Saturday, May 08, 2010

ओ देश से आने वाले बता - "पैगाम-ए-मुहब्बत"

ओ देश से आने वाले बता
किस हाल में है यार-ए-वतन
वो बाग-ए-वतन, फ़िरदौस-ए-वतन
क्या अब भी वहां के बागों में
मस्तानी हवाऐं आती हैं
क्या अब भी वहां के पर्वत पर
घनघोर घटाऐं छाती हैं
क्या अब भी वहां की बरखाऐं
ऐसे ही दिलों को भाती हैं
ओ देश से आने वाले बता
----अख्तर शीरानी

वो शहर जो हमसे छूटा है
वो शहर हमारा कैसा है
सब लोग हमें प्यारे थे मगर
वो जान से प्यारा कैसा है
ओ देश से आने वाले बता
----अहमद फ़ैराज़

ओ देश से आने वाले बता
क्या अब भी वतन में वैसे ही
सरमस्त नजारें होते हैं
क्या अब भी सुहानी रातों में
वो चांद सितारे होते हैं
हम खेल जो खेला करते थे
क्या अब भी वो सारे होते हैं
ओ देश से आने वाले बता
----अख्तर शीरानी

शब बज़्म-ए-हरिफ़ां सजती है
या शाम ढ़ले सो जाती हैं
यारों कि बसर औकात है क्या
हर अंजुमन-ए-आरा कैसा है
ओ देश से आने वाले बता
----अहमद फ़ैराज़

ओ देश से आने वाले बता
क्या अब भी महकते मंदिर से
नाकूस की आवाज आती है
क्या अब भी मुकद्दस मस्जिद पर
मस्ताना अजान थर्राती है
क्या अब भी वहां के पनघट पर
पन्हारियां पानी भरती है
अन्गराई का नक्सा बन-बन कर
सब माथे पर गागर धरती हैं
और अपने घरों को जाते हुये
हंसते हुये चुहले करती हैं
ओ देश से आने वाले बता
----अख्तर शीरानी

महरान लहू कि धार हुआ
वो लान भी क्या गुलनार हुआ
किस रंग का है दरिया-ए-अटक
रावी का किनारा कैसा है
ऐ देश से आने वाले मगर
तुमने तो ना इतना भी पूछा
वो कवि जिसे बनबास मिला
वो दर्द का मारा कैसा है
ओ देश से आने वाले बता
----अहमद फ़ैराज़

क्या अब भी किसी के सीने में
आती है हमारी चाह बता
क्या याद हमें भी करता है
अब यारों में कोई आह बता
ओ देश से आने वाले बता
लिल्लाह बता..लिल्लाह बता..
----अख्तर शीरानी



यह गीत नीरज रोहिल्ला के सौजन्य से.. :)



यह मुजफ्फर अली द्वारा कम्पोज किया हुआ एवं आबिदा परबीन द्वारा गया हुआ, "पैगाम-ए-मुहब्बत एल्बम से लिया गया है.. एक आग्रह के साथ इस गीत को पोस्ट कर रहा हूँ कि अगर किसी को इस एल्बम के MP3 का पता मालूम हो तो बताएं.. कबाड़ियों से कुछ अधिक ही उम्मीद लगाये बैठा हूँ(अगर कोई कबाड़ी मुझे पढते हो तो)..

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18 comments:

  1. मुजफ्फर अली लखीमपुर खीरी के रहने वाले है.. वहा से इलेक्शन भी लडे थे..
    हम भी वही से है ;)

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  2. waah bade hi umda sawaal jawaab....

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  3. Yeh Album hamare paas hai...
    Tumko email se bhijwane ka intzaam karte hein. 2-3 din ka time do. :)

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  4. उस दिन फ़ेसबुक पे गुलाब जामुनों की बहुत अकड दिखा रहे थे, निकल गयी सारी हेकडी, ;-)

    एल्बम तभी भेजेंगे जब अगली भारत यात्रा पर मुलाकात पर पूरा खाना मय-गुलाबजामुन बना के खिलाओगे...सौदा मंजूर? हा हा हा...(मु)हा हा हा हा....अट्टाहास वाला हा हा हा....

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  5. मतलब खिलाने का वादा करोगे...;)

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  6. ये एम.पी.३ हमें भी चाहिये, हमें भी चईये :)

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  7. कबाड़ी ही समझो..आ गये हैं इस बेहतरीन कलेक्शन पर.

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  8. नीरज जी कोटा आओ तो गर्म गर्म मसालेदार तीखी कचौडि़यों के बाद गुलाबजामुन खिलाने की जिम्मेदारी हमारी है। गुलाबजामुन का श्रेष्ठ स्वाद भी तभी पता लगेगा।

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  9. @नीरज - भेजो भाई.. चेन्नई कि सुप्रसिद्ध श्री कृष्णा स्वीट्स के गुलाबजामुन खिलाएंगे.. :)

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  10. http://www.divshare.com/download/11305261-7e1

    Yeh raha link!!! Aish karo bhai logon...

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  11. पहले पाबले नेरुदा.. और अब इत्ते सारे नाम.. फिर फेसबुक पे लम्बा वाला सांप.. सब ठीक तो है ना भाई..!

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  12. हम तो सोच थे कि अपनी कविता लिखोगे... खैर ये जो तुमने लिखा है, इसे हम तलाश रहे थे... खुश हुये...

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  13. मेरा नम्बर १०१ है जो आपका पीछा नहीं छोड़ने वाला है

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे 09.05.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  15. आज का दिन सफल हो गया. यद्यपि, आबिदा परवीन को नहीं सुन पाया.. आवाज़ बार बार डिप हो रही थी.

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  16. मैंने सुना नहीं, पहले सुना हुआ है, कैसेट था मेरे पास। इस वक़्त सुनने का मन नहीं हुआ। मगर जब ऑडियो आपने पोस्ट किया है, तो फिर एमपी3 किसलिए?
    शायद पूरा एल्बम चाहिए! देखते हैं।

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