Monday, November 26, 2007

मेरे मित्र का प्रणय निवेदन

"यार! ये प्राणाय क्या होता है?", शिवेन्द्र ने चीख कर पूछा।"क्या? मैं कुछ समझा नहीं", मैंने रसोई में रोटीयां सेकते हुये चिल्ला कर पूछा साथ में रोटीयां बेलते हुये विकास ने भी पूछा।"प्राणाय? प्राणाय?""पूरी बात बताओ तब समझ में...

Friday, November 23, 2007

एक अजनबी सी मुलाकात, एक अजनबी से मुलाकात

मैंने वंदना को फोन किया और पूछा कहां हो तुम, उसने कहा कि 10 मिनट में आती हूं। उस समय सुबह के 10 बजकर 15मिनट हो रहे थे। हमने 10 बजे मिलने का समय तय किया था पर मैं 15 मिनट देर् से पहूंचा था और वंदना, जिसे मैंने पहले बता दिया...

Tuesday, November 20, 2007

एक क्षण

एक क्षण,जब कुछ भी आपके लिये मायने नहीं रखता,एक पल में सब अधूरा लगने लगता है..ना जिंदगी से प्यार,ना मौत से भय,ना सुख का उल्लास,ना दुख का सूनापन,ना चोटों से दर्द,ना सड़कों की गर्द..निर्वाण की तलाश,आप करना चाहते हैं,पर मखौल...

Saturday, November 17, 2007

दिपावली कि छुट्टीयां

शुक्रवार का दिन था, मैं आफिस से जल्दी घर लौटना चाह रहा था और अपना सामान ठीक करके जल्दी सो जाना चाह रहा था क्योंकि मुझे अगले दिन दिल्ली के लिये फ्लाईट पकड़नी था। मैं जिस छुट्टी का कई दिनों से इंतजार कर रहा था वो पास आ चुका...

Thursday, November 15, 2007

ययाति

मैं जब घर से चला तो मैंने पापाजी से हमेशा की तरह पूछा, कोई अच्छी किताब मिलेगी क्या? उन्होंने कहा, "उधर रैक पर से कोई सा भी उठा लो"। मेरी नजर सबसे पहले ययाति पर पड़ी और मैंने उसे ही उठा लिया और पापाजी से पूछा कि ये कैसी है, और उनका उत्तर सकारात्मक पा कर मैं उसे लेकर घर से निकल पड़ा। इधर कुछ दिनों से मुझे...

Friday, November 02, 2007

यादें तरह-तरह की

कुछ याद करने पर बहुत कुछ याद आता है। यादें अच्छी भी होती हैं और बुरी भी, पर यादें तो यादें होती हैं और उसे अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं होता है। पर हां मेरी एक आदत बहुत बुरी है, मैं यादों को संजो कर रखता हूं। मुझसे कई लोग अक्सर...