Tuesday, November 16, 2010

ताला

आज मैंने उसे बड़े गौर से देखा.. कल्पना अक्सर लोगों को कुछ अधिक ही जहीन बना देती है.. हकीकत से अधिक खूबसूरत भी कल्पना ही बनाती है और कल्पना ही उनमे महान होने का अहसास भी जगाती है.. शायद मैं भी खुद एक कल्पना सा होता जा रहा हूँ, यथार्थ से कहीं दूर.. एक अलग जहान अपनी सी भी लगती है..वह अभी भी वैसी ही थी जैसी...

Friday, November 05, 2010

ड्राफ्ट्स

१:"आखिर मैं कहाँ चला जाता हूँ? अक्सर कम्प्युटर के स्क्रीन पर नजर टिकी होती है.. स्क्रीन पर आते-जाते, गिरते-पड़ते अक्षरों को देखते हुए भी उन्हें नहीं देखता होता हूँ क्या? या फिर उन्हें देख कर भी ना देखते हुए मैं अपनी एक अलग दुनिया बुनता रहता हूँ और रह-रह कर उस दुनिया से इस दुनिया तक के बीच सामंजस्य बनाने...

Thursday, November 04, 2010

केछू अब बला औल समझदार हो गया है

केशू से पूछे गए कुछ सवाल के जवाब (केशू के बारे में जानने के लिए यहाँ देखें):प्रश्न : केछू के पास कितना हाथ है?उत्तर : टू!प्रश्न : केछू के पास कितना पैर है?उत्तर : टू!प्रश्न : केछू के नाक में कितना छेद है?उत्तर : टू!प्रश्न...