Thursday, May 14, 2009

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?

सुरमयी आंखों के प्यालों की,
दुनिया ओ दुनिया..
सतरंगी रंगों गुलालों की,
दुनिया ओ दुनिया..
अलसायी सेजों सी फूलों की,
दुनिया ओ दुनिया रे..
अंगराई तोड़े कबूतर की,
दुनिया ओ दुनिया रे..
करवट ले सोई हकीकत की,
दुनिया ओ दुनिया..
दिवानी होती तबियत की,
दुनिया ओ दुनिया..
ख्वाहिश में लिपटी जरूरत की,
दुनिया ओ दुनिया रे..
इंसा के सपनों के नियत की,
दुनिया ओ दुनिया..

ओ री दुनिया...

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?

ममता कि बिखरी कहानी की,
दुनिया ओ दुनिया..
बहनों कि सिसकी जवानी की,
दुनिया ओ दुनिया..
आदम के हौव्वा से रिश्ते की,
दुनिया ओ दुनिया रे..
शायर के फीके लफ़्ज़ों की,
दुनिया ओ दुनिया..

गालिब के, मोमिन के ख्वाबों की दुनिया..
मजाजों के उन इंकलाबों की दुनिया..
फ़ैज, फ़िराकों, साहिर, मखदुम,
मीर, की ज़ौक, की दागों की दुनिया?

ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है?

पलछिन में बातें चली जाती हैं..
पलछिन में रातें चली जाती हैं..
रह जाता है जो, सवेरा वो ढ़ूंढ़ें..
जलते मकामें, बसेरा वो ढ़ूंढ़ें..
जैसी बची है, वैसी कि वैसी,
बचा लो ये दुनिया..
अपना समझ के, अपनों के जैसे,
उठा लो ये दुनिया..
छिटपुट सी बातों में जलने लगेगी,
संभालो ये दुनिया..
खटपुट के रातों में पलने लगेगी,
संभालो ये दुनिया..

ओ री दुनिया..

वो कहे है कि दुनिया,
भी इतनी नहीं है..
सितारों से आगे,
जहां और भी है..
ये हम ही नहीं हैं,
वहां और भी है..
हमारी हर एक बात,
होती रही है..
हमें एतराज,
नहीं है कहीं भी..
वाकई में फ़ाजिल हैं,
होंगे सही भी..
मगर फ़लसफ़ा ये,
बिगड़ जाता है जो,
वो कहते हैं..

आलिम ये कहता वो ईश्वर है..
फ़ाजिल ये कहता वो अल्लाह है..
कादिल ये कहता वो ईशा है..
मंजिल ये कहती तब इंसान से की,
तुम्हारी है, तुम ही संभालो ये दुनिया..
ये बुझते हुये चंद बासी चरागों,
तुम्हारे ये काले इरादों की दुनिया..

ओ री दुनिया....
ओ री दुनिया....


एक गीत गुलाल सिनेमा से..

9 comments:

  1. मेरे पसंदीदा एक्टर जो इस गीत के लेखक भी है ओर इसके संगीतकार भी ..पियूष मिश्रा.....उनका लिखा एक गाना मुझे बेहद पसंद है वो है अनुराग कश्यप की मूवी ब्लेक friday का .".अरे रुक जा रे बन्दे "

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  2. क्या कहने.... सुबह सुबह मौहाल बना दिया दोस्त.. आज तो दिन भर ये ही चलने वाला है...

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  3. थोडा सा क्रेडिट तो लिखने वाले को भी मिलना चाहिए न भाई..
    अपने पियूष मिश्रा ने लिखा है ये गाना और ये ही नहीं गुलाल फिल्म के सारे गानों का संगीत भी इन्होने ही दिया है और गाने भी लिखे है और साथ ही साथ फिल्म में 'पृथ्वी बना' नाम का चरित्र भी निभाया है.. वैसे रुक जा रे बन्दे अपना भी फेवरेट है..

    और पी डी थैंक्स इस गाने को यहाँ पोस्ट करने के लिए.. हमारे ऑफिस में दिन में दस बार ये गाना बजता है.. और ये ही नहीं गुलाल के सारे गाने.. :)

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  4. गुलाल के गाने बहुत पसंद है. ये भी.

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  5. पियूष मिश्रा ने ना इसे गया है बल्कि अभिनय भी किया है और अभिनय भी क्या लाजवाब अभिनय...शुक्रिया इसे यहाँ देने का.
    नीरज

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  6. This song is a tribute to Guru Dutt Saheb and poets like Ghalib, Faiz, Sahir and others. The song is an ode to the long lost dream that was India. This song , the "Aarambh hai prachand" , and "Sahar" are the pinnacles of meaningful lyricism, something Indian Cinema should be proud of.

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  7. This song is a tribute to Guru Dutt Saheb and poets like Ghalib, Faiz, Sahir and others. The song is an ode to the long lost dream that was India. This song , the "Aarambh hai prachand" , and "Sahar" are the pinnacles of meaningful lyricism, something Indian Cinema should be proud of.

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