
वो रिक्त स्थान,जो तुम्हारे जाने से पैदा हुआ था,वो आज भी,शतरंज के ३२ खानों की तरह खाली है..कई लोग चले आते हैं,उसे भरने के लिये,मगर उन खानों को पार कर,निकल जाते हैं,उसी तरह जैसे शतरंज की गोटीयां..जीवन की बिसात पर,जैसे-जैसे...
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...