अपने ऑफिस के बाहर वाले पार्किंग में खड़ा मैं फोन पर किसी से बातें कर रहा था.. तभी नीचे से कुछ आवाज आई.. मैंने देखा तो पाया की एक 3-4 साल की बच्ची थी और उसके गोद में भी एक 5-6 महिने का बच्चा था.. मैंने उसे भीख मांगने वाली समझ उसे इसारे से मना किया, कि मैं कुछ भी नहीं दूंगा.. उसने कहा, "अन्ना, नो मनी.." मैं फोन पर भी बातें कर रहा था, सो उसकी बात समझने में थोड़ा समय भी लगा और जब तक समझ में आता तब तक वो वहां से भाग गई..
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि वो बच्ची चाह क्या रही थी? फोन पर ही बातें करते हुये मैंने देखा कि वह वहां खड़े लगभग हर किसी से तमिल में कुछ कह रही थी और सभी उसकी बात सुनकर या तो अनसुना कर रहे थे या फिर उसकी हंसी तमिल में ही कुछ कह कर उड़ा रहे थे..
पहली नजर में मुझे लगा कि उस बच्ची को भूख लगी है.. वहीं एक चाय वाला भी बैठता है जो कटिंग वाली चाय के साथ बिस्किट और ब्रेड भी रखता है.. मैंने उसे अपने पास बुला कर अंग्रेजी में उसे समझाने की कोशिश की, और बोला कि तुम्हे जो चाहिये वो ले लो.. मगर वो वहां से भी भाग गई..
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि ये इस तरह से क्यों कर रही है.. एक छटपटाहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी, और कारण मेरी समझ से बाहर थी.. तमिल ना आने का अपह्सोस मुझे शायद सबसे ज्यादा उसी समय हो रहा था.. तभी मैंने देखा कि चाय वाला उसे डांटते हुये कुछ बोल रहा था, टूटी-फूटी तमिल में मैं इतना समझ गया कि वह बच्ची चाह क्या रही थी..
वहीं पार्किंग के पास एक आईसक्रीम वाला भी था, और वह किसी भी तरह एक आईसक्रीम खाना चाह रही थी.. उस चाय वाले की बात मुझे यह समझ में आयी थी कि वह कटाक्ष करते हुये बोल रहा था जिसको हिन्दी में हम कुछ ऐसे कहते हैं, "अपनी औकात देखी हो, आईसक्रीम खाना चाह रही हो.. भागो यहा से और मेरे कस्टमर को परेशान मत करो.."
उसे मैंने अपने पास बुलाया, मगर वह नहीं आयी.. शायद डर गई थी.. आईसक्रीम वाले के पास जाकर मैंने उसे बुलाया तो वह झट से मेरे पास चली आयी.. मैंने आईसक्रीम वाले को बोला कि इसे जो भी आईसक्रीम चाहिये इसे दे दो.. वो आईसक्रीम वाला मुझे ऐसे देखा जैसे मैं पागल हो गया हूं.. मैंने फिर से उसे कहा तो वह चुपचाप उस बच्ची से पूछकर उसे आईसक्रीम दे दिया..
उस बच्ची के चेहरे पर अपार संतोष का भाव साफ दिख रहा था.. मैंने फिर एक अद्भुत बात देखी, वह बच्ची धीरे-धीरे करके सारा आईसक्रीम अपने गोद वाले उस छोटे बच्चे को खिला दी जिसे आईसक्रीम क्या होता है इसकी समझ भी ना होगी.. खुद उसे चखी भी नहीं..
जाने क्यों मुझे अपनी दीदी की बड़ी बेटी याद आ गई, जो कमोबेश उसी कि उमर की होगी.. जो आईसक्रीम के लिये अपना मुंह भी खोलती है तो 1 किलो वाला आईसक्रीम का पैकेट घर में आ जाता है.. अभाव क्या होता है वह उसे पता भी नहीं, दुनियादारी तो दूर की बात है..
एक डर सा लगने लगा.. इंडिया जगमगा रहा है, मगर भारत अपनी गरीबी पर रो रहा है.. तभी ट्रैफिक के शोर ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा.. पास वाले सिग्नल की लाल बत्ती जगमगा रही थी.. मैंने देखा कि वह बच्ची अपने गोद वाले बच्चे को लेकर सिग्नल की ओर जा रही है.. आगे देखना शायद मुझे अच्छा नहीं लगता, सो मैं वापस अपने ऑफिस के अंदर चला आया..
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि वो बच्ची चाह क्या रही थी? फोन पर ही बातें करते हुये मैंने देखा कि वह वहां खड़े लगभग हर किसी से तमिल में कुछ कह रही थी और सभी उसकी बात सुनकर या तो अनसुना कर रहे थे या फिर उसकी हंसी तमिल में ही कुछ कह कर उड़ा रहे थे..
पहली नजर में मुझे लगा कि उस बच्ची को भूख लगी है.. वहीं एक चाय वाला भी बैठता है जो कटिंग वाली चाय के साथ बिस्किट और ब्रेड भी रखता है.. मैंने उसे अपने पास बुला कर अंग्रेजी में उसे समझाने की कोशिश की, और बोला कि तुम्हे जो चाहिये वो ले लो.. मगर वो वहां से भी भाग गई..
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि ये इस तरह से क्यों कर रही है.. एक छटपटाहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी, और कारण मेरी समझ से बाहर थी.. तमिल ना आने का अपह्सोस मुझे शायद सबसे ज्यादा उसी समय हो रहा था.. तभी मैंने देखा कि चाय वाला उसे डांटते हुये कुछ बोल रहा था, टूटी-फूटी तमिल में मैं इतना समझ गया कि वह बच्ची चाह क्या रही थी..
वहीं पार्किंग के पास एक आईसक्रीम वाला भी था, और वह किसी भी तरह एक आईसक्रीम खाना चाह रही थी.. उस चाय वाले की बात मुझे यह समझ में आयी थी कि वह कटाक्ष करते हुये बोल रहा था जिसको हिन्दी में हम कुछ ऐसे कहते हैं, "अपनी औकात देखी हो, आईसक्रीम खाना चाह रही हो.. भागो यहा से और मेरे कस्टमर को परेशान मत करो.."
उसे मैंने अपने पास बुलाया, मगर वह नहीं आयी.. शायद डर गई थी.. आईसक्रीम वाले के पास जाकर मैंने उसे बुलाया तो वह झट से मेरे पास चली आयी.. मैंने आईसक्रीम वाले को बोला कि इसे जो भी आईसक्रीम चाहिये इसे दे दो.. वो आईसक्रीम वाला मुझे ऐसे देखा जैसे मैं पागल हो गया हूं.. मैंने फिर से उसे कहा तो वह चुपचाप उस बच्ची से पूछकर उसे आईसक्रीम दे दिया..
उस बच्ची के चेहरे पर अपार संतोष का भाव साफ दिख रहा था.. मैंने फिर एक अद्भुत बात देखी, वह बच्ची धीरे-धीरे करके सारा आईसक्रीम अपने गोद वाले उस छोटे बच्चे को खिला दी जिसे आईसक्रीम क्या होता है इसकी समझ भी ना होगी.. खुद उसे चखी भी नहीं..
जाने क्यों मुझे अपनी दीदी की बड़ी बेटी याद आ गई, जो कमोबेश उसी कि उमर की होगी.. जो आईसक्रीम के लिये अपना मुंह भी खोलती है तो 1 किलो वाला आईसक्रीम का पैकेट घर में आ जाता है.. अभाव क्या होता है वह उसे पता भी नहीं, दुनियादारी तो दूर की बात है..
एक डर सा लगने लगा.. इंडिया जगमगा रहा है, मगर भारत अपनी गरीबी पर रो रहा है.. तभी ट्रैफिक के शोर ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा.. पास वाले सिग्नल की लाल बत्ती जगमगा रही थी.. मैंने देखा कि वह बच्ची अपने गोद वाले बच्चे को लेकर सिग्नल की ओर जा रही है.. आगे देखना शायद मुझे अच्छा नहीं लगता, सो मैं वापस अपने ऑफिस के अंदर चला आया..