भूलना या ना भूलना, एक ऐसी अनोखी मानसिक अवस्था होती है जो अभी तक किसी के भी समझ के बाहर है.. भूलने की कोई तय समय-सीमा या कोई उम्र नहीं.. कई चीजें हम ठीक एक सेकेण्ड के बाद भी भूल जाते हैं, कई दफ़े कुछ कहते-कहते ही आगे कहने वाली बात भूल जाते हैं.. कई दफ़े एक उम्र गुजरने के बाद भी बातें नहीं भूली जाती.....
Thursday, February 17, 2011
Tuesday, February 15, 2011
Tuesday, February 08, 2011
कहीं किसी शहर में, किसी रोज
दो साल बाद मिल रहे थे दोनों, दोनों कि बेचैनियाँ भी बराबर ही थी.. लड़का सारी रात रेलगाड़ी के डब्बों को गिनते हुए बिताया था, लड़की सारी रात करवटें बदलते हुए पीजी कि एकमात्र दीवार को गिन कर.. दोनों ही अपने शहर से जुदा एक नए शहर में थे..लड़के को एक एक करके वो सारी घटनाएं याद आ रही थी, कैसे कई दिनों तक छुप-छुप...