Monday, July 23, 2007

भैया और भाभी

मेरी प्यारी सी दुनिया - भाग २
समय है भैया और भाभी की चर्चा करने की। सबसे पहले तो मैं इन दोनों को ढेर सारी शुभकामनाए देने के साथ आप लोगों को ये बताना चाहूंगा कि ये दोनों अभी-अभी २२ जून को शादी के बंधन में बंधे हैं।

हां तो सबसे पहले मैं अपने प्यारे भैया के बारे में बताना चाहूंगा कि ये मेरे बहुत ही अच्छे मित्र हैं पर जब कभी बड़े भाई का पात्र निभाने का मौका मिला है, तो इन्होंने उसे बहुत ही अच्छे तरीके से निभाया है. जब हम बच्चे थे तब खूब लड़ा करते थे, मुझे याद भी नहीं है की मैंने कितनी बार उनको मारा होगा (वैसे मैं भी कम मार नहीं खाता :)) । पर आज हालात ये है की अगर वो मुझे कि किसी बात के भी मारें तो यह हाथ नहीं उठने वाला है. कारण आप अच्छी तरह समझ रहे होंगे कि बात शारीरिक शक्ती या पशु-बल की नहीं है, बल्कि आदर और सम्मान की है जो समय के साथ बढता ही जा रहा है।

जैसा मैं अपने पिछले चिट्ठे में लिख चुका हूं, "मैं बचपन से ही अपने घर में सबसे बदमाश रहा हूं" और कभी पढता-लिखता नहीं था. मगर भैया इसके ठीक विपरीत जन्म से ही असीमित प्रतिभा वाले रहें हैं. अब अगर मैं इनके बारे में ये कहूं कि ये IIT Roorkee के Topper भी रह चुके हैं तो आगे इनकी क्षमता के बारे में चर्चा करने की जरूरत नही होनी चाहिये।

एक बात बताता हूं जो मैंने आज तक किसी से भी नही कही है। "मुझे उन दिनों कि याद अभी भी है जब मेरी उनसे बिलकुल भी नहीं बनती थी पर जब कभी भी मैं इनके साथ कहीं बाहर जाता था तो खुद को बहुत सुरक्षित महसूस करता था." भैया मुझसे इतने ज्यादा बड़े नहीं हैं कि कोई मुसीबत आने पर उस समय अपनी भी रक्षा कर पाते, फिर भी मुझे लगता था कि मैं भैया के साथ हूं, कौन मेरा क्या बिगाड़ लेगा।

खैर अतीत से बाहर आता हूं और कुछ वर्तमान की चर्चा करता हूं। अभी ये भारतीय अभियंता सेवा में कार्यरत हैं। इन्होंने सिंदरी से जानपद अभियंता की उपाधि प्राप्त की है और इन्होंने M.Tech. IIT Roorkee से की है। ज्ञान और दर्प से दमकता चेहरा, जिस पर आत्मविश्वास सोने पे सुहागा जैसे कहावत को सच करता है।

कुछ भाभी की बातें:
मुझे कार्यालय से ज्यादा दिनों की छुट्टी नहीं मिल पाने की वजह से इनके साथ ज्यादा दिन नही बिता पाया था सो बहुत ज्यादा कुछ पता नहीं है, लेकिन फिर भी इतना तो बता ही सकता हूं कि मेरी भाभी बहुत प्यारी सी और भोली सी है। मुझे इनको चिढाने में बहुत मजा आता है, मैं इनको हमेशा अपनी बात इस् अंदाज में कहता हूं की इन्हें समझ में ना आये और जब मेरी बात इनके समझ में नहीं आती है तब बस मजा आ जाता है। :D
वैसे मेरी भाभी की हंसी बिलकुल बच्चों जैसी मासूम है, अगर भरोसा ना हो रहा हो तो आप खुद ही इनसे मिल लें। इनके बारे में कभी मैं फुरसत में बताउंगा, जब मैं खुद इनके बारे में अच्छी तरह जान जाउंगा। तब-तक के लिये विदा चाहूंगा।
अलविदा

1 comment:

  1. Aaj pehli bar yeh blog dekha.Bhid se alag, parivarik smritiyon se juda hua. Kafi apna sa laga.Aisi hi suhani yaaden baantate rahiye. (Abhishek Mishra)

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