राज जी तो अलग ही जुगत में थे, उनका सोचना था कि यही ताऊ है जिसने मेरे पिस्से अभी तक वापस नहीं किये, इतनी आसानी से तो जाने ना दूंगा.. अबकी बार तो भारत से बाहर है और इसे तो अंग्रेजी भी ठीक से नहीं आता है, जर्मन तो दूर की बात.. पहले खूब परेशान करूंगा और फिर अपने पिस्से निकलवा कर ही छोड़ूंगा.. वो नहीं पहूंचे हवाई अड्डा उन्हें लेने.. अब ताऊ क्या करे? जर्मनी में तो राज भाटिया जी को छोड़कर और किसी को जानते ही नहीं थे.. उन्होंने सोचा क्यों ना फोन पर पता कर लूं.. ताऊ ने फोन किया.. उधर से राज भाटिया जी के बेटे ने फोन उठाया जो पता नहीं क्यों फुसफुसा कर बातें कर रहा था.. उन दोनों के बीच कुछ ऐसी बातें हुई जिसके बाद ताऊ ने सोचा कि जब बेटा इतना खुराफाती है तो बाप कैसा होगा, और ऊपर से तो मुझपर उधार भी चढ़ा हुआ है.. और यह सोचकर उल्टे पांव वहां से भारत भाग निकले..
तो आप भी सुने राज भाटिया जी के बेटे से अपने ताऊ ने क्या बातें की..
"पापा घर पर हैं?"
"हां!!"
"क्या मैं उनसे बात कर सकता हूं?"
"नहीं!!"
बेचारे ताऊ सोच में आ गये.. अब उन्हें किसी बड़े से तो बात करनी ही थी सो आगे उन्होंने पूछा, "मम्मी घर पर हैं?"
फिर से उधर से फुसफुसाहट की आवाज आयी, "हां!!"
"उनसे बात कर सकता हूं?"
"नहीं!!"
अब तक ताऊ चिढ़ चुके थे.. उन्होंने गुस्साते हुये पूछा, "कोई और बड़ा घर पर है?"
"हां!!" फुसफुसाहट भड़ी आवाज में ही उसने कहा.. "पुलिस!"
अबकी तऊ घबरा गये.. सोच में पड़ गये कि गोटू सुनार के पिस्से मैंने उड़ाये हैं, कहीं उसकी बात यहां तक तो नहीं पहूंच गई.. फिर सोचा कि पहले मामला जान लूं सो उन्होंने पूछा, "बेटा जरा पुलिस को फोन देना.."
"नहीं!!" बच्चे का सपाट सा उत्तर आया.. "वो अपना काम कर रहे हैं.."
"क्या कर रहे हैं?"
"पापा-मम्मी और दमकल वालों(फायरमैन) से बात कर रहे हैं.."
अबकी ताओ बेचारे सोच में आ गये कि क्या हो रहा है.. तभी उन्हें फोन पर तेज शोर सुनाई दी.. उन्होंने पूछा, "यह कैसी आवाज है?"
"हेलिकाप्टर का!!"
अब ताऊ थोड़ा ज्यादा ही घबरा गये.. जोर देकर उन्होंने पूछा, "सही-सही बताओ, क्या हो रहा है वहां पर?"
"ढ़ूंढ़ रहे हैं.." फिर से फुसफुसाहट की आवाज आयी..
"किसे ढ़ूंढ़ रहे हैं?"
बच्चे ने फिर फुसफुसाते हुये और हल्की हंसी के साथ कहा, "मुझे.."
इतना सुनना था कि बस ताऊ अगली फ्लाईट पकड़ कर वापस भारत भाग आये.. सोचा जिसका बेटा इत्ता खुराफाती बुद्धि का है उसका बाप तो उसका बाप ही होगा..
गोटू सुनार के बारे में जानने के लिये यहां पढ़ें..
बाई-गॉड क्या छोकरा है ! सचमुच हँसी के मारे पेट दर्द हो रिया है.
ReplyDeleteपिस्सू तो छोड़ सपने में भी उधार नही लूंगा
mast likha hai yaar...ab samjhi itni der se meri mail ka reply kyon nahin aaya...tum yahan post thelne me busy ho :P aur main soch rahi hoon ki kaam kar rahe ho :D
ReplyDeleteकहानी में क्या शानदार ट्विस्ट दिया है। कोई तो है जो ताऊ के छक्के छुडा सकता है और जिससे ताऊ डरते हैं।
ReplyDeleteआनन्द आया।
निर्मल आनन्द।
खूब मजा लिया ताऊ जी और भाटिया जी का पर ये जूनियर भाटिया को कहाँ से अपने साथ ले लिया।
ReplyDeleteगजनट! मजेदार।
ReplyDeletezakas...........
ReplyDeleteअभी तलक तितलियाँ उड़ रही हैं पेट में!
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चाँद, बादल और शाम
अरे बाबा यह कया, अरे हम तो बेगानो को भी दिल मै बिठाते है भाई, फ़िर मेरे बच्चे ऎसे नही, अजी कोई भी भारत से आये, किसी भी स्टॆट से, किसी भी जात से, धर्म से सर आंखो पर.
ReplyDeleteधन्यवाद पी दी साहब.
भाई एक बात सुन ली जाये. अब हम भाटिया जी के कर्ज दार नही रहे. :)
ReplyDeleteहमारी २० करोड की लाटरी के पिस्से भाटिया जी के पास हैं. उनके १५ लाख काट कर १९ करोड ८५ लाख अभी जमा हैं. क्यों मेरा गणित सही है ना?
यकिन ना हो तो उनके ब्लाग की पोस्ट से जान लिजिये.:)
रामराम.
ताऊ इत्ती आसानी से सुलट गया.. न मुझे तो यकिन नहीं.. अगर सच्च है तो भाटिया जी के छोरे से बचना पडे़गा..:)
ReplyDeleteमजा आया..
अरे वाह, ताउ तो इंटरनेशनल आदमी हो गया। जर्मनी यात्रा मुबारक हो। इस खुशी में दावत वगैरह का इंतजाम है क्या।
ReplyDeleteताऊ कि 'ताऊगिरी' आडै काम कोणी आई.
ReplyDeleteबच्चे पर अत्याचार... मुझे तो लगता आयी राज भाटिया जी ने खुद बच्चे को छुपा दिया होगा और सबसे पहेली पूछ रहे होंगे की बेटा कहा है बताओ..
ReplyDelete:) हँसते हँसते पेट दर्द हो गया .पर भाटिया लोग यूँ अपने मेहमानों को भागते नहीं है ..:)
ReplyDeletekya raaj ji aur taoo ke maje le rahe hain aap. par bahut khoob likha.
ReplyDeleteजर्मनी जाना होता ही रहता है काम के सिलसिले में इस बार जरूर भाटिया जी से मिल कर सारा किस्सा पूछूँगा और सब को बताऊंगा की खुराफाती कौन है...राज जी का बेटा या ये हमारा ताऊ....
ReplyDeleteनीरज
हा -हा-हा !
ReplyDeleteमजा आ गया इसे पढ़कर ।
ताउ लॉटरी वाली बात तो ठीक है लेकिन वायदे से मुकर मत जाना। वायदे के मुताबिक राज जी से पिस्से आते ही मेरा चुकता कर देना। वरना इस बार न छोड़ूं... ताई को सारी बात इबके तो सीधी-सपाट बता दूंगा।
ReplyDeleteअरे नही बुरा नही माना, मेरे कहने का मतल्ब था कि अब मेरे बच्चे छोटे नही जो कही छुप जाये, ओर जिम्मेदार बात ना समझे, आप का चुटकला बहुत ही सुंदर है, ओर हम सब खुब हंसे. आप अगली बार भी लिखे, डरे नही, मै बुरा नही मानता.
ReplyDeleteधन्यवाद
नीरज जी ओर आप सब जब चाहो आओ, आप सब का स्वागत है, रंजना जी आप का धन्यवाद
ReplyDeleteपढते ही मजा आ गया साब
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