Thursday, February 25, 2010

ऐसा खुदा जिसने आवारागर्दी और यायावरी सिखाया

अब वह बात पुरानी हो चुकी है.. लोग उसे भगवान कहते कहते शायद भगवान मान भी लिए हों क्रिकेट का.. छुटपन में सपने देखते थे कि सचिन वन डे में दोहरा शतक जमाये.. बड़े होने के साथ वह दीवानगी कम होती गई.. आज जब उसने लगा ही दिया तब...

Wednesday, February 24, 2010

मेरा सामान

एक दफ़ा जब याद है तुमको,जब बिन बत्ती सायकिल का चालान हुआ था..हमने कैसे, भूखे-प्यासे, बेचारों सी एक्टिंग की थी..हवलदार ने उल्टा एक अठन्नी देकर भेज दिया था..एक चव्वनी मेरी थी,वो भिजवा दो..सावन के कुछ भींगे-भींगे दिल रक्खे हैं,और मेरी एक ख़त में लिपटी रात पड़ी है..वो रात बुझा दो,और भी कुछ सामान तुम्हारे...

Monday, February 22, 2010

दिमाग का एक और फितूर

मन में ठान लिया था कि अब नहीं सोचूंगा, बहुत सोच लिये और सोच-सोच कर दुखी भी हो लिये.. अब खुश रहना चाहता हूं.. वैसे भी जीवन ने यही पाठ पढ़ाया है कि जिसके लिये हम सोचते हैं और दुखी होते हैं उसके लिये हमारे प्रति उन सोच, प्यार,...

Monday, February 15, 2010

समय बड़ा बलवान हो भैया!!

जैसे-जैसे समय भागता जा रहा है, ठीक वैसे-वैसे ही मायूसी भी बढ़ती जा रही है.. लगता है जैसे दोनों समानुपाती हैं.. डर लगता है, कहीं मायूसी डुदासी का और उदासी अवसाद का सबब ना बन जाये.. मुझे इस मायूसी के कारणों का भी ज्ञान है, मगर वे कुछ वैसी ही बातें हैं जिसे मैं किसी से भी बांटना नहीं चाहूंगा!! देखता हूं...

Monday, February 08, 2010

दिल में बैठा एक डर

सुबह अमूमन देर से उठता हूं, दफ़्तर का समय भी कुछ उसी समय होता है.. मगर आज जल्दी नींद खुल गई.. सुबह के दैनिक क्रिया से निवृत होकर अपना मेल बाक्स चेक कर ही रहा था कि उधर से मेरे मित्र का फोन आया.. बेहद हड़बड़ी में था.. हेलो बोले...

कुछ बाते जो मुझे हद्द दर्जे तक परेशान करती हैं.. हमेशा..

अमूमन मेरी कोशिश रहती है कि हद तक किसी से झूठ ना बोलूँ.. मगर एक आम इंसान कि तरह सच को मैं भी छुपाता हूँ.. खासतौर से जब पूरी तरह से मेरी बात हो तब झूठ बोलने कि अपेक्षा मैं कुछ ना कहना ही पसंद करता हूँ.. वैसे भी मेरे साथ ऐसे किस्से कम ही आते हैं जब मुझे किसी से अपने बारे में कोई बात छुपानी पड़ी हो.. नहीं...

Saturday, February 06, 2010

कुछ चित्रों कि रंगीनियत से बुना गया पोस्ट

इस पोस्ट में डाले गए सभी चित्र मुझे बेहद खास पसंद हैं, और मेरे ही द्वारा लिए गए भी हैं.. लगभग सभी चित्र हाल-फिलहाल में लिए गए हैं, और इनमे मैंने किसी भी प्रकार कि छेड़छाड़ किसी साफ्टवेयर के द्वारा नहीं की है.. यह अपने पूर्ण...

Friday, February 05, 2010

अ फ्राईडे (अ वेडनेसडे कि तर्ज पर एक साफ्टवेयर कंपनी में)

प्रोजेक्ट मैनेजर राठौर - कौन हो तुम..??? क्या पहचान है तुम्हारी ?फोन से - कौन हूं मैं!! मैं वो हूं जो आज कमिटमेंट करने से डरता है, मैं वो हूं जो आज घर जाने से डरता है, ये सोच कर की कहीं घर वाले पहचानने से इंकार ना कर दें...मैं वो हूं जो, आज जॉब चेंज करता है तो सोचता है कि कहीं रिसेशन मे मुझे कंपनी...

Tuesday, February 02, 2010

क्यों चली आती हो

क्यों चली आती हो ख्वाबों मेंक्यों भूल जाती होतुमने ही खत्म किया थाअपने उन सारे अधिकारों कोमुझ पर सेअब इन ख्वाबों पर भीतुम्हारा कोई अधिकार नहींक्यों चली आती हो ख्यालो मेंकभी नींद चुराने, कभी चैन चुरानेतुमने ही तो मुझेअपने...