Tuesday, August 25, 2009

कमीने इफेक्ट, "वैसे मैं भी फ को फ बोलता हूं"

जिधर देखो उधर ही एक ना एक पोस्ट या आर्टिकल "कमीने" सिनेमा का पड़ा हुआ है आजकल.. जैसे यह आज के फैशन का एक हिस्सा बन गया है.. देख भले ली हो मगर यदी कुछ लिखा नहीं तो छीछालेदर होना ब्लौगजगत में आवश्यक है.. और हम तो ऐसा चाहते...

Monday, August 24, 2009

पता है आपको, आज मेरा पहला जन्मदिन है

पता है आपको, आज मेरा पहला जन्मदिन है.. और मेरे पहले जन्मदिन पर छोटे पापा ने मुझे सुबह-सुबह ढ़ाई बजे एक कविता लिख कर एस.एम.एस. किया.. आज आप वही कविता पढ़िये.. कल आपसे ढ़ेर सारी बातें करूंगा, अब मैं बड़ा जो हो गया हूं..देखो, देखो...

Tuesday, August 18, 2009

आज रंग है ए मां, रंग है री (एक कव्वाली नुसरत साहब की)

आज इस कव्वाली को सुनाने से पहले मैं इससे जुड़े एक दिलचस्प घटना के बारे में बताना चाहूंगा..अमीर खुसरो के सारे परिवार ने निजामुद्दीन औलिया साहब से धर्मदीक्षा प्राप्त की थी.. जब अमीर खुसरो महज सात वर्ष के थे तब उनके पिता अमीर...

Friday, August 14, 2009

एक नास्तिक के मुंह से जन्माष्टमी? राम-राम, क्या जमाना आ गया है.. :)

मैं मंदिर नहीं जाता हूं, ना ही किसी पूजा में शरीक होता हूं.. मगर फिर भी राधा-कृष्ण की बातें जहां कहीं संगीतमय हो जाया करती है वहां मेरे लिये बस आनंदम ही आनंदम.. चाहे बात किसी राधा-कृष्ण कि अवधी भाषा में लिखी गई कव्वालिया...

Tuesday, August 11, 2009

बिहारी बाबू कहिन - भैया हम पतरकार बन गये

घर जाने पर कई नये पुराने मित्रों और जान-पहचान के लोगों से मुलाकात हो जाया करती है.. उन लोगों से मिलना अच्छा लगता है और जहां पांच मिनट का काम हो वहां आधे घंटे बतियाने में ही निकल जाते हैं.. कई नये-पुराने, अच्छे-बुरे अनुभव भी होते हैं.. तो वहीं कुछ ऐसे अनुभव भी होते हैं जो इतना मजेदार होता है कि बस दोस्तों...

Friday, August 07, 2009

अप्पू, तुम्हारा नाम क्या है?

- अप्पू, तुम्हारा नाम क्या है?- अप्पू..- पापा का क्या नाम है?- अप्पू..- मम्मी का क्या नाम है?- अप्पू..- दीदी का क्या नाम है?- अप्पू..दीदी कि छोटी बिटिया, अपूर्वा जो लगभग ढ़ाई साल की है, से ये कुछ सवाल मैंने अलग-अलग तरीके...

Wednesday, August 05, 2009

क्या आपने मेरा ढोल देखा है?

क्या आपने मेरा ढोल देखा है? क्या कहा, नहीं देखा है? तो आज देख लें, बाद में ये मत कहें कि केशू ने अपना ढोल भी नहीं दिखाया.. अभी देखने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आपको मैं फ्री में बजा कर भी सुना रहा हू...

Monday, August 03, 2009

पापाजी से संबंधित कुछ और बातें

उस दिन जब पापाजी घर वापस आये तब मैं, भैया और पाहूनजी (जीजाजी) तीनों तुरत नीचे पहूंच गये उनका स्वागत करने के लिये.. कुछ-कुछ सुबह का माहौल भी ऐसा ही कुछ था.. पापाजी के रिटायरमेंट के मौके पर हम सभी का घर पर इकट्ठे होने का इरादा...

Sunday, August 02, 2009

पिताजी द्वारा किया गया आभार संबोधन

कल मेरे पापाजी रिटायर हो गये। अपने जीवन के पूरे 33 साल किसी नौकरी को देने के बाद उसे अचानक से छोड़कर चले जाना कैसे होता है यह उन्हीं से पूछिये जिनके साथ यह घटा हो। मगर कल जब वह घर वापस आये तो गर्व से उनका सीना कुछ और चौड़ा था और दर्प से चेहरे पर कुछ और चमक थी। क्यों? यह मैं अगले पोस्ट में बताऊंगा,...