Tuesday, March 30, 2010

अब मुझे कोई इन्तजार कहाँ

मेरे कितने जिद करने पर तुमने मुझे चूमने के लिए अपने होंठो को आगे कर दिया था.. आँखे भी बंद थी तुम्हारी.. तुम्हारी वह मासूमियत देख कर तुम्हारे होंठो को चूम भी नहीं पाया था मैं.. बस देखता रह गया था वह समर्पण.. कुछ देर बाद आँखें खोलने पर तुमने मुझे मुस्कुराता पाया था.. तुम झेंप गई थी.. झेंप मिटाने कि कोशिश...

Sunday, March 28, 2010

क्या हम खुद को गलत मानने कि हद तक मैच्योर हैं?

११ मार्च को आखिरी दफ़े कुछ लिखा था यहाँ.. १५ दिन से ऊपर गुजर गए हैं यहाँ कुछ भी लिखे हुए.. मैं कभी भी इस मुगालते में नहीं रहा कि लोग मुझे पढ़ने को बेचैन हैं और मुझे अपने पाठकों के लिए कुछ लिखना चाहिए.. मुझे पता है कि लोगों...

Thursday, March 11, 2010

बाथ टब कि कहानी

"पछान्त मामू, आपके पास टब है?" उसके अजीब सवालों में एक और सवाल शामिल था अभी.. मुझे समझ में नहीं आया कि अचानक से साईकिल चलाते हुए वह टब या यूं कहें कि बाथ टब पर कैसे आ गई.. मैंने भी उसके बालमन को दिलासा देते हुये "हां" कह...

Saturday, March 06, 2010

शाईनिंग इंडिया और कैटल क्लास

मैं अबकी जब घर आ रहा था तब चार साल के बाद स्लीपर में यात्रा किया.. मैं रास्ते भर खूब इंज्वाय किया.. तरह तरह के लोग आते थे और अपने तरह से अपना बिजनेस कर रहे थे.. कोई पान-मसाला बेच रहा था तो कोई नट बन कर पैसे कमा रहा था.. कभी कोई लैंगिक विकलांग आकर जबरी वसूली कर रहा था, तो कोई गा रहा था.. कोई भीख मांग...