आज सुबह ऑफिस जाने की हड़बड़ी में था तभी देखा कि पापा जी का फोन आ रहा है.. और इससे पहले भी तीन बार उनका फोन आ चुका था जिसका मुझे पता नहीं चल सका.. उन्होंने बताया कि मेरे लिये किसी सईद का फोन आया था और उन्होंने मेरा नंबर उसे दे दिया है..मैं तब से ही सोच रहा हूं कि ये सईद कौन है? और उसके पास मेरे घर पटना...
Thursday, December 17, 2009
Wednesday, December 16, 2009
अब भी उसे जब याद करता हूं, तो बहुत शिद्दत से याद करता हूं
समय के साथ बहुत कुछ बदला है.. मैं भी बदला हूं, मेरी सोच के साथ-साथ परिस्थितियां भी बदली है.. कई रिश्तों के मायने बदले हैं.. पहले जिन बातों के बदलने पर तकलीफ़ होती थी, अब उन्ही चीजों को देखने का नजरिया भी बदला है और उन्हें उसी रूप में स्वीकार कर आगे बढ़ने की प्रवॄति भी आ गई है.. जिन चीजों के बदलने पर तकलीफ...
Tuesday, December 15, 2009
Sunday, December 13, 2009
एक कविता कोडिंग पर
कोई अपने ही घर में चोरी करता है क्या? नहीं ना? मगर मैंने किया है.. ज्ञान जी के शब्दों में यह रीठेल है.. यह कविता मेरे एक बेहद पुराने पोस्ट पर डा.अमर जी ने कमेंट किया था जिसे यहां ठेले जा रहा हूं.. आजकल ब्लौगिंग करने की फुरसत भी नहीं है और कुछ लिखने की इच्छा भी नहीं, तो सोचा क्यों ना अपना शौक कुछ इसी...