Saturday, July 31, 2010

Coorg - खुद से बातें Part 2

सूरज कि रौशनी मे बारिश होने पर इन्द्रधनुष निकलता है.. चाँद कि रौशनी मे बारिश होने पर भी वो निकलता होगा ना? हाँ!! जरूर निकलता होगा.. मगर रात कि कालिमा उसे उसी समय निगल जाती होगी.. बचपन मे किसी कहानी मे पढ़ा था, "जहाँ से इन्द्रधनुष...

Wednesday, July 28, 2010

Coorg - एक अनोखी यात्रा

दफ्तर से समय से बहुत पहले ही निकल गया.. टी.नगर बस स्टैंड के पास के लिए, जहाँ मेरा एक मित्र किसी लौज में रहता है, किसी छोटे से दूकान से पकौड़े और जलेबी खरीदा और अपने मित्र के कमरे में ही बैठ कर उसे निपटाया.. हम्म... जलेबी...

Thursday, July 22, 2010

वेल्लोरा?

तमिल व्याकरण में किसी भी प्रश्न पूछने के लिए अंत में 'आ' का प्रयोग किया जाता है.. जैसे 'पुरंजिदा' का मतलब 'समझ गए?' होता है.. ठीक इसी तरह अंग्रेजी के शब्दों को भी लोग तमिल व्याकरण में ढाल कर लोग उच्चारण करते हैं, जैसे -...

Sunday, July 18, 2010

एक कलयुगी जातक कथा

इधर-उधर कि बात किये बिना मैं सीधे प्वाइंट पर मतलब कहानी पर आता हूँ..एक धोबी के पास एक गधा और दो कुत्ते थे.. गधा गधामजूरी करता था और दोनों कुत्ते घर कि रखवाली.. गधा कपडे धोकर धोबी घाट ले जाता था, एक कुत्ता दिन में पहरेदारी...

Thursday, July 15, 2010

"एक शहर जो हर शहर में बसता है" और बिहार

2003 में पहली बार घर से बाहर पाँव रखा और दिल्ली कि और निकल पड़ा.. मुनिरका में अपना आसरा बनाया.. हर शहर में एक ही शहर बसता है.. मैंने पाया कि हर शहर में एक ही जैसे मोहल्ले, विद्यार्थियों और बैचलर के रहने के लिए एक ही जैसे गाँव जो अब शहर में तब्दील हो गए हैं, एक ही जैसे शौपिंग मॉल, एक ही जैसे नए और पुराने...

Sunday, July 04, 2010

धोनी की घोड़ी, पहली बार सिर्फ इस ब्लॉग पर

आज मैं लेकर आया हूँ उस घोड़ी को जिस पर धोनी सवार होकर मंडप तक गए!! एक्सक्लूसिव, सिर्फ और सिर्फ, इसी ब्लॉग पर!! हमारे संवाददाता लगातार बने हुए हैं देहरादून से.. तो चलिए चलते हैं वहां..संवाददाता : आप ही वह घोड़ी हैं जो धोनी...

तबे एकला चलो रे।

यह लड़ाई किससे है? कैसा है यह अंतर्द्वंद? लग रहा है जैसे हारी हुई बाजी को सजा रहा हूँ फिर से हारने के लिए । अंतर्द्वंद में कोई भी मैच टाई नहीं होता है, खुद ही हारता भी हूँ और खुद ही जीतता भी! अक्सर हम जीती हुई बाजी को याद करने के बजाये हारी हुई बाजी को याद करते हैं और उसकी कसक मन के किन्ही परतों के नीचे...

Thursday, July 01, 2010

"परती : परिकथा" से लिया गया - अंतिम भाग

गतांक से आगे :गुनमन्ती और जोगमन्ती दोनों बहिनियाँ अपने ही गुन की आग में जल मरीं ।...सास महारानी झमाकर काली हो गयी !उजाला हुआ । कोसी मैया दौड़कर दुलारीदाय से जा लिपटी । फिर तो...आँ-आँ-रे-ए...दूनू रे बहिनियाँ रामा गला जोड़ी बिखलय,नयना से ढरे झर-झर लोर !हिचकियां लेती हुई बोली दुलारीदाय--"दीदी, जरा उलट कर...