँ
कुछ ऐसा जो छू ले तुम्हारे अंतर्मन को
3.
तथाकथित बुद्धिजीवी
जब लगे थे इस जुगत में
की कैसे साधा जाए अर्थ संबंधी
अपना नितांत स्वार्थ
मैं सोच रहा था लिखूँ कुछ ऐसा
कि तुम हो जाओ मेरी
4.
उस क्षण जब
आदिवासियों को माओवादी
और
माओवादियों को राजनितिज्ञ करार दिया गया था
मैं डूबा था
तुम्हारे प्रेम की बातों में
5.
उस वक़्त जब लोग प्रयत्नरत थे
बन्दूक की नाल से सत्ता की ओर
मैं प्रयत्नरत था प्रेम की ओर
और तोड़ने में वे सभी हिंसक
मानसिक हथियार