Tuesday, July 28, 2009

दर्द रूकता नहीं एक पल भी

यह महरूम नुसरत फ़तेह अली खान का गाया एक कव्वाली है.. मुझे यह नेट पर पॉडकास्ट करने के लिये कहीं मिला नहीं, मगर मैं जल्द ही इसे अपलोड करके पॉडकास्ट कर दूंगा.. फिलहाल इसे पढ़कर ही इसका लुत्फ़ उठायें.. :)दर्द रूकता नहीं एक पल भी,इश्क...

Monday, July 27, 2009

देने वाला जब भी देता पूरा छप्पड़ फाड़ कर देता

यह पोस्ट चिट्ठा चर्चा के फीड से संबंधित है..मैं आजकल जो भी ब्लौग पढ़ता हूं वह सारे गूगल रीडर के माध्यम से ही पढ़ता हूं.. ऐसा नहीं है कि मैं कुछ पुराने और अपने पसंदिदा ब्लौग को छोड़ और कुछ पढ़ना ही नहिं चाहता हूं, कारण यह है...

Friday, July 24, 2009

ब्याह पर 'अमीर खुसरो' का एक गीत

बहुत रही बाबुल घर दुल्हन, चल तेरे पी ने बुलाई..बहुत खेल खेली सखियन सों, अंत करी लरकाई..न्हाय धोय के बस्तर पहिरे, सब ही सिंगार बनाई..बिदा करन को कुटुम्ब सब आए, सिगरे लोग लुगाई..चार कहारन डोली उठाई संग पुरोहित नाईचले ही बनैगी...

Monday, July 20, 2009

एक शहर और एक सख्श, जिसका ख्वाबों से रिश्ता बेहद पुख्ता था

वो शहर था ही ऐसा.. ख्वाबों में जीने वाला शहर.. जहां हर सख्श के भीतर कुछ ख्वाब पलते थे.. जो भी उस शहर में आता था तो कुछ नये ख्वाब लेकर आता था.. मगर ख्वाबों कि भी एक लिमिट होती होगी, तभी तो नये ख्वाबों को पालने के लिये कुछ...

Thursday, July 16, 2009

बुखार और लूडो का रिश्ता

शरीर का तापमान सामान्य से अधिक होना, या फीवर, या फिर जिसे भदेष भाषा में बुखार भी कहते हैं.. बुखार और बचपन का बहुत नजदीक का रिश्ता होता है.. क्योंकि करने को हर तरह कि मनमानी करने की छूट होती है.. स्कूल जाना भी नहीं होता है.. और जब तक बुखार रहे तब तक पूरे घर के लोग हर तरह का नखरा उठाते रहते हैं..कुछ-कुछ...

Thursday, July 09, 2009

जब संगीत उन्माद बन जाया करता थी

कल दुनिया वालों ने एक पूरी सदी को दफना दिया.. वह जब स्टेज पर गाता था तब लोगों में पागलपन छा जाता था.. वह जब स्टेज पर नाचता था तब लोगों में पागलपन छा जाता था.. यही नहीं, जब वह स्टेज पर आता था तब कितने ही उन्माद के कारण बेहोश...

Tuesday, July 07, 2009

आई टी प्रोफेशन के साईड इफेक्ट

साईड इफेक्ट 1 -पिछले शुक्रवार की बात है.. मैं दिन भर ऑफिस में काम करने के बाद रात वाले शो में सिनेमा देखने कि भी तैयारी थी.. रात आठ बजे मैं अपने ऑफिस से निकला.. बहुत जोड़ों से भूख लगी थी, सो मैंने सोचा कि पहले कहीं कुछ खा लिया जाये..मेरे ऑफिस के ठीक बगल में "पेलिटा नासी कांदार" नाम का एक रेस्टोरेंट है...

Saturday, July 04, 2009

एक चीयर गर्ल हमें भी चाहिये, आईटी वालों की पीड़ा

एक चीयर गर्ल हमें भी चाहिये.. जब भी कोई डिफेक्ट फिक्स हुआ, तो वह नाचे.. हम सभी को चीयर करे.. हिंदी सिनेमा में अक्सर सुनता आया हूं, कि जिंदगी एक खेल के समान है.. और वैसे लोगों को यह भ्रम भी है कि आई.टी. में बहुत पैसा है.....

Friday, July 03, 2009

लाईफ, जैसे कोई चैट बॉक्स

आज से लगभग एक साल पहले का यह चैट हिस्ट्री आप लोगों के सामने रख रहा हूं.. जिससे आप यह समझ सकेंगे कि ऑफिस में खाली समय में या फिर थोड़ी देर के ब्रेक में हम(मैं और मेरा मित्र शिवेन्द्र) कैसे टाईम पास करते हैं.. ;)प्रशान्त - क्या रे..प्रशान्त - जिंदा है अभी तक??शिवेन्द्र - हां यार..शिवेन्द्र - :-)प्रशान्त...