Saturday, January 31, 2009

हौले से चढ़ता सा एक नशा

यह नशा कुछ वैसा ही है जो धीरे से चढ़ता है मगर जब चढ़ जाता है तो सर चढ़ कर बोलता है.. अमूमन होता यह था कि मैं जानबूझकर अपना मोबाईल घर में छोड़ आता था मगर कल मैं गलती से अपना मोबाईल घर में ही भूल गया.. घर से कोई फोन तो नहीं आया...

Friday, January 30, 2009

सबसे खतरनाक होता है सपनों का मर जाना

मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होतीपुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होतीगद्दारी, लोभ की मुट्ठीसबसे खतरनाक नहीं होतीबैठे बिठाए पकड़े जाना बुरा तो हैसहमी सी चुप्पी में जकड़े जाना बुरा तो हैपर सबसे खतरनाक नहीं होती सबसे खतरनाक होता हैमुर्दा शांति से भर जानाना होना तड़प कासब कुछ सहन कर जानाघर से निकलना काम...

Tuesday, January 27, 2009

बंबई से आया मेरा दोस्त, दोस्त को सलाम करो

लगभग 6 महीने पहले की बात है.. एक दिन सुबह 8.30 में सो कर उठा और नीचे चला गया अखबार लाने.. वापस घर आया तो देखता हूं कि वाणी आयी हुई है.. ठीक है, कोई आश्चर्य नहीं, वो तो आती ही रहती है.. नींद भी ठीक से खुली नहीं थी, भदेस भाषा में कहें तो दिमाग भकुवाया हुआ था.. तभी संजीव भी अंदर कमरे से निकला.. मन में...

Monday, January 26, 2009

पीडी सुसुप्तावस्था में

मैं आजकल सुसुप्तावस्था में हूँ.. पढता लगभग सभी को हूँ, मगर टिपियाता शायद ही किसी को.. लिखने को भी बहुत कुछ मशाला है, मगर लिखने कि इच्छा ही नहीं.. मन हर समय अलसाया सा लगता है.. देखिये कब इससे बाहर आता हूँ?अंत में -"अजगर करे ना चाकरी, पंछी करे ना काम..दास मलूका कह गए, सबके दाता राम.."अब अगर ऐसे में अजगर...

Friday, January 23, 2009

एण्ड ब्लू डेविल एट माई एक्साईटमेंट

कई साल इसने इंतजार करवाया.. यूं तो मैं बहुत पैसे वाले परिवार से नहीं आता हूं मगर मुझे खाते-पीते परिवार का तो कह ही सकते हैं.. जब बड़ा हुआ और ड्राईविंग लाईसेंस बना तभी से मुझे चलाने को स्कूटर मिल गया.. एक तरह से संपूर्ण अधिकार...

Tuesday, January 20, 2009

हर तरफ बस तू ही तू

उस मोड़ पर खड़ा था मैं फिर.. ये किसी जीवन के मोड़ कि तरह नहीं थी जो अनायास ही कहीं भी और कभी भी पूरी जिंदगी को ही घुमाव दे जाती है.. ये तो निर्जीव सड़क थी, जहां आकर मुझे अपनी आत्मा के निर्जीव होने का अनुभव सा होने लगता है.. जैसे वो था या है या ऐसा ही कुछ भी.. मगर यह सड़क हमेशा मुझे जीवंत यादों में ढ़केलता...

Monday, January 19, 2009

प्रेम करने वाली लड़की जिसके पास एक डायरी थी

उसके पास भी एक डायरी थी.. जिसे वह हर किसी से छुपा कर रखती थी.. जब वह कालेज जाती थी तब वह डायरी उसके कालेज बैग का एक हिस्सा होती थी.. और घर पहूंचने पर उसकी आलमीरा का एक हिस्सा.. अगर कालेज बैग साथ में ना हो तो उसके हाथों कि शोभा बढ़ाती थी वह डायरी.. जो भी उसे करीब से जानता था उसके लिये वह डायरी चंद्रकांता...

Saturday, January 17, 2009

शिव जी का लैप-टॉप और मेरा सर

कल अचानक लवली का फोन उसके कोलकाता वाले नंबर से आया, फोन उठाते ही उसने कहा, "भैया पता है अभी मैं घर्रर्रर्र..(टेलीफोन की घरघराहट)" "क्या? किनके साथ हो?" मैंने छूतते ही पूछा.."शिव कुमार मिश्रा!!""अरे वाह.." हम किसी तरह अपनी आवाज में खुशी घोलते हुये कहे.. अब हम बैठे ही इत्ते दूर हैं कि किसी की खुशी देखते...

Friday, January 16, 2009

बेटा हो जा जवान तेरी शादी करूंगा

कुछ दिन पहले इरफ़ान भाई ने यह गीत अपने चिट्ठे पर लगाया था.. तभी से यह गीत जुबान पर चढ़ा हुआ है.. तो सोचा क्यों ना आज अपने बिटवा के बारे में लिखा जाये? वैसे भी बहुत दिनों से अपने बिटवा के बारे में कुछ लिखा नहीं हूं.. आज यह...

Monday, January 12, 2009

पैर पर पैर रखिये, सॉरी कहिये, आगे बढिए

"पैर पर पैर रखिये, सॉरी कहिये, आगे बढिए".."आउच.. देख कर नहीं चल सकते हो क्या? मेरे पैर पर चढ़ते चले आ रहे हो..""अब क्या करून बहन जी, इतनी भीड़ है.. और कंडक्टर भी तो कह रहा है, पैर पर पैर रखिये, सॉरी कहिये, आगे बढिए.. चलिए...

एक कला और सिखला दो

सपने बुनने कि कला,तुमसे सीखा था मैंने..मगर यह ना सोचा,सपने मालाओं जैसे होते हैं..एक धागा टूटने सेबिखर जाते हैं सारे..बिलकुल मोतियों जैसे..वो धागा टूट गया या तोड़ा गया?पता नहीं!!लेकिन सपने सारे बिखर गये..बिखरे सपनो को फिर...

Sunday, January 11, 2009

तमिल और संस्कृत भाषा का मेलजोल

तमिल-परंपरा के अनुसार संस्कृत और द्रविड़ भाषाएँ एक ही उद्गम से निकली हैं.. इधर भाषा-तत्त्वज्ञों ने यह भी प्रमाणित किया है कि आर्यों की मूल भाषा यूरोप और एशिया के प्रत्येक भूखंड की स्थानीय विशिष्टताओं के प्रभाव में आकर परिवर्तित हो गयी, उसकी ध्वनियां बदल गयी, उच्चारण बदल गए और उसके भंडार में आर्येतर...

Saturday, January 10, 2009

एक माईक्रो पोस्ट- मेरी नई बाईक

आज मैंने अपनी नयी बाईक कि बुकिंग कि है.. मैं नीले रंग कि मोटरसाइकिल खरीदना चाह रहा था जो मोटरसाइकिल डीलर के पास नहीं था और उसने बताया कि ट्रांसपोर्टरों कि हड़ताल के चलते मुझे वह मशीन मिलने में 15 दिनों तक का समय भी लग सकता है.. अभी मैं इसके बारे में ज्यादा नहीं बताऊंगा, मगर इतना भी जरूर बताते जाऊँगा...

Friday, January 09, 2009

महंगाई दर घटने और तेल कि कमी की असमानतायें

आज के गूगल समाचार से ली गई यह तस्वीर देखिये जिसमें एक तरफ तो महंगाई दर घटने कि बात की जा रही है और वहीं दूसरे समाचार में तेल कि कमी से आम जीवन में प्रयोग में लायी जाने वाली चीजों को लेकर हाहाकार कि भी बात हो रही है.. अब...

Tuesday, January 06, 2009

जाने क्यों हर शय कुछ याद दिला जाती है

पिछले कुछ दिनों से नींद कुछ कम ही आ रही है.. कल रात भी देर से नींद आयी और आज सुबह जल्दी खुल भी गयी.. मगर बिस्तर छोड़कर नहीं उठा.. बिस्तर पर ही लेटा रहा चादर को आंखों पर खींच कर औंधा ही पड़ा रहा.. घर की याद हो आयी.. सोचने लगा कि कैसे जाड़े के मौसम में सुबह-सुबह पापा अपने ठंढ़े हाथों को मेरे गालों से सटा...

Monday, January 05, 2009

ताऊ का डॉगी भी ताऊगिरी में कम नहीं

कुत्ते को कुत्ता कहना जैसे कुत्ते को गाली देना है सो मैं उसे डॉगी कह रहा हूं.. बात यह है कि जब वही बात अंग्रेजी में कहते हैं तो लगता है जैसे अमृत वर्षा हो रही हो.. ये कुछ-कुछ वैसा ही है जैसे किसी अंधे को अंधा नहीं कहकर आजकल हम ब्लाईंड परसन तो लगता ही नहीं है कि हम कुछ बुरा कह रहे हैं.. कुछ गालियां भी...

Saturday, January 03, 2009

ई आर.के.लछमन कउन चिड़िया के नाम है जी?

इधर रविश वाले कस्बा जी.. अर्रर्रर्र.. माफ किजियेगा, कस्बा वाले रविश जी हल्ला मचईले थे कि पवनवा ही उत्तर भारत का आर.के.लछमन है, और अभीये एक पोस्ट से पता चला कि नहीं ई त कौनो इरफ़ान भैया हैं.. हम त पूरे कंफूजिया गये हैं.. केकरा...

Friday, January 02, 2009

आज जाने मैं क्या चाहता हूं

कुछ तमन्नाओं पे उम्र गुजारना चाहता हूं..जैसे मैं तेरा कोई कर्ज उतारना चाहता हूं..उम्र गुजरी हैं तेरी याद में इस कदर तन्हा..तन्हाईयों को अब गले लगाना चाहता हूं..एक तस्वीर छुपाये रखी थी बटुवे में कहीं..आज फिर तेरी नजर उतारना...

Thursday, January 01, 2009

एक शीर्षक हीन पोस्ट

नया सालनयी सुबहनया जोशनयी उमंगनये लोगनये चेहरेनये सपनेनयी उदासीनये कहकहेनयी खामोशीनयी खबरेंनया एकाकीपनहर चीज नयामानों जिंदगी फिर मजाक उड़ा गई ह...