सूरज कि रौशनी मे बारिश होने पर इन्द्रधनुष निकलता है.. चाँद कि रौशनी मे बारिश होने पर भी वो निकलता होगा ना? हाँ!! जरूर निकलता होगा.. मगर रात कि कालिमा उसे उसी समय निगल जाती होगी.. बचपन मे किसी कहानी मे पढ़ा था, "जहाँ से इन्द्रधनुष...
Saturday, July 31, 2010
Wednesday, July 28, 2010
Thursday, July 22, 2010
Sunday, July 18, 2010
Thursday, July 15, 2010
"एक शहर जो हर शहर में बसता है" और बिहार
2003 में पहली बार घर से बाहर पाँव रखा और दिल्ली कि और निकल पड़ा.. मुनिरका में अपना आसरा बनाया.. हर शहर में एक ही शहर बसता है.. मैंने पाया कि हर शहर में एक ही जैसे मोहल्ले, विद्यार्थियों और बैचलर के रहने के लिए एक ही जैसे गाँव जो अब शहर में तब्दील हो गए हैं, एक ही जैसे शौपिंग मॉल, एक ही जैसे नए और पुराने...
Sunday, July 04, 2010
तबे एकला चलो रे।
यह लड़ाई किससे है? कैसा है यह अंतर्द्वंद? लग रहा है जैसे हारी हुई बाजी को सजा रहा हूँ फिर से हारने के लिए । अंतर्द्वंद में कोई भी मैच टाई नहीं होता है, खुद ही हारता भी हूँ और खुद ही जीतता भी! अक्सर हम जीती हुई बाजी को याद करने के बजाये हारी हुई बाजी को याद करते हैं और उसकी कसक मन के किन्ही परतों के नीचे...
Thursday, July 01, 2010
"परती : परिकथा" से लिया गया - अंतिम भाग
गतांक से आगे :गुनमन्ती और जोगमन्ती दोनों बहिनियाँ अपने ही गुन की आग में जल मरीं ।...सास महारानी झमाकर काली हो गयी !उजाला हुआ । कोसी मैया दौड़कर दुलारीदाय से जा लिपटी । फिर तो...आँ-आँ-रे-ए...दूनू रे बहिनियाँ रामा गला जोड़ी बिखलय,नयना से ढरे झर-झर लोर !हिचकियां लेती हुई बोली दुलारीदाय--"दीदी, जरा उलट कर...