Friday, July 25, 2008

यात्रा वृतांत, विकास की कलम से (पार्ट - 5)

अफ़सोस हुआ कि संजीव इतना बोला था की "बेटा स्वीमिंग सीख लो" लेकिन नहीं सीखे कॉलेज में.. खैर, कुछ हद तक वहीं पर हम और प्रशान्त सीखे.. जो सीखे शायद उसका नाम बैक फ्लोट था.. कर्टसी (बाला और वाणी).. मजा आया.. शिव और वाणी तो पहले से ही जानते थे.. इसलिये वो लोग मजे से पानी में इधर उधर घूम रहे थे..



पानी से निकल कर आराम करने के बाद हम लोग फिर निकल पड़े और करीब 2 घंटे के बाद फिर एक जगह रुके जहां पर खाना पानी हुआ.. सबसे अच्छी बात ये थी की ये लोग कोइ भी कचरा छोड़ नहीं रहे थे.. सारा ले कर चल रेहे थे.. ये अच्छा लगा और लगा की अर्चना के अलावा और भी है कोई जो बाहर में सफाई का इतना खयाल रखता है.. जब चलते थे तो लगता था बहुत ही गलत डिसिजन था यहां आने का लेकिन जब आराम करने के लिये मिलता था तो मजा आता था..

बीच जंगल की बारिश भी मिली और उसका पुरा आदर सम्मान करते हुए हम लोग सब पानी में भींगे भी.. कोई ऑप्सन नहीं था इसलिये जैसा सिचुवेसन था उसी में मजे करना था.. :)



किसी तरह रात होते होते वहां पर पहूंच ही गये जहां पर टेंट लगाना था.. फिर रात में खाना पीना खा कर आराम साराम होने लगा.. ट्रेक में कुछ लोगों से अच्छी बातें भी हुई जिस्मे सम्यक, बाला जी, आरुल, मुकुंद, विवेक थे.. इसमे सम्यक पुणे से था और बहुत ही एनर्जेटिक था.. जब बोलता था "Keep Moving" तो मन करता था की गोली मार दें लेकिन और कोई ऑप्सन नहीं था.. साला "Keep Moving" करते कराते बहुत सारा Moov भी लगाना परा..

आरुल भई तो रॉक क्लिंबिंग का कोर्स किये थे और ऐसे ऐसे करतब दिखा रहे थे कि उनका नाम स्पाईडर मैन रखना परा.. हमारे अपने शिव भी एक दो बार उनको फॉलो कर रहे थे.. हम बोलें की बेटा संभल कर नहीं तो तेरा नाम "Dead Man" रखना परेगा.. आरुल पानी भी जानवर कि तरह ही पी रहा था और कप नूडल्स भी फोर्क के बजाये पेड़ की डाल तोड़ कर खा रहा था.. हम सोचें की बेटा शहर में क्यों रहता है ये.. यहीं रह जा.. पेड़ का पत्ता वत्ता खा के जिंदा रह लेगा..

फोटो शोटो करवाने के मामले में वाणी का जवाब था ही नहीं और वहां पर वो डिमांड में भी थी.. आखिर लोग करते भी क्या.. कोई और थी ही नहीं.. :)



कुछ लोग प्रोफेशनल फोटोग्राफर थे.. जैसे रित्विक और सम्यक.. बड़ा बड़ा कैमरा ले कर आये थे.. वाणी तो सम्यक के कैमरा पर एक दो हाथ भी आजमा ली.. वाणी और प्रशान्त के कैमरे से बहुत कम ही फोटो शूट किया गया.. क्योंकि एक तो किसी में उतना जान नहीं था और दूसरा जब उससे बेहतर फोटो मिल जायेगा तो कौन खराब फोटो लेना चाहेगा..

(क्रमशः...)

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8 comments:

  1. bahut hi rochak vratant hai...ab to aise hi kisi camp mein jane ka man kar raha hai.

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  2. काफ़ी इंटरेस्टिंग है.
    आपने लिखा भी बहुत खूब तरीके से है.
    मज़ा आ रहा है कसम से :)

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  3. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। रोचकता से भरपूर।

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  4. लेखन रुचिकार है.. समा बांधता जा रहा है

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  5. रोचक तो है ... लेकिन स्वीमिंग की याद दिला के आपने अच्छा नहीं किया... अब तो स्वीमिंग का कुछ जुगाड़ करना ही पड़ेगा !

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  6. यह पहला फोटो डाइविंग का वह भी पथरीली क्रिवाइस में - बड़ा खतरनाक लग रहा है।
    खैर, जितना खतरनाक, उतना ज्यादा रोमांच!

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  7. रोचक !! बढ़िया वृतांत..आनन्द आ गया.आभार.

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  8. :D :D :D :D :D
    kya mazedaar kissa likha hai...PD yaar kuch seekho apne doston se :P

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