Thursday, April 04, 2013

अतीतजीवी

ख़्वाब देखा था, ख़्वाब ही होगा शायद. अक्सर ख़्वाबों में कई दफ़े देखा है उनको अपने पास. बेहद क़रीब. इतना जैसे कि हाथ बढ़ाओ और उन्हें छू लो. वो आये और आकर चले गए. ऐसे जैसे आये ही ना हों. मगर वो आये थे, इसका गवाह मेरे घर में बसे उनकी खुश्बू दे रहा है. ढेर सारे आशीर्वाद और ममत्व की खुश्बू. कुछ जूठे बर्तन, कुछ...