Monday, October 29, 2007

वो रिक्त स्थान

वो रिक्त स्थान,जो तुम्हारे जाने से पैदा हुआ था,वो आज भी,शतरंज के ३२ खानों की तरह खाली है..कई लोग चले आते हैं,उसे भरने के लिये,मगर उन खानों को पार कर,निकल जाते हैं,उसी तरह जैसे शतरंज की गोटीयां..जीवन की बिसात पर,जैसे-जैसे...

Friday, October 26, 2007

बैंगलोर-मैसूर यात्रा वर्णन (भाग दो)

मैं और विकास वहीं मैसूर में ठहर गये। वहां पहूंचते ही मैंने अपना हाथ-पैर धोया और बिस्तर पर लेट गया और थकावट ऐसी की लेटते ही नींद ने मुझे घेर लिया। अगले दिन हमलोग सुबह का नाश्ता खाकर बैंगलोर के लिये चल पड़े। इस बार हमदोनों...

Wednesday, October 24, 2007

बैंगलोर-मैसूर यात्रा वर्णन

५ गाडियाँ१० लोगरास्ता बंगलोर-मैसूर हाइवेदूरी ३७५KM(चंदन की गाड़ी से मापी हुयी)(सबसे पहले: ये पोस्ट कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी है जिसके लिये मैं क्षमा चाहूंगा। पर मैं इसमें कुछ कांट-छांट नहीं सकता था।)इस बार मेरे कुछ दोस्तों...

Tuesday, October 23, 2007

अज्ञात कविता

आज यूं ही कुछ कविताओं की बातें रही थी तो मेरी एक मित्र ने मुझे एक कविता इ-पत्र के द्वारा भेजा, जो मुझे कुछ अच्छी लगी उसे यहां डाल रहा हूं। मगर पोस्ट करने से पहले मैं अपने मित्र का परिचय देना चाहता हूं। उसका नाम है नेहा।...

Wednesday, October 17, 2007

फ़ुरसत के रात दिन

ये मनुष्य का प्राकृतिक गुण होता है कि जब उसके पास काम होता है तो वो चाहता है की कैसे ये काम का बोझ हल्का हो, और जब उसके पास कोई काम नहीं होता है तो वो चाहता है कि कोई काम मिले। आज-कल मैं भी कुछ ऐसी ही अवस्था से गुजर रहा...

Sunday, October 07, 2007

एक बीता हुआ कल

आज-कल ना जाने क्यों अकेलेपन का एहसास कुछ अधिक ही बढ गया है। कहीं भी जाऊं बस खुद को भीड़ में अकेला महसूस करता हूं। मुझे चेन्नई में दो जगहें बहुत अधिक पसंद है। मुझे पढने का बहुत अधिक शौक है और मुझे जो भी मिलता है वही पढ जाता हूं, चाहे वो तकनिक से संबंधित कोई जानकारी हो या फिर साहित्य से संबंधित या व्यवसाय...