Wednesday, August 15, 2012

लोनलिनेस इज द बेस्ट फ्रेंड ऑफ़ ओनली ह्युमनस

हम हों चाहे किसी जलसे में अकेलापन का साथी कभी साथ नहीं छोड़ता हमारा हम हों चाहे प्रेमिका के बाहों में अकेलापन का साथी कभी साथ नहीं छोड़ता हमारा हम पा लिए हों चाहे मनुष्यता का शिरोबिंदु अकेलापन का साथी कभी साथ नहीं छोड़ता हमारा हम बैठे हों किसी प्रयाग में अकेलापन का साथी कभी साथ नहीं छोड़ता हमारा बुद्ध...

Wednesday, August 01, 2012

अतीत का समय यात्री

हम मिले. पुराने दिनों को याद किया. मैंने उसके बेटे कि तस्वीरें देखी, उसने मेरे वर्तमान कि पूछ-ताछ की. सात-आठ मिनटों में हमने पिछले छः-सात सालों को समेटने की नाकाम कोशिश की. - तुम मोटी हो गई हो! - मम्मी जैसी हो गई हूँ ना? मम्मी बन भी तो गई हूँ. और एक बेतक्कलुफ़ सी हंसी... - तुम शादी कब कर रहे हो? बूढ़े...