कुछ दिन पहले की बात है, बातों ही बातों में उसने मुझे कहा था, "तुम्हारे बाल बहुत सुंदर हैं.. इसे कभी छोटा मत करना.. मैं तुमसे जब भी मिलूंगा तब तुम्हें खुले बालों के साथ देखना पसंद करूंगा.." मैंने उसकी बात बखूबी रखी, और आज खुले बालों में ही आयी थी.. अब चूंकी उसने मुझे खुले बालों में देख ही लिया था सो अब मुझे अपने बालों को थोड़ा छोटा करने के लिये परमिशन भी लेना था.. ओह नो!! उसने मना कर दिया.. मेरा सारा एक्सप्लानेशन गया कचरे में.. अंततः उसने हां कह ही दिया मगर एक आग्रह के साथ की इसे बहुत छोटा मत करना.. पता नहीं लड़कों को लंबे बालों से इतना लगाव क्यों होता है.. अगर एक हफ्ते के लिये भी इतने लम्बे बालों को किसी लड़के को संभालना पर जाये तब समझ में आये उन लोगों को कि कितनी तकलीफ उठानी पड़ती है इन लम्बे बालों के कारण.. मेरा दावा है कि उसके बाद वे छोटे बालों की ही वकालत करते फिरेंगे.. अगर इन बातों को यहीं छोड़ कर दूसरी बातों पर ध्यान देते हैं तो, उसके बात करने का ढ़ंग.. किसी भी बात को विस्तार से समझाना.. इट्स जस्ट अमेजिंग.. इट वाज लाईक आई वाज जस्ट फ्लैटर्ड.. जो भी हो, मगर मुझे उसके एक-एक शब्दों से सुखद अनुभूती हो रही थी..
फिर हमारी बातें उसके हाथों पर बने हुये टैटू पर केंद्रित हो गया.. बड़े ही अच्छे ढ़ंग से उसने बताया कि टैटू कैसे कराते हैं.. इसके क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं.. जानकारियों का तो जैसे वह भंडार अपने साथ लेकर घूम रहा था.. किस देश में लोग किस तरह के टैटू पसंद करते हैं.. भारत के किस शहर में कहां अच्छे टैटू बनवाये जा सकते हैं.. फिर कुछ बाते सिनेमा पर भी हुई.. मुझे हिंदी सिनेमा की ज्यादा समझ नहीं है और मैंने देखे भी बहुत कम ही हैं.. सो बस चुपचाप उसकी बाते सुनती रही.. 1930 के जमाने से लेकर अभी तक के लगभग हर सिनेमा और उसके गानों की जानकारी अपने साथ समेटे हुआ था.. मैं बस इंतजार कर रही थी कि कुछ इंग्लिश मूवीज पर भी बातें हो, मगर जब उस पर भी बातें हुई तो उसके पास जानकारियों का खजाना ही निकला.. धीरे-धीरे यह अहसास हुआ की उसे लगभग दुनिया के हर हिस्से के हर भाषा की अच्छी मूवीज की जानकारी थी.. लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी की बात हो या फिर लेटेस्ट गैजेट की, उसके बताने और समझाने का तरीका ही बता दे रहा था की वह कितना प्रैक्टिकल है और अपने मैनेजमेंट की डिग्री का बखूबी इस्तेमाल करना भी जानता है..
इसी बीच उसकी कॉफी खत्म हो चुकी थी और उस कॉफी शॉप के एक कर्मचारी ने फीडबैक फार्म भी लाकर दे दिया.. वह हमें दो फार्म दे गया था.. जिसमें से एक को ही हम दोनों ने शेयर किया.. पहले मैंने लिखना शुरू किया और वह बहुत गौर से मेरी हैंण्डराईटिंग को देखता रहा, और फिर आधे के बाद वह फार्म मैंने उसे पकड़ा दिया.. वह अचानक इस प्रस्ताव से अकचका सा गया.. वह तो अपने ही फार्म को पूरा भरने के इरादे से था.. पता नहीं लड़के सच में इतने ही नासमझ होते हैं या फिर हमेशा नासमझी कि एक्टिंग ही करते हैं? फिर उसने मेरे हाथों से मेरा आधा भड़ा हुआ फार्म ले लिया और उसे पूरा कर दिया.. वह उस फार्म को वापस करने ही जा रहा था कि मैंने उसके हाथों से वह फार्म ले ली, और उसे अपने पर्स का रास्ता दिखा दी.. इतनी आसानी से मैं अपने इस पहले ज्वाइंट वेंचर को कैसे जाने देती? :) और दूसरे फार्म को जल्दी-जल्दी भर कर उसे वापस कर दी..
इसका अगला भाग ही अंतिम भाग है उसे पढ़ना ना भूलें.. वैसे यह एकता कपूर के धारावाहिक का भी रूप ले सकता है, मतलब जितना चाहो उतना ही बढ़ता चला जाये.. कुछ गाने नहीं ना सही, मगर कुछ कवितायें तो डाल ही सकता हूं.. अगर आप लोग कहें तो थोड़ा और रोमांटिक बना सकता हूं.. या फिर "एक लड़के की डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात)" नामक कहानी आपको एक लड़के के नजरीये से भी दिखा सकता हूं.. अरे दोस्तों फागुन का महीना चल रहा है, सो थोड़ा रोमांटिक होना मेरा भी फर्ज बनता है.. ;)
एक लड़की के डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात - भाग एक)
एक लड़की के डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात - भाग दो)
फिर हमारी बातें उसके हाथों पर बने हुये टैटू पर केंद्रित हो गया.. बड़े ही अच्छे ढ़ंग से उसने बताया कि टैटू कैसे कराते हैं.. इसके क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं.. जानकारियों का तो जैसे वह भंडार अपने साथ लेकर घूम रहा था.. किस देश में लोग किस तरह के टैटू पसंद करते हैं.. भारत के किस शहर में कहां अच्छे टैटू बनवाये जा सकते हैं.. फिर कुछ बाते सिनेमा पर भी हुई.. मुझे हिंदी सिनेमा की ज्यादा समझ नहीं है और मैंने देखे भी बहुत कम ही हैं.. सो बस चुपचाप उसकी बाते सुनती रही.. 1930 के जमाने से लेकर अभी तक के लगभग हर सिनेमा और उसके गानों की जानकारी अपने साथ समेटे हुआ था.. मैं बस इंतजार कर रही थी कि कुछ इंग्लिश मूवीज पर भी बातें हो, मगर जब उस पर भी बातें हुई तो उसके पास जानकारियों का खजाना ही निकला.. धीरे-धीरे यह अहसास हुआ की उसे लगभग दुनिया के हर हिस्से के हर भाषा की अच्छी मूवीज की जानकारी थी.. लेटेस्ट टेक्नॉलॉजी की बात हो या फिर लेटेस्ट गैजेट की, उसके बताने और समझाने का तरीका ही बता दे रहा था की वह कितना प्रैक्टिकल है और अपने मैनेजमेंट की डिग्री का बखूबी इस्तेमाल करना भी जानता है..
इसी बीच उसकी कॉफी खत्म हो चुकी थी और उस कॉफी शॉप के एक कर्मचारी ने फीडबैक फार्म भी लाकर दे दिया.. वह हमें दो फार्म दे गया था.. जिसमें से एक को ही हम दोनों ने शेयर किया.. पहले मैंने लिखना शुरू किया और वह बहुत गौर से मेरी हैंण्डराईटिंग को देखता रहा, और फिर आधे के बाद वह फार्म मैंने उसे पकड़ा दिया.. वह अचानक इस प्रस्ताव से अकचका सा गया.. वह तो अपने ही फार्म को पूरा भरने के इरादे से था.. पता नहीं लड़के सच में इतने ही नासमझ होते हैं या फिर हमेशा नासमझी कि एक्टिंग ही करते हैं? फिर उसने मेरे हाथों से मेरा आधा भड़ा हुआ फार्म ले लिया और उसे पूरा कर दिया.. वह उस फार्म को वापस करने ही जा रहा था कि मैंने उसके हाथों से वह फार्म ले ली, और उसे अपने पर्स का रास्ता दिखा दी.. इतनी आसानी से मैं अपने इस पहले ज्वाइंट वेंचर को कैसे जाने देती? :) और दूसरे फार्म को जल्दी-जल्दी भर कर उसे वापस कर दी..
इसका अगला भाग ही अंतिम भाग है उसे पढ़ना ना भूलें.. वैसे यह एकता कपूर के धारावाहिक का भी रूप ले सकता है, मतलब जितना चाहो उतना ही बढ़ता चला जाये.. कुछ गाने नहीं ना सही, मगर कुछ कवितायें तो डाल ही सकता हूं.. अगर आप लोग कहें तो थोड़ा और रोमांटिक बना सकता हूं.. या फिर "एक लड़के की डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात)" नामक कहानी आपको एक लड़के के नजरीये से भी दिखा सकता हूं.. अरे दोस्तों फागुन का महीना चल रहा है, सो थोड़ा रोमांटिक होना मेरा भी फर्ज बनता है.. ;)
एक लड़की के डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात - भाग एक)
एक लड़की के डायरी के पन्ने(पहली मुलाकात - भाग दो)