Wednesday, July 16, 2008

मेरे मरने के बाद किसे कितना मिलेगा?

जब काम करते हुये मूड ऑफ होता है तब तमिल सुन कर हिंदी में ही बोल देता हूं "अरे यार तमिल नहीं आती है.." और उधर से जो कोई भी होता है वो घबरा जाता है हिंदी सुन कर क्योंकि उसे हिंदी नहीं आती होती है.. फिर मैं फोन ऑफ कर देता हूं.. कभी-कभी जब पूरे मूड में होता हूं या फिर बोर होता रहता हूं तो बस इस तरह के कॉल का भरपूर आनंद उठाता हूं.. सामने वाले से इतने सवाल पूछता हूं की वो अपना पीछा छूड़ाने की सोचने लगे..

मैं बात कर रहा हूं अवांछित फोन कॉल की जो ज्यादातर किसी बैंक के क्रेडिट कार्ड के लिये होता है, या फिर इंस्योरेंस कंपनी वालों का होता है.. आज मैं आपको वे बातें सुनाता हूं जो अक्सर इंस्योरेंस कंपनी वालों के साथ मेरी होती है..

वैसे तो ये बातें हिंदी, अंग्रेजी और कुछ तमिल शब्दों का मिश्रण होता है मगर मैं इसे आपके सामने हिंदी में पेश करता हूं..

"हेल्लो! सर मैं फलाना इंस्स्योरेंस कंपनी से बोल रहा हूं.."
"हां!! कहिये"
"सर आपने कितने इंस्योरेंस लिये हैं?"
"एक भी नहीं.."
"सर इस इंस्योरेंस को लेने से आपको फलाना-चिलाना फायदा मिलेगा.."
"मुझे इससे क्या फायदा होगा?"
"सर इतने साल के बाद आपको इतने पैसे मिलेंगे.."
"अच्छा? कितने प्रतिशत पर?"
"सर फलाना प्रतिशत पर.."
"लेकिन अगर मैं फिक्स डिपोजिट अगड़म बैंक से करता हूं तो मुझे ज्यादा प्रतिशत का ब्याज मिलेगा.."
"सर आप समझे नहीं, ये फिक्स डिपोजिट से कहीं ज्यादा फायदे वाला है.."
"आप बतायेंगे तभी तो पता चलेगा.."
"सर भगवान ना करे ऐसा हो, मगर अगर आपको कुछ हो जाये तो आपके परिवार वालों को इतना मिलेगा.."

अब तक मेरा अच्छा टाईम पास हो चुका था सो अब बात खत्म करना चाह रहा था.. सो बोला, "मुझे तो कुछ नहीं मिलेगा ना? और मेरे मरने पर जो पैसा मेरे घरवालों को मिलेगा उस पैसे की उन्हें जरूरत नहीं होगी.. उससे ज्यादा मेरी जरूरत है उन्हें.. और मेरे उपर अभी तक कोई निर्भर नहीं है जिसे उस पैसे से कोई फायदा हो.. कोई और फायदा आपको बताना है क्या?"
अब तक वो समझ चुका होता है कि ये नहीं लेने वाले हैं सो मन में गालियां देते हुये बोलता है, "ठीक है सर.. धन्यवाद.."
"धन्यवाद.."


अगर मैं बात करने के मूड में नहीं होता हूं तो भले ही बैठ कर मक्खी मारता रहूं मगर एक सपाट सा उत्तर देता हूं.. "मैं अभी मिटींग में हूं, क्या आप बाद में कॉल करेंगे?"

Related Posts:

  • मुट्ठी भर हवामुझे भरोसा था, तब भी और अब भी, कि मैं हवा को हाथों से पकड़ सकता हूँ. कई सालों से मैंने कोई कोशिश नहीं की, मगर फिर भी बचपन के उस भरोसे को नकारना नामुमक… Read More
  • इकबालिया बयान ! - भाग एकबयान एक - मेरा नाम अदिति है. अब वो क्या है ना कि, जब भी मेरे प्रछांत मामू मेरे यहाँ आते हैं दिल्ली में तो ज्यादा टाईम मेरे साथ नहीं रहते हैं. बहुत थोड… Read More
  • Space Complexity बनाम वो लड़कीSpace Complexity का संगणक अभियांत्रिकी(अब कंप्यूटर इंजीनियरिंग का इससे अच्छा अनुवाद मैं नहीं कर सकता, आपको यही पढ़ना होगा.. समझे?) में बहुत महत्त्व है… Read More
  • और वह मरने कि हद तक जिन्दा रहा!!दो लोग अनिश्चितता की स्थिति में बैठे हुए थे.. एक ही बेंच पर.. दोनों अपने कोने को पकड़ कर, जैसे किसी समानांतर रेखा कि ही तरह कभी ना मिलने वाले.. यह एक … Read More
  • भोरे चार बजे की चाय अब भी उधार है तुमपे दोस्त!!दिल्ली में पहली मेट्रो यात्रा सन 2004 में किया था, सिर्फ शौकिया तौर पर.. कहीं जाना नहीं था, बस यूँ ही की दिल्ली छोड़ने से पहले मेट्रो घूम लूं.. नयी नय… Read More

10 comments:

  1. मैं भी कुछ ऐसा ही करता हूँ, लेकिन लड़कियों से थोड़ा प्यार से बात कर लेता हूँ. :-)

    ReplyDelete
  2. अति सुन्दर रचना।

    ReplyDelete
  3. ???[फालतू फ़ोन काल से ] से बचने के सरल उपाय :) देते इस लेख का नाम ..:)

    ReplyDelete
  4. अभिषेक जी, अगले पोस्ट में आपको एक किस्सा सुनाऊंगा.. एक लड़की के फोन कॉल का.. :)

    रंजू जी.. अभी भी मौका है.. कहिये तो नाम बदल देता हूं.. :)

    ReplyDelete
  5. कोई इस राज को बतायेगा की ये भरी दोपहरी जब आप एक झपकी को ढूंढ रहे होते है तभी क्यों आते है.......सेल्लुलर कंपनी की सेवाए कई बार ले चुंका हूँ पर कोई फायदा नही........

    ReplyDelete
  6. हम तो इन लोगों को, जब भारतियों का फोन आता है, अपनी कविता सुना कर शौक पूरा करते हैं.

    यह पढियेगा:

    http://udantashtari.blogspot.com/2007/05/blog-post.html

    ReplyDelete
  7. आप की पीछा छुड़ाने की टिप अच्छी लगी। मेरे भी बहुत काम आएगी। और अभिषेक जी की टिप्पणी परखने के लिए उन को किसी से फोन करवा कर देखते हैं। बस आप इतना करें कि उन का फोन नंम्बर मुझे भिजवा दें। मैं ने अपना फोन नम्बर आप को ई-मेल कर दिया है।

    ReplyDelete
  8. बाज आयें इन फोनकारों से!

    ReplyDelete
  9. प्रशांत भाई बहुत काम की बात बताई, ओर आप के लिखने का ढंग भी प्यारा हे, धन्यवाद
    अब हमारी कहानी भी सुन ले
    कल मुझे ऎसे ही एक फ़ोन आया, लडकी थी, ओर सीधे बोली मेने आप की बीबी से बात करनी हे( इस लडकी ने करीब १५, २० बार पहले भी फ़ोन किया था, ओर हम सब बहुत तगं थे, बच्चो कॊ कुछ सुझ नही रहा था कया करे)तभी मेरे तीसरे नेत्र ने थोडी पलक झपकी, ओर मेने प्यार से कहा मेरी बीबी यहा नही, लड्की ने पुछा कब आये गी, मेने कहा अब कभी नही, क्यो? लडकी ने जबाब मे पुछा, मेने कहा मेने उसे घर से निकाल दिया हे( सभी घर वाले ओर बीबी अपनी हंसी मुस्किल से रोके थे)लडकी बोली सोरी.. मेने कहा मेडम आप के पास समय हो तो बोलो, मुझे ओर लडकी जल्दी से फ़ोन रख कर भागी, ओर मेरी बीबी बहुत खुश हुई, ओर बच्चो ने शुकर किया... तभी फ़ोन की घण्टी बजी... ओर सभी के चहरे का रगं मेरे सिवा उड गया.... मे फ़ोन उठा कर उस लडकी से बाते करने लगा मीठी मीठी... तभी मेरे लडके ने मेरा मोबाईल देख लिया ओर हम सब फ़िर खुब हसंए( मेने घर का ना० खुद ही दायल कर दिया था)

    ReplyDelete
  10. @ अनुराग जी - सही कहा आपने.. ऐसे तो जल्दी नींद भी नहीं आती है और अगर आ भी जाये तो कहीं से फोन आ जाता है..

    @ समीर जी - पढा जी, बहुत सुंदर.. बस मजा आ गया.. और ट्रिक भी बढिया था.. :)

    @ दिनेश जी - जी अभी उनका नंबर ले कर आपको देता हूं.. आपसे माफी भी चाहूंगा, मैंने आपका नंबर तो ले लिया मगर फुरसत नहीं मिल रही है कि आपसे बात करूं.. रात में जब फुरसत मिलती है तब लगता है कि अब तो आप सो गये होंगे..

    @ ज्ञान जी - धन्यवाद..

    @ राज जी - बहुत मजेदार वाकया सुनाया आपने.. :)

    ReplyDelete