Thursday, May 31, 2012

लव यू मम्मी - दो बजिया वैराग्य

जब छोटा था तब...कहीं भी जाऊं, मम्मी का आँचल पकड़ के चलता था.. गाँव हो या कोई और जगह, अधिकतर गाँव ही हुआ करती थी, भैया-दीदी पूरा गाँव नापते रहते थे, मगर मैं, मम्मी कहीं भी जाए, उनकी साडी का एक छोड़ पकड़ कर चुपचाप खड़ा रहता था.. मम्मी कितना भी डांटे, या मना करे, मगर चाहे कुछ भी हो, मैं अपना कर्म नहीं...