Saturday, September 20, 2008

चेन्नई-वेल्लोर बाईक ट्रिप(विकास द्वारा)


जैसे कि वेल्लोर जाने का हम लोगों का पहले से प्रोग्राम था.. चन्दन के पापा-मम्मी और चन्दन से भी मिलने.. बहुत दिन हो गए थे मोटे से मिले हुए.. पहले ये प्रोग्राम शनिवार को बन रहा था लेकिन चन्दन उस दिन CMC में व्यस्त रहता इसलिए ये प्रोग्राम रविवार को शिफ्ट हो गया.. और शनिवार को शिव और अतिन्द्र का ऑफिस भी था.. अतिन्द्र!! जी हाँ नाम सुना सुना लग रहा होगा.. The perfect boy of our MCA batch.. आजकल उसको सुधारने में लगे हुए हैं.. इसी सुधारने के चक्कर में उसको बोले थे "तू भी चल चंदू से मिलने.." वो तैयार भी हो गया था.. लेकिन शनिवार रात में हमलोग शिव का बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे थे.. केक और कोल्ड ड्रिंक से उसको नहवाकर.. तभी हम अमित से पूछे की "वेल्लोर चलेगा तू भी?" जवाब आया हाँ और साथ भी सवाल भी "बाइक से चेलागे क्या?" फिर चालू हुआ डिसकसन.. बाइक से चलने के विरोध में और समर्थन में.. वैसे विरोध में सिर्फ हम थे और समर्थन में बाकी सब.. आश्चर्यजनक तौर से शिव भी.. और सबसे ज्यादा वजनदार समर्थन था प्रियंका का.. काफी उत्साहित थी.. मेरे को सिर्फ इतना डाउट था की एक ही बाइक है अमित के भाई का बाकी दोनों स्कूटी.. एक 100cc का एक 125cc का.. कहीं बीच में इंजन बाहर निकल कर हाथ पैर नहीं पड़ने लगे.. लेकिन आमित और प्रियंका का बस चलता तो स्कूटी से ही वर्ल्ड टूर पर निकल पड़ता.. तो फाईनल हुआ कि हमलोग रविवार सुबह 6 बजे निकल जायेंगे.. आतिन्द्रा बाइक का नाम सुनते ही बहुत सारा काम गिनाने लगा और बोला की "तू जा.. हम बाद में जायेगा(बंगाली स्टाईल में).." हम बोला ठीक है..:) जो मन है वो कर..

सिर्फ 2 घंटे लेट यानी 8 बजे हमलोग निकले प्रियंका को लेने और करीब 8.20 में हमलोग पोरुर सिग्नल तक पहुँच गये.. उसके बाद हमलोग बाइक और स्कूटी का आदान प्रदान करते करते करीब 11 बजे वेल्लोर पहुँच गए..

रास्ते में शिव भी वाणी का स्कूटी में हाथ साफ किया और करीब 25-30 किलोमीटर चलाया भी.. और प्रियंका तो हद की हुई थी.. स्कूटी से ही Pulsar को पीछे छोड़े जा रही थी.. एक जगह हमलोग चाय-कॉफ़ी के लिए रुके और प्रियंका जिद कर के Pulsar ले ली.. किसी तरह हिम्मत कर के अमित उसके पीछे बैठा.. एक तो स्कूटी से पकड़ में नहीं आ रही थी.. अब तो Pulsar मिल गया.. Speedometer का digital reading अमित के चेहरे से साफ़ नज़र आ रहा था.... 70......75......80.......85.....बस बहुत हो गया......
अब प्रियंका पकड़ में नहीं आ रही थी तो उसको पकड़ने के खयाल से हमी उसके पीछे बैठे.. पता नहीं किसको किसको याद कर रहे थे.. खैर अच्छा चलाती है.. बस एक दो बार पीछे से कार वाला सब पास नहीं मिलने के कारण गरिया कर चला गया..

वेल्लोर पहूंचने के बाद प्रशान्त हमलोग को पार्टी दिया चाईना टॉउन में..(आफ़रोज़ और वाणी को बहुत मिस किया गया..) फिर हमलोग जम के आइस क्रीम भी खाये लेकिन पान नहीं खा पाये.. साला चंदन डरा दिया की पापा बहुत डांटतें हैं.. तो इसी डर से और शिव के भी डर से पान नहीं खाया
गया.. शिव और पान के बीच में अजीब रिश्ता है.....जब भी शिव पान खाता है तो उसके अंदर ज़माने भर का थूक आ जाता है....थूक यानी पान का पीक.. और उसका शिकार अगल बगल वाले लोग बनते हैं.. वाणी और हम इसको झेल चुके हैं..

अंकल लोग का प्लान था गोल्डेन टेंपल जाने का लेकिन हमलोग में से किसी को मन नहीं था.. सिर्फ अमित को छोड़ कर.. वैसे चन्दन पूरा कोशिश कर रहा था की शिव चले.. आखिर उसको मंदिर घूमाने का अनुभव जो है.. लेकिन कोई नहीं हिला..
अंत में तय हुआ की सभी कोई चलते हैं और उधर से ही हमलोग निकल जायेंगे..
लेकिन तब तक बारिश के आसार दिखने लगे और अमित ने डिसिजन लिया की गोल्डेन टेंपल अंकल लोग को जाने दो और हमलोग यहीं से निकल जाते हैं.. Nice decesion.. तो हमलोग वहां पेट्रोल वेट्रोल डलवा कर निकल पड़े..

रास्ते में मस्त बारिश मिला.. पता नहीं जब हमलोग बाईक उठाते हैं बारिश कहाँ से आ जाता है.. मैसूर ट्रिप में यही हुआ था.. खैर बारिश रुकने का 45 मिनट इंतजार कर के हमलोग उसी में निकल पडे और भींगते सुखते पहुँच ही गए..

कुल मिला के ठीक ही रहा.. सभी ने मस्ती किया..

7 comments:

  1. रोचक। मुझे दुपहिया दौड़ाये जमाना गुजर गया। अब जमाना दौड़ रहा है, हम जस के तस हैं।

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  2. बाइक से यात्रा करने का मतलब है, बाइक से मस्‍ती। आपसे प्रेरि‍त तो हो ही गया हूँ-सोचता हूँ कभी बाइक ट्रि‍प का भी मजा लेकर देखूँ।

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  3. सही है भाई... मस्ती है !

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  4. @जितेंद्र जी - अरे सर जी, सोचिये मत.. बस घूम आईये.. जितना मजा बाईक में है वो कहीं भी नहीं.. मुझे तो कोई साथी मिल जाये तो पूरा भारत बाईक से ही घूम आऊं.. :)

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  5. बढ़िया मस्ती है बाईक यात्रा में भी.

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  6. बारिश में बाइक यात्रा, वाह हम तो सोच कर ही मजा ले रहे हैं। प्रियंका को खास स्नेह, इतनी तेज बाइक चलाने के लिए। हम तो कार इस स्पीड में दौड़ाते हैं, दुपहिया तो संभलती ही नहीं। रोड काफ़ी अच्छा लग रहा है। जनाब आप के ब्लोग पर जो आप का फ़ोटो लगा है और ये जो यात्रा वर्णन के फ़ोटोस हैं उसमें तो बहुत अलग लग रहे हैं। कौन से वाले आप हैं?…:)

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  7. पिछले दिनों हम ने भी 30 किलोमीटर की, यात्रा बाइक से करना चाही थी। पर बारिश थी और मुकदमों की फाइलें साथ में। इस लिए कार से गए। और अच्छा ही किया। 30 में से बीस किलोमीटर इतने गड्ढे मिले कि लगा सड़क पर नहीं चांद पर कार चला रहे हैं।

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