13 की शाम लगभग 3 बजे तक मेरा सारा कार्यक्रम तय हुआ.. अचानक से घर जाने का प्लान बनने से अचानक से ही दिल्ली जाना तय हुआ था.. मैंने लगभग 1-2 महीने पहले पंगेबाज जी से कहा था कि मैं जब कभी भी दिल्ली जाऊंगा तो उनसे जरूर मिलूंगा.. मैंने बस उनका नंबर घुमाना शुरू कर दिया.. उनका नंबर नहीं लगा.. तभी मेरे जीटॉक की गुलाबी बत्ती जगमगाने लगी.. मैंने देखा पंगेबाज जी ही थे मुझे पिंग करने वाले.. वो कुछ और ही बात कर रहे थे मगर मैं सीधा उनसे बोला की आपका नंबर मिला रहा हूं मगर नहीं लग रहा है.. तुरत उन्होंने मुझे अपना नंबर फिर से भेजा.. अबकी बार उनका नंबर लग गया.. मैं पहले तो बात करने में कुछ संकोच कर रहा था मगर उनसे बात करके अच्छा लगा, उनसे बात करके ही मुझे लगा की बहुत ही उर्जावान व्यक्तित्व के मालिक होंगे जो अगले दिन सच भी निकला..
उनसे बात करने पर पता चला की अगले दिन अजित वडनेकर जी भी भोपाल से आ रहे हैं.. उन्होंने मुझे सीधे ब्लौगवाणी के कार्यालय में आने को कहा और साथ ही ये भी बताया की आलोक पुराणिक जी भी आ रहे हैं.. मुझे उस समय जी.विश्वनाथ जी की बात याद आ गई, जब मैं उनसे बैंगलोर में मिला था तब उन्होंने मुझसे बस यूं ही पूछा था की इससे पहले कितने ब्लौगर से मिल चुके हो? और मेरा उत्तर था की अभी तक तो बस आप ही हैं.. वो हंसते हुये कहे की मैं ब्लौगर कहां हूं, मैं तो बस टिप्पणियां ही करता हूं..
सुबह की फ्लाईट से लगभग 2 घंटे और 20 मिनट की दूरी तय करके दिल्ली में उतरा और पंगेबाज जी को फोन किया, ब्लौगवाणी कार्यालय का पता लिया और आधी दूरी बस और आधी दूरी ऑटो रिक्से से तय करके अपने नियत जगह पहूंचा.. थोड़ी देर में पंगेबाज जी भी मुझे लेने लिये वहां आ गये थे.. सच पूछा जाये तो मुझे सबसे ज्यादा उत्सुकता मैथिली जी और सिरील जी को देखने की थी, क्योंकि कभी उनकी तस्वीर तक मैंने नहीं देखी थी.. हवाई जहाज से बादलों के ऊपर ली हुई तस्वीर
जब मैं वहां पंगेबाज जी के साथ पहूंचा तो वहां अजित जी, मैथिली जी और सिरील जी थे.. कुछ इधर-उधर की बातें हुई.. हम लोगों के लिये ब्लौगवाणी स्पेशल पेस्ट्री :)और छोले-भटूरे नाश्ते में था.. थोड़ी देर में पता चला की मसीजिवी जी और राजेश रोशन जी भी आ रहे हैं.. 11 बजे के लगभग सभी लोग आ गये.. अच्छा लगा सभी से मिलकर.. ज्यादा विस्तार से मैं नहीं लिख रहा हूं, क्योंकि मैंने शीर्षक में ही लिख रखा है की ये कोई ब्लौगर मीट नहीं थी बस यारों की महफ़िल थी.. बस यही एक कारण है की मैं कोई तस्वीर भी नहीं लगा रहा हूं.. नहीं तो एक अच्छे चिट्ठाकार वाला सारा गुण मुझमें है और मैं इस एक पोस्ट का 10 पोस्ट लिख सकता हूं.. उस दिन पता चला की शिव कुमार मिश्र जी भी आने वाले हैं.. उनसे ना मिलने का अफ़सोस बस दिल में बाकी रह गया.. :)
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प्रशांत भाई धन्यवाद,आप का लेख पढ कर मजा आ गया, ओर साथ मे पता भी चल गया की ब्लौगवाणी कार्यालय दिल्ली मे हे, तो भाई जब भी दिल्ली आया तो पंगेवाज जी से जरुर मिलना हे शायद हमे भी छोले भटुरे मिल जाये
अरे प्रशांत, यहां दिल्ली में रहते हुए मेरा बहुत ही कम ब्लॉगरों से मिलना हुआ है और सिर्फ दो बार मैथिली जी से फोन पर कुल मिलाकर ४ मिनट की बात हुई है। अगली बार आओ तो पहले से प्रोग्राम बनाना तो महफिल फिर जम जाएगी।
प्रियवर, हम तो अपना कैमेरा भूल ही गए थे , सो आपके हाथ में इसे देख कर तसल्ली हुई। अब वो लम्हें हमें जरूर अलग से मेल से भेज दें। बाकी मुलाकात अच्छी रही थी। कुछ जल्दी थी , मगर फिर से मिलने की दिलचस्पी जगानेवाली थी।
Baw ah, kasagad sa imo maghimo blog. Nalingaw gd ko basa.
ReplyDeleteYutarets! kasagad bah!
ReplyDeleteI could give my own opinion with your topic that is not boring for me.
ReplyDeleteप्रशांत भाई धन्यवाद,आप का लेख पढ कर मजा आ गया, ओर साथ मे पता भी चल गया की ब्लौगवाणी कार्यालय दिल्ली मे हे, तो भाई जब भी दिल्ली आया तो पंगेवाज जी से जरुर मिलना हे शायद हमे भी छोले भटुरे मिल जाये
ReplyDeleteसर जी, छोले भटूरे का तो पता नहीं मगर ब्लौगवाणी के कार्यालय में आपको ब्लौगवाणी स्पेशल पेस्ट्री जरूर मिल जायेंगे.. :)
ReplyDeleteचलिए जब आप कह रहे हैं कि यह बस यारों की महफिल थी तो मान लेते हैं और अधिक वर्णन की आशा नई करते।
ReplyDeleteये बढ़िया रहा कि आप इन सब से मिल लिए।
अरे प्रशांत, यहां दिल्ली में रहते हुए मेरा बहुत ही कम ब्लॉगरों से मिलना हुआ है और सिर्फ दो बार मैथिली जी से फोन पर कुल मिलाकर ४ मिनट की बात हुई है। अगली बार आओ तो पहले से प्रोग्राम बनाना तो महफिल फिर जम जाएगी।
ReplyDeleteप्रियवर,
ReplyDeleteहम तो अपना कैमेरा भूल ही गए थे , सो आपके हाथ में इसे देख कर तसल्ली हुई। अब वो लम्हें हमें जरूर अलग से मेल से भेज दें। बाकी मुलाकात अच्छी रही थी। कुछ जल्दी थी , मगर फिर से मिलने की दिलचस्पी जगानेवाली थी।
पढ़ कर अच्छा लगा.
ReplyDeleteअगर आप इसे ब्लोगर्स मीट नाम दे भी देते तो क्या हर्ज़ था.
अच्छा है आप लोग मिल तो लिये ......पर यार ये हवाई जहाज से फोटो खीचना तो मना होता है ना ?
ReplyDelete@ Ajit ji : ji, bilkul.. jald hi aapko bhej deta hun un lamhon ki tasveeren.. :)
ReplyDelete@ Anurag ji : aji jab tak flight airport par hi rahta hai tab tak mana hota hai.. ek baar take off kar le fir mana nahi hota hai.. :)
काश हम भी वहाँ होते...!
ReplyDeleteअच्छी रही आपकी दोस्तोँ से मुलाकात यही जाहीर हुआ है ,
ReplyDeleteबढिया जी !
- लावण्या
बढ़िया। मिलते रहिये और लिखते रहिये।
ReplyDeleteब्लॉगवाणी में नाश्ता मस्त मिलता है; यह काम की जानकारी थी। भविष्य में उपयोग करेंगे।