दो-तीन हफ्ते पहले की बात है.. रात के दो बज रहे थे.. मुझे नींद नहीं आ रही थी और मन भी कुछ बेचैन सा हो रहा था.. काफी देर तक मैं बाहर बालकनी में टहलता रहा.. फिर सोचा की टहलना ही है तो सामने सड़क है.. क्यों न वहीं टहल आया जाए? और निकल आया सड़क पर.. मेरे घर के सामने वाली सड़क जो पूरी रात नहीं सोती है और किसी भी समय आपको चेन्नई में कहीं भी जाने के लिए वाहन मिल सकते हैं.. चेन्नई-बैंगलोर में हाइवे को जो जोड़ता है.. कुछ भी हो रात बहुत हो चुकी थी सो सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो चुकी थी.. और जहाँ वाहनों की संख्या कम हो और सड़क अच्छी और चौडी हो तो सभी अपनी ही रफ़्तार में भागना पसंद करते हैं.. समां भी कुछ वैसा ही था.. लगभग सभी वाहन ६०-७० से अधिक की रफ़्तार को बनाए हुए थे..
उसी समय बेख्याली में ये ख्याल मुझे आया.. की अगर अभी कोई वाहन मुझे टक्कर मार दे तो? इतना तो मुझे भी पता है की उतनी रात में कोई भी किसी की मदद को नहीं आने वाला है.. वैसे भी भारत में पुलिश से बचने के लिए हिट एंड रन वाले समय में कोई भी मदद को सामने नहीं आता है.. मैं घर से निकलते समय सोचा था की इतनी रात को कौन मुझे फोन करेगा.. सो फोन भी साथ में नहीं रखा था.. आई डी कार्ड की तो बात ही पैदा नहीं होती है..
मैं सोच रहा था की ऐसे समय में मेरे मित्रों को भी सुबह से पहले पता नहीं चलेगा की प्रशान्त घर में नहीं है.. और वो मेरी खोज १० बजे से पहले नहीं करने वाले हैं.. अगर मुझे कुछ हो जाए तो ३-४ दिनों तक तो मेरी शिनाख्त करने वाला भी कोई नहीं मिलेगा..
ये मेरे लिए बस एक ख्याल भर ही था.. मगर कभी आपने सोचा है की कितने ही लोग जो बड़े शहरों की तरफ निकल परते हैं रोजी-रोटी की तलाश में वो अगर कहीं गुम हो जाए तो शायद ही कभी किसी को मिलें.. और चेन्नई जैसे शहर में जहाँ अगर आपको तमिल नहीं आती है तो ८०% लोग आपकी मदद को भी सामने नहीं आते हैं..
आज चेन्नई में फिर से खूब बारिश हुई.. बस आधे घंटे की बारिश, मगर झूम कर.. ये तस्वीर देखिये.. दो बारिश के समय की है और एक बारिश के बाद हुए जल-जमाव की.. यहाँ चेन्नई में मैंने पाया है की अगर बारिश होती है तो जल-जमाव होता है.. मगर किसी अन्य बड़े शहरों की तरह जमा नहीं रहता है.. वो ज्यादा से ज्यादा २-३ घंटो में गायब भी हो जाता है..
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फोटो को बड़ा करके देखिये.. अच्छे से आप बारिश की एक एक बूँद देख सकते हैं.. :)
उसी समय बेख्याली में ये ख्याल मुझे आया.. की अगर अभी कोई वाहन मुझे टक्कर मार दे तो? इतना तो मुझे भी पता है की उतनी रात में कोई भी किसी की मदद को नहीं आने वाला है.. वैसे भी भारत में पुलिश से बचने के लिए हिट एंड रन वाले समय में कोई भी मदद को सामने नहीं आता है.. मैं घर से निकलते समय सोचा था की इतनी रात को कौन मुझे फोन करेगा.. सो फोन भी साथ में नहीं रखा था.. आई डी कार्ड की तो बात ही पैदा नहीं होती है..
मैं सोच रहा था की ऐसे समय में मेरे मित्रों को भी सुबह से पहले पता नहीं चलेगा की प्रशान्त घर में नहीं है.. और वो मेरी खोज १० बजे से पहले नहीं करने वाले हैं.. अगर मुझे कुछ हो जाए तो ३-४ दिनों तक तो मेरी शिनाख्त करने वाला भी कोई नहीं मिलेगा..
ये मेरे लिए बस एक ख्याल भर ही था.. मगर कभी आपने सोचा है की कितने ही लोग जो बड़े शहरों की तरफ निकल परते हैं रोजी-रोटी की तलाश में वो अगर कहीं गुम हो जाए तो शायद ही कभी किसी को मिलें.. और चेन्नई जैसे शहर में जहाँ अगर आपको तमिल नहीं आती है तो ८०% लोग आपकी मदद को भी सामने नहीं आते हैं..
आज चेन्नई में फिर से खूब बारिश हुई.. बस आधे घंटे की बारिश, मगर झूम कर.. ये तस्वीर देखिये.. दो बारिश के समय की है और एक बारिश के बाद हुए जल-जमाव की.. यहाँ चेन्नई में मैंने पाया है की अगर बारिश होती है तो जल-जमाव होता है.. मगर किसी अन्य बड़े शहरों की तरह जमा नहीं रहता है.. वो ज्यादा से ज्यादा २-३ घंटो में गायब भी हो जाता है..
फोटो को बड़ा करके देखिये.. अच्छे से आप बारिश की एक एक बूँद देख सकते हैं.. :)