Tuesday, March 27, 2012

इकबालिया बयान ! - भाग एक

बयान एक - मेरा नाम अदिति है. अब वो क्या है ना कि, जब भी मेरे प्रछांत मामू मेरे यहाँ आते हैं दिल्ली में तो ज्यादा टाईम मेरे साथ नहीं रहते हैं. बहुत थोड़े समय के लिए ही आते हैं. और उनको कितना भी समझाते हैं कि बालकनी के नीचे...

Sunday, March 25, 2012

मुट्ठी भर हवा

मुझे भरोसा था, तब भी और अब भी, कि मैं हवा को हाथों से पकड़ सकता हूँ. कई सालों से मैंने कोई कोशिश नहीं की, मगर फिर भी बचपन के उस भरोसे को नकारना नामुमकिन है. बचपन का हर भरोसा आज भी उतना ही पुख्ता लगता है, जिसे नकारने की बात सोचना भी गुनाह से कम नहीं, और उस भरोसे को साबित करने की चेष्टा भी किसी मूर्खता...

Saturday, March 03, 2012

भोरे चार बजे की चाय अब भी उधार है तुमपे दोस्त!!

दिल्ली में पहली मेट्रो यात्रा सन 2004 में किया था, सिर्फ शौकिया तौर पर.. कहीं जाना नहीं था, बस यूँ ही की दिल्ली छोड़ने से पहले मेट्रो घूम लूं.. नयी नयी मेट्रो बनी थी तब.. उसके बाद 2009 मार्च में मुन्ना भैया के घर जाते हुए, वैसे आज मुझसे उस जगह का नाम पूछेंगे तो मुझे याद नहीं, मगर दिल्ली से बाहर ही था..फिर...