Monday, January 26, 2009

पीडी सुसुप्तावस्था में

मैं आजकल सुसुप्तावस्था में हूँ.. पढता लगभग सभी को हूँ, मगर टिपियाता शायद ही किसी को.. लिखने को भी बहुत कुछ मशाला है, मगर लिखने कि इच्छा ही नहीं.. मन हर समय अलसाया सा लगता है.. देखिये कब इससे बाहर आता हूँ?


अंत में -
"अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम..
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम.."
अब अगर ऐसे में अजगर ठंढ के मौसम में सुसुप्तावस्था में चला जाये तो कुछ-कुछ ऐसा ही होगा कि एक तो करेला ऊपर से नीम चढा.. ;)

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15 comments:

  1. जागते रहो !

    एना पा ? रूम्बो तूँगरिया ? एना आचे ?

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  2. ताऊ पेशरे..तन्निरे रंगा.. छींटे मारो ठंडे पानी के..और अजगर को ऊठाना बडा मुश्किल है. उसको तो भूख लगेगी तभी ऊठेगा.:)

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  3. भाई तुमहारी उम्र और ये संकेत..

    कंही तुझे प्यार हुआ तो नहीं है?..:)

    सब ठीक न?

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाऐं..

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  4. भैया प्यार के चक्कर में न पड़ना वरना और हालत ख़राब हो जायेगी ....

    अनिल कान्त
    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

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  5. जय दाता राम जी की...

    आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.

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  6. नींद नि्काल कर वापस आइए। हम भी कुछ घूम फिर कर वापस आते हैं।

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  7. सुना है हर क्रिया की प्रतिक्रिया भी होती है. तैय्यार रहिए

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  8. नीम के पेड़ पर चढ़ना कठिन है उससे तो सरल है ब्लॉग लिखो, टिपियाओ।
    घुघूती बासूती

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  9. बिलकुल ही अच्‍छा नहीं लगा यह सब पढकर। ऐसी हरकतों पर तो मेरा एकाधिकार है भाई। यह सब मेरे लिए ही रहने दीजिए और फौरन से पेश्‍तर निकल आइए।
    तुम आओ तो बहारों का काम काज चले।

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  10. किस-किस को याद किजीये,
    किस-किस को रोईये,
    आराम बड़ी चीज़ है,
    मुह ढांक के सोईये।

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  11. जागो मोहन प्यारे :) जो सोवत है सो खोवत है ..जो जागत है सो पावत है ..अब देख लो किस में फायदा अधिक है ..:)

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  12. बाकियों की तर्ज़ पर और तुम्हारे मूड को देखते हुए हम भी कुछ चेप देते हैं...आज करे सो कल कर, कर करे सो परसों...जल्दी है किस बात की भैय्या जब जीना है बरसों :D

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  13. अइसा क्या हो गया भाई साहब, फ़िर किसी की डायरी तो नहीं उठा ली..? क्या वजह है इस हाइबरनेशन की....?

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  14. सू सू करके जल्दी आना...

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