Tuesday, May 08, 2007

अनमोल क्षण

अनमोल क्षण
दोस्तो के साथ बिताये हुये,
बहुत याद आते हैं,
वो बिना बात की हँसी,
छोटी-छोटी बात पर,
वो लडना-झगडना,
फ़िर वो,
एक दूसरे को मनाना,
फ़िर मानने के बाद,
ना मानने की सी ऐक्टिंग करना,
बहुत याद आते है,
वो अनमोल क्षण,
आज हम सभी है अलग-अलग,
रोजगार की तलाश मे,
पर इस उम्मीद के साथ
जीवन की राह मे
चला जा रहा हूँ,
की जब भी मिलेगे तब,
वो अनमोल क्षण,
फ़िर जीवंत हो ऊठेंगे,
वो अनमोल क्षण,
दोस्ती के.......

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2 comments:

  1. Poem is appropriate for the present situation and different from your other poems:-)...Poem is good....This is my first comment in your blog.So I think I must say something about the poem "AGLE KHAMBHE TAK KA SAFAR"...Well I loved it:-)...sahi main mast likha hai....BAHUT ACHHA LAGA:-):-)...
    so expectation is high:-)

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  2. Thanks Vani..
    atleast you posted your comment on net also.. but i also respect your those valuable comments which you gave me on phone.. :)
    Do you know Vani, i've lots of fear from the expectations.. bcoz it is very tough to fulfill anyone's expectations..

    ReplyDelete