कुछ समय इन खिड़कियों से झांकना चाहता हूँ,
इस इन्तजार में कि शायद तुम उस रास्ते से गुजरो अपनी उसी काली छतरी के साथ..
मैं उन रास्तों पे चलना चाहता हूँ,
इस यकीन के साथ के कि कल तुम यही से गुजरी थी..
और कल फिर गुजरोगी,
उसी नीले कपड़े में या शायद गुलाबी..
मैं वह पहाड़ हो जाना चाहता हूँ,
इस विश्वास...