Saturday, November 12, 2011

लफ्ज़ों से छन कर आती आवाजें

१ - वो काजल भी लगाती थी, और गर कभी उसका कजरा घुलने लगता तो उसकी कालिख उसके भीतर कहीं जमा होने लगती.. इस बदरा के मौसम में उस प्यारी की याद उसे बहुत सताने लगती है.. काश के मेघ कभी नीचे उतर कर किवाड़ से अंदर भी झांक जाता.. ये गीत लिखने वाले भी ना!! (कहाँ से आये बदरा गीत के सन्दर्भ में) २ - समय बदल गया...

Sunday, November 06, 2011

कहाँ जाईयेगा सsर? - भाग ३

दिनांक २३-११-२०११ सबसे पहले - मैंने गिने-चुने लोगों को ही बताया था कि मैं घर, पटना जा रहा हूँ.. घर वालों के लिए पूरी तरह सरप्राईज विजिट.. अब आगे - मेरे ठीक बगल में एक लड़का, जिसकी दाढ़ी के बाल भी अभी ठीक से नहीं निकले थे, बैठा हुआ था.. वो काफी देर से मेरे DELL Streak को बालसुलभता से देख रहा था.....

Saturday, November 05, 2011

यह लठंतपना शायद कुछ शहरों की ही बपौती है - भाग २

जब कभी भी इन रास्तों से सफ़र करने का मौका मिला हर दफ़े एक अजब सा लठंतपने को देखने का मौका भी मिला, मगर उसी लठंतपना का ही असर बाकी है जो मुझे पटना की ओर खींचता है.. चेन्नई से देल्ली तक का सफ़र वही आराम से और सुकून भरा था, मगर देल्ली से!! सुभानल्लाह.. दिल्ली उतर कर मुझे दूसरी फ्लाईट पकडनी थी.. दिल्ली...

Friday, November 04, 2011

एक सफ़र और जिंदगी में - भाग १

दिनांक २३-११-२०११ अभी चेन्नई से दिल्ली जाने वाली हवाई जहाज में बैठा ये सोच रहा हूँ की दस महीने होने को आये हैं घर गए हुए और आज जाकर वह मौका मिला है जब बिना किसी को बताए जा रहा हूँ.. मगर जाने क्यों मन बेहद उदास सा हुआ जा...