हमारे एक भैया हैं(बड़े चाचा के लड़के).. यूं तो उनका पूरा नाम प्रभाष रंजन है मगर हम उन्हें बाऊ भैया के नाम से ही जानते हैं.. हम सभी भाई-बहनों में सबसे बड़े, और मुझसे छः साल बड़े हैं.. अभी भारतीय जल सेना, मुंबई में कर्यरत हैं..
मैंने जब से होश संभाला है तब से उन्हें घर में देखा था, वो हमलोगों के साथ ही रहते थे.. फिर एक दिन अचानक से दरभंगा(जहां मेरा गांव है) के लिये निकल गये.. स्वभाव के सीधे-साधे, महाआलसी(इतना कि अगर एक जगह पसर जायें तो बस! उन्हें उठाना असंभव).. आम तौर पर गुस्साते नहीं हैं मगर जब गुस्सा आया तो आगे-पीछे कुछ भी नहीं समझते हैं.. फौजी होते हुये भी स्वभाव में बहुत कोमलता है इनके..
अक्सर जब कभी भी हम गांव में होते थे तो इन्हें मैं अक्सर देखता था कि अपने भतिजों(गांव वाले रिश्तों से) को अक्सर धमकाते रहते थे कि मुझे बाऊ चच्चा नहीं, बाऊ पप्पा बोलो.. और जब वे बाऊ पप्पा बोलते तो बस भाभी को चिढ़ाना शुरू..
कल रात मुझे भैया फोन किये और बोले, "एक खुशखबरी है, बाऊ भैया की तरफ से.."
मेरे मुंह से सीधा निकला, "बेटा या बेटी?"
भैया बोले, "बेटी.." और आगे बोले "बेटा तो है ही, बेटी कि चाहत भी पूरी हो गयी.."
मैंने कहा, "आपसे बाद में बात करता हूं, पहले बाऊ भैया को फोन कर लूं.."
फिर बाऊ भैया को फोन लगाकर उनसे कहा, "तो फाईनली आप बाऊ पप्पा बन ही गये ना?" उनके मुंह से खुशी से कुछ निकल नहीं रहा था.. वह लगभग आह्लादित सी मुद्रा में थे..
मेरे घर में मेरी पीढ़ी के अगर सिर्फ भाईयों कि बात की जाये तो बाऊ भैया सबसे बड़े हैं, उसके बाद मुन्ना भैया आते हैं, उसके बाद मेरे भैया और फिर मेरा नंबर है..
मैंने जब से होश संभाला है तब से उन्हें घर में देखा था, वो हमलोगों के साथ ही रहते थे.. फिर एक दिन अचानक से दरभंगा(जहां मेरा गांव है) के लिये निकल गये.. स्वभाव के सीधे-साधे, महाआलसी(इतना कि अगर एक जगह पसर जायें तो बस! उन्हें उठाना असंभव).. आम तौर पर गुस्साते नहीं हैं मगर जब गुस्सा आया तो आगे-पीछे कुछ भी नहीं समझते हैं.. फौजी होते हुये भी स्वभाव में बहुत कोमलता है इनके..
अक्सर जब कभी भी हम गांव में होते थे तो इन्हें मैं अक्सर देखता था कि अपने भतिजों(गांव वाले रिश्तों से) को अक्सर धमकाते रहते थे कि मुझे बाऊ चच्चा नहीं, बाऊ पप्पा बोलो.. और जब वे बाऊ पप्पा बोलते तो बस भाभी को चिढ़ाना शुरू..
कल रात मुझे भैया फोन किये और बोले, "एक खुशखबरी है, बाऊ भैया की तरफ से.."
मेरे मुंह से सीधा निकला, "बेटा या बेटी?"
भैया बोले, "बेटी.." और आगे बोले "बेटा तो है ही, बेटी कि चाहत भी पूरी हो गयी.."
मैंने कहा, "आपसे बाद में बात करता हूं, पहले बाऊ भैया को फोन कर लूं.."
फिर बाऊ भैया को फोन लगाकर उनसे कहा, "तो फाईनली आप बाऊ पप्पा बन ही गये ना?" उनके मुंह से खुशी से कुछ निकल नहीं रहा था.. वह लगभग आह्लादित सी मुद्रा में थे..
मेरे घर में मेरी पीढ़ी के अगर सिर्फ भाईयों कि बात की जाये तो बाऊ भैया सबसे बड़े हैं, उसके बाद मुन्ना भैया आते हैं, उसके बाद मेरे भैया और फिर मेरा नंबर है..