Saturday, May 29, 2010

जानवरों से अधिक मासूम प्रेम अब हमें मयस्सर कहाँ

वो कई सालों तक हमारे साथ रहा.. हम बच्चों के जिद पर ही उसे घर में लाया गया था.. पटना सिटी के किसी पंछियों के दूकान से पापाजी खरीद कर लाये थे.. उससे पहले भी हमने कई बार कोशिश कि थी तोता पालने कि, मगर हर बार कोई ना कोई जुगत लगाकर सभी रफूचक्कर हो जाते थे..दूकान वाले ने बताया था कि यह पहाड़ी तोता है, और...

Friday, May 28, 2010

क्योंकि जिंदगी से बढ़कर कोई कहानी नहीं होती

इस कहानी का कोई पात्र काल्पनिक नहीं है.. या फिर ये भी कह सकते हैं कि यह कोई कहानी नहीं है.. यह असल जिंदगी कि कड़वी सच्चाई है.. वैसे भी मेरा मानना रहा है कि असल जिंदगी से बढ़कर कोई कहानी नहीं होती है.. यह मेरी एक मित्र कि कहानी है जिससे अचानक कई सालों बाद इस बड़ी सी छोटी होती हुई जा रही दुनिया में तार...

Sunday, May 23, 2010

हिंदी ब्लॉगिन्ग को लेकर मेरी समझ

मैं पहले ब्लौगिंग की प्रकृति को समझना जरूरी समझता हूँ फिर हिंदी ब्लॉगिंग की बात करूंगा.. ब्लॉग लिखने वाले सभी व्यक्ति जानते होंगे कि ब्लॉग शब्द "वेब लॉग" को जोड़कर बनाया गया है, और इसमें आप जो चाहे वह लिख सकते हैं.. मैंने...

Friday, May 21, 2010

एक गंजेरी की सूक्तियां

एक-गँजेरी डरता है तूफ़ान सेतबजब बची हो सिर्फ एक तीलीऔर चलती होदिलों में आंधियांदो-धुवें में बनती है शक्लें भीबिगड़ती हैं शक्लें भीयह कोई जेट प्लेन का धुवाँ नहींजो सीधी लकीर पे चलेतीन-सिगरेट पीने वाले को गालियाँसिर्फ वही...

Thursday, May 13, 2010

दोस्ती को रीडिफाइन करने का समय

छुटपन में घर के बड़े कभी भी किसी से अधिक दोस्ती बढ़ाने के लिए नहीं कहते थे.. बिहार में उस समय जैसे हालत थे उसमे उनका यह एतराज जायज भी था.. समय बदला, हम बच्चो ने भी अपने आसमान तलाशने शुरू किये, फिर कई दोस्त भी बने.. कुछ समय के साथ चले तो कुछ चले गए.. अब से कुछ समय पहले तक के जितने भी मित्र मेरे रडार...

Sunday, May 09, 2010

माँ से जुडी कुछ बातें पार्ट 1

मैंने मम्मी से बचपन में कभी राजा-रानी या शेर-खरगोश कि कहानी नहीं सुनी.. या शायद कोई भी कहानी नहीं सुनी है.. जब से होश संभाला, मैंने उन्हें डट कर मेहनत करते पाया.. पूरे घर को एक किये रहती थी.. और उस एक करने के चक्कर में हम बच्चे उनसे डरे सहमे रहते थे.. किसी बात पर गुस्सा होकर किसी से २-४ दिन या शायद...

Saturday, May 08, 2010

ओ देश से आने वाले बता - "पैगाम-ए-मुहब्बत"

ओ देश से आने वाले बता किस हाल में है यार-ए-वतन वो बाग-ए-वतन, फ़िरदौस-ए-वतन क्या अब भी वहां के बागों में मस्तानी हवाऐं आती हैं क्या अब भी वहां के पर्वत पर घनघोर घटाऐं छाती हैं क्या अब भी वहां की बरखाऐं ऐसे ही दिलों को भाती...

Thursday, May 06, 2010

मैं कई बार मर चुका हूंगा - पाब्लो नेरूदा

सारी रात मैंने अपनी ज़िन्दगी तबाह कीकुछ गिनते हुए,गायें नहींपौंड नहींफ़्रांक नहीं, डालर नहीं...न, वैसा कुछ भी नहींसारी रात मैंने अपनी ज़िन्दगी तबाह कीकुछ गिनते हुए,कारें नहींबिल्लियाँ नहींमुहब्बतें नहीं...न!रौशनी में मैंने अपनी ज़िन्दगी तबाह कीकुछ गिनते हुए,क़िताबें नहींकुत्ते नहींहिंदसे नहीं...न!सारी...

Tuesday, May 04, 2010

समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आई

समाजवाद बबुआ, धीरे-धीरे आईसमाजवाद उनके धीरे-धीरे आईहाथी से आईघोड़ा से आईअँगरेजी बाजा बजाई, समाजवाद...नोटवा से आईबोटवा से आईबिड़ला के घर में समाई, समाजवाद...गाँधी से आईआँधी से आईटुटही मड़इयो उड़ाई, समाजवाद...काँगरेस से आईजनता से आईझंडा से बदली हो आई, समाजवाद...डालर से आईरूबल से आईदेसवा के बान्हे धराई,...