Saturday, January 30, 2010

समय चाहे जो भी लिखे, हम तो तटस्थ ही रहेंगे

आजकल जो हिंदी ब्लौग का माहौल बना हुआ है उसमें मेरे हिसाब से यही बात सही बैठती है.. तटस्थ ही रहें और अपनी ढफली बजाते रहने में ही भलाई है.. दो लोगों की अगर आपस में ठनी हुई है तो उसमें अपनी टांग ना घुसाने में ही मुझे भलाई दिखती है..मैं यह सब बातें इसलिये लिख रहा हूं क्योंकि यहां जिन लोगों में ठनी हुई सी...

Monday, January 18, 2010

ख्यालातों के अजीब से कतरन

रात बहुत हो चुकी है, अब सो जाना चाहिये.. कहकर हम दोनों ने ही चादर को सर तक ढ़क लिया.. वैसे भी चेन्नई से बैंगलोर जाने वाले को ही समझ में आता है कि सर्दी क्या होती है, और अगर किसी तमिलियन को सर्दी के मौसम में दिल्ली भेज दो तो जिंदा या मुर्दा, मगर अकड़ा हुआ शरीर ही वापस आयेगा..यूं तो कुछ दिन पहले भी बैंगलोर...

Sunday, January 10, 2010

हर तरफ बस तू ही तू

बहुत पहले कुछ गद्य के साथ इस पद्य को पोस्ट किया था.. आज फिर से इस पद्य को पोस्ट किये जा रहा हूं.. पूरी पोस्ट को पढ़ने के लिये उस पुराने पोस्ट पर जायें.. आपको कुछ निहायत लज़ीज कमेंटों को भी पढ़ने का लुत्फ आयेगा वहां.. मेरी प्रीत भी तू,मेरी गीत भी तू,मेरी रीत भी तू,संगीत भी तू..मेरी नींद भी तू,मेरा ख्वाब...

Thursday, January 07, 2010

दिल तो बच्चा है जी

सिनेमा देखते हुये वह सीन आया जब रैंचो के दोनों दोस्त यह सोच कर उदास थे कि चलो हम दोनों नीचे से ही सही, मगर पास तो हुये.. मगर अपना यार रैंचो फेल हो गया.. थोड़ी देर बाद पता चलता है कि रैंचो तो टॉप किया है और दोनों का चेहरा...

Tuesday, January 05, 2010

खुशियों का जरिया : ई-मेल या स्नेल-मेल

अभी थोड़ी देर हुये जब बीबीसी के हिंदी ब्लौग पर सलमा जैदी जी को पढ़ा, जिन्होंने नये साल में मिले ग्रीटिंग कार्ड को लेकर अपनी खुशी जाहिर की है.. और यह संयोग ही है कि आज ही मेरी प्यारी बहन और उतनी ही प्यारी मित्र स्नेहा का...