"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"तुमको ठग लिया"
सामने से स्माइल पर मन ही मन गाली देते हुए, "साले, जब घर ढूंढ रहा था तब तेरी सलाह कहाँ गई थी? इतना ही है तो अभी भी इससे कम में उसी आस-पास में ढूंढ कर दे दो. मेरा क्या है, मेरा तो पैसा ही बचेगा"
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"अकेले रहते हो तो इतना पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हो? किसी PG में क्यों नहीं ढूंढ लेते हो?"
फिर से मन में गाली देते हुए, "पैसा मैं कमाता हूँ, घर में मैं रहता हूँ, घर का किराया मैं देता हूँ, तो तुम्हें क्या दिक्कत है हज़रत? कोई PG चलाते हो क्या? या किस PG वाले कि एजेंट हो?"
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"और ऑफिस कहाँ है?"
"वहीं पास में, घर से आधे किलोमीटर पर"
"चार किलोमीटर दूर ले लेते तो दो हजार कम लगता"
फिर से मन में सोचते हुए, "और उसके साथ दो घंटे के ट्रैफिक का धुवाँ और धूल भी मुफ़्त में ही मिलता + दो घंटे बर्बाद अलग से, आपको आपकी अपनी धूल मुबारक़, हमें अपना बचा हुआ समय मुबारक़."
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"कितना अडवांस लिया?"
"साठ"
"थोडा और निगोसिएट करना चाहिए था तुमको"
मन में सोचते हुए, "जब घर ले रहा था तब भी तुम सबको पता था. जब इतनी ही चिंता थी तो तभी आकर खुद निगोसिएट करके कम में अडवांस तय करवा देते"
दोस्तों को मेरी सलाह है, मुफ़्त की सलाह अपने ही पास रखें. मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ.
PS : पिछले दो महीनों में ऐसी कितनी ही बातें सुन-सुन कर पक चुका हूँ. अगर आप मदद कर सकते हैं तो सलाह दें, वरना अपनी सलाह अपने मुंह में ही रखें.
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"तुमको ठग लिया"
सामने से स्माइल पर मन ही मन गाली देते हुए, "साले, जब घर ढूंढ रहा था तब तेरी सलाह कहाँ गई थी? इतना ही है तो अभी भी इससे कम में उसी आस-पास में ढूंढ कर दे दो. मेरा क्या है, मेरा तो पैसा ही बचेगा"
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"अकेले रहते हो तो इतना पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हो? किसी PG में क्यों नहीं ढूंढ लेते हो?"
फिर से मन में गाली देते हुए, "पैसा मैं कमाता हूँ, घर में मैं रहता हूँ, घर का किराया मैं देता हूँ, तो तुम्हें क्या दिक्कत है हज़रत? कोई PG चलाते हो क्या? या किस PG वाले कि एजेंट हो?"
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"और ऑफिस कहाँ है?"
"वहीं पास में, घर से आधे किलोमीटर पर"
"चार किलोमीटर दूर ले लेते तो दो हजार कम लगता"
फिर से मन में सोचते हुए, "और उसके साथ दो घंटे के ट्रैफिक का धुवाँ और धूल भी मुफ़्त में ही मिलता + दो घंटे बर्बाद अलग से, आपको आपकी अपनी धूल मुबारक़, हमें अपना बचा हुआ समय मुबारक़."
फिर से -
"कहाँ घर लिए हो?"
"जे.पी.नगर में."
"कितने में?"
"1BHK है, नौ हजार में"
"कितना अडवांस लिया?"
"साठ"
"थोडा और निगोसिएट करना चाहिए था तुमको"
मन में सोचते हुए, "जब घर ले रहा था तब भी तुम सबको पता था. जब इतनी ही चिंता थी तो तभी आकर खुद निगोसिएट करके कम में अडवांस तय करवा देते"
दोस्तों को मेरी सलाह है, मुफ़्त की सलाह अपने ही पास रखें. मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ.
PS : पिछले दो महीनों में ऐसी कितनी ही बातें सुन-सुन कर पक चुका हूँ. अगर आप मदद कर सकते हैं तो सलाह दें, वरना अपनी सलाह अपने मुंह में ही रखें.