इस साल मैंने कुल 296 लेख विभिन्न ब्लौग पर लिखे.. जिसमें से 227 पोस्ट मैंने मेरी छोटी सी दुनिया पर लिखी, 12 पोस्ट अपने तकनिकी चिट्ठे पर लिखी, 4 पोस्ट भड़ास के लिये लिखा, 1 पोस्ट मोहल्ला के लिये लिखा, 1 पोस्ट रेडियोनामा के लिये लिखा, 5 पोस्ट अपने चित्र कथा-A Pictorial Story नामक ब्लौग पर किये, 14 पोस्ट मैंने अपने नये कॉमिक्स चिट्ठे के लिये लिखा और 32 पोस्ट अपने निजी चिट्ठे के लिये लिखा.. और इन सब पर कुल मिला कर 40,000 से अधिक पाठक भी मिले..
इस साल कि शुरूवात मैंने एक तकनिकी चिट्ठे बनाने के साथ की थी.. पहले महीने बेहद जोश के साथ लिखता रहा, मगर बाद में कुछ अन्य कारणों से नहीं लिख पाया.. उम्मीद करता हूं कि इस साल उसे फिर से जीवंत कर सकूंगा..
इन सबके अलावा मैंने एक और चिट्ठा शुरू किया जिसका मैं लगभग दिवाना सा हूं.. जी हां, कामिक्स चिट्ठा.. अभी हाल-फिलहाल में इस पर लिखना भी काफी हद तक बंद है.. यह एक कम्यूनिटी चिट्ठा मैंने बनाया था.. जिस पर कोई भी अपने बचपन कि कामिक्स या कहानी की किताबों से जुड़ी यादें बांट सकता है.. यूं तो कई लोग इस चिट्ठे के सदस्य हैं मगर अभी तक मेरे अलावा बस आलोक जी ही इसके मुख्य लेखक में से हैं.. इनके लेख हमेशा जानकारी से भरे हुये होते हैं.. महीने में एक या दो पोस्ट ही करते हैं मगर काफी छानबीन करने के बाद इनका पोस्ट आता है..
कुछ चिट्ठाकार जिनसे इस साल संपर्क में आया -
इस साल कुछ चिट्ठाकार के व्यक्तिगत तौर पर संपर्क में भी आया.. इसमें सबसे प्रमुख नाम लवली, दिनेश जी, पंगेबाज जी, अजित वडनेकर जी, कुश, अभिषेक ओझा, पूजा उपाध्याय, अनिता जी, युनुस जी, विकास कुमार, शिव जी हैं.. चलिये एक एक करके इनके बारे में भी बताता हूं..
लवली - इससे कैसे बात होनी शुरू हुई मुझे याद नहीं, मगर यह मेरी नेट बहन है.. अब यह मत पुछियेगा कि नेट बहन क्या होता है.. असल में हुआ यह कि रक्षा बंधन से पहले इसने मुझसे मेरा पता मांगा, और चूंकी मैं उस समय घर(पटना) जा रहा था सो मैंने पटना का पता दे दिया.. मेरे घर पहूंचने से पहले इसकी राखी घर पहूंच गई थी.. मेरी मम्मी लवली को जानती नहीं थी, मैंने कभी चर्चा ही नहीं किया था, सो उन्होंने पूछा कि कौन है ये? मेरा उत्तर था कि नेट बहन है.. मम्मी बेचारी हैरान परेशान कि नेट फ्रेंड के बारे में तो सुना है, मगर नेट बहन क्या होता है? और तब मैंने लवली के बारे में मम्मी को बताया.. मैंने उन्हें बताया कि यही स्वभाव है हिंदी ब्लौगिंग का.. यहां बस नेट फ्रेंड ही नहीं नेट अंकल, नेट आंटी और नेट भाई-बहन भी बनते हैं.. :)
इससे कैसे बात होनी शुरू हुई मुझे याद नहीं, मगर यह मेरी नेट बहन है.. अब यह मत पुछियेगा कि नेट बहन क्या होता है.. असल में हुआ यह कि रक्षा बंधन से पहले इसने मुझसे मेरा पता मांगा, और चूंकी मैं उस समय घर(पटना) जा रहा था सो मैंने पटना का पता दे दिया.. मेरे घर पहूंचने से पहले इसकी राखी घर पहूंच गई थी.. मेरी मम्मी लवली को जानती नहीं थी, मैंने कभी चर्चा ही नहीं किया था, सो उन्होंने पूछा कि कौन है ये? मेरा उत्तर था कि नेट बहन है.. मम्मी बेचारी हैरान परेशान कि नेट फ्रेंड के बारे में तो सुना है, मगर नेट बहन क्या होता है? और तब मैंने लवली के बारे में मम्मी को बताया.. मैंने उन्हें बताया कि यही स्वभाव है हिंदी ब्लौगिंग का.. यहां बस नेट फ्रेंड ही नहीं नेट अंकल, नेट आंटी और नेट भाई-बहन भी बनते हैं.. :)
(एक बार लवली से उसकी अच्छी सी तस्वीर मांगी थी तो उसने यह तस्वीर दी.. यूं तो मेरे पास उसकी अच्छी वाली तस्वीर है मगर मैं यहां यही लगा रहा हूं..)
दिनेश जी - मुझे इनसे सबसे पहले हुई बात याद आती है जब मैंने इन्होंने वेताल कि कामिक्स के प्रति अपनी रूची प्रकट की थी और मैंने इन्हें वेताल कि एक कामिक्स मेल भी किया.. खैर तब कि बात है और आज कि बात है.. आज मुझे जब भी मार्गदर्शन की जरूरत होती है मैं इनसे जरूर संपर्क करता हूं और कभी निराश नहीं होना पड़ा है मुझे.. हमेशा एक अभिभावक कि तरह इन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है..
 मुझे इनसे सबसे पहले हुई बात याद आती है जब मैंने इन्होंने वेताल कि कामिक्स के प्रति अपनी रूची प्रकट की थी और मैंने इन्हें वेताल कि एक कामिक्स मेल भी किया.. खैर तब कि बात है और आज कि बात है.. आज मुझे जब भी मार्गदर्शन की जरूरत होती है मैं इनसे जरूर संपर्क करता हूं और कभी निराश नहीं होना पड़ा है मुझे.. हमेशा एक अभिभावक कि तरह इन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया है..
पंगेबाज अरूण जी - इनसे जीमेल के चैट द्वारा बात शुरू हुई और 14 अगस्त को इनसे मुलाकात भी हुई.. उससे पहले बाकलमखुद में इनके बारे में पढ़कर इनकी जिजिवशा का मैं कायल पहले ही हो चुका था.. जब इनसे मुलाकात हुई तब इनके दिलखुश मिजाज और सेंस ऑफ ह्यूमर का भी मैं कायल हो गया..
बात शुरू हुई और 14 अगस्त को इनसे मुलाकात भी हुई.. उससे पहले बाकलमखुद में इनके बारे में पढ़कर इनकी जिजिवशा का मैं कायल पहले ही हो चुका था.. जब इनसे मुलाकात हुई तब इनके दिलखुश मिजाज और सेंस ऑफ ह्यूमर का भी मैं कायल हो गया..
अजित वडनेकर जी - इनसे पहले कभी बात नहीं हुई थी और कभी कोई मेल भी नहीं हुआ था.. मगर संयोग ऐसे ही तो बनता है.. जिस दिन(14 अगस्त) मुझे दिल्ली में ब्लौगवाणी के कार्यालय में जाना था उसी दिन इन्हें भी हरिद्वार जाने के लिये दिल्ली आना था और ब्लौगवाणी के कार्यालय में मुलाकात हो गई.. मगर उसके बाद जब भी फुरसत में होता हूं और इन्हें ऑनलाईन देखता हूं तो इन्हें जरूर परेशान करता हूं.. कभी-कभी इन्हीं के अंदाज में इन्हें "जै जै" कह कर इनका अभिवादन भी करता हूं.. :)
इनसे पहले कभी बात नहीं हुई थी और कभी कोई मेल भी नहीं हुआ था.. मगर संयोग ऐसे ही तो बनता है.. जिस दिन(14 अगस्त) मुझे दिल्ली में ब्लौगवाणी के कार्यालय में जाना था उसी दिन इन्हें भी हरिद्वार जाने के लिये दिल्ली आना था और ब्लौगवाणी के कार्यालय में मुलाकात हो गई.. मगर उसके बाद जब भी फुरसत में होता हूं और इन्हें ऑनलाईन देखता हूं तो इन्हें जरूर परेशान करता हूं.. कभी-कभी इन्हीं के अंदाज में इन्हें "जै जै" कह कर इनका अभिवादन भी करता हूं.. :)
अनिता जी - ब्लौग दुनिया में सबसे पहले किसी से मेरी बात हुई थी तो वो अनिता जी ही थी.. इन्होंने मुझे कमेंट करके मुझसे मेरा ई-मेल पता मांगा था और कुछ मेरे बारे में जानना चाहती थी.. ये वो दौर था जब हिंदी में कुल मिलाकर 1000 के आस-पास चिट्ठे ही हुआ करते थे और मुझे अनिता जी जैसे बड़े लोगों के चिट्ठे पर कुछ भी लिखने में संकोच भी खूब होता था.. जब इनसे पहली बार बात हुई तो खूब मजे में बात हुई.. बहुत अच्छा लगा था उस दिन..
 ब्लौग दुनिया में सबसे पहले किसी से मेरी बात हुई थी तो वो अनिता जी ही थी.. इन्होंने मुझे कमेंट करके मुझसे मेरा ई-मेल पता मांगा था और कुछ मेरे बारे में जानना चाहती थी.. ये वो दौर था जब हिंदी में कुल मिलाकर 1000 के आस-पास चिट्ठे ही हुआ करते थे और मुझे अनिता जी जैसे बड़े लोगों के चिट्ठे पर कुछ भी लिखने में संकोच भी खूब होता था.. जब इनसे पहली बार बात हुई तो खूब मजे में बात हुई.. बहुत अच्छा लगा था उस दिन..
युनुस जी - इनका चिट्ठा रेडियोवाणी जब इन्होंने शुरू किया था तबसे ही पढ़ता रहा हूं, मगर पहला कमेंट किया लगभग एक साल के बाद.. फिर मेल का आदान-प्रदान चालू हुआ.. और बाद में बाते भी हुई.. जब पहली बार इनसे बात हुई थी तब इनसे बात करके इनके व्यक्तित्व का इतना अधिक प्रभाव पड़ा था कि मैंने 2-3 पोस्ट इनके नाम से ठेल दी थी.. युनुस जी के बारे में मैं बस इतना ही कहूंगा कि, इनके जैसे व्यतित्व से मैं अपने जीवन में कम ही मिला हूं..
इनका चिट्ठा रेडियोवाणी जब इन्होंने शुरू किया था तबसे ही पढ़ता रहा हूं, मगर पहला कमेंट किया लगभग एक साल के बाद.. फिर मेल का आदान-प्रदान चालू हुआ.. और बाद में बाते भी हुई.. जब पहली बार इनसे बात हुई थी तब इनसे बात करके इनके व्यक्तित्व का इतना अधिक प्रभाव पड़ा था कि मैंने 2-3 पोस्ट इनके नाम से ठेल दी थी.. युनुस जी के बारे में मैं बस इतना ही कहूंगा कि, इनके जैसे व्यतित्व से मैं अपने जीवन में कम ही मिला हूं..
अभिषेक ओझा - जबसे इसने अपना चिट्ठा शुरू किया है तभी से मैं इसका चिट्ठा पढ़ता आ रहा हूं.. मुझे अभी भी याद है जब मैंने इसके चिट्ठे पर कमेंट किया था और सलाह दी थी कि इतना लम्बा-लम्बा पोस्ट ना लिखे, छोटा पोस्ट लिखें और रोचक लिखें तो लोग बड़े चाव से पढ़ने आयेंगे.. इन्होंने सहृदय मेरी बात स्वीकार की थी.. धीरे-धिरे कब इनसे फोन पर भी बाते होने लगी कुछ याद नहीं.. चाहे जो भी कहें मगर इनसे बात करना मन को बहुत भाता है..
 जबसे इसने अपना चिट्ठा शुरू किया है तभी से मैं इसका चिट्ठा पढ़ता आ रहा हूं.. मुझे अभी भी याद है जब मैंने इसके चिट्ठे पर कमेंट किया था और सलाह दी थी कि इतना लम्बा-लम्बा पोस्ट ना लिखे, छोटा पोस्ट लिखें और रोचक लिखें तो लोग बड़े चाव से पढ़ने आयेंगे.. इन्होंने सहृदय मेरी बात स्वीकार की थी.. धीरे-धिरे कब इनसे फोन पर भी बाते होने लगी कुछ याद नहीं.. चाहे जो भी कहें मगर इनसे बात करना मन को बहुत भाता है..
विकास कुमार - इनका ब्लौग पढ़कर उसपर कमेंट बहुत दिनों तक किया है मगर बात कि शुरूवात कुछ यूं हुई जब इन्होंने मुझे जीटॉक पर चैट रीक्वेस्ट भेजा और पूछा था कि क्या मैं इनके स्कूल का मित्र तो नहीं.. मैं नहीं था.. फिर बातों का सिलसिला चलता ही रहा.. इनकी लेखनी मुझे हद दर्जे तक पसंद है.. जो भी लिखते हैं, बस छा जाते हैं..
इनका ब्लौग पढ़कर उसपर कमेंट बहुत दिनों तक किया है मगर बात कि शुरूवात कुछ यूं हुई जब इन्होंने मुझे जीटॉक पर चैट रीक्वेस्ट भेजा और पूछा था कि क्या मैं इनके स्कूल का मित्र तो नहीं.. मैं नहीं था.. फिर बातों का सिलसिला चलता ही रहा.. इनकी लेखनी मुझे हद दर्जे तक पसंद है.. जो भी लिखते हैं, बस छा जाते हैं..
कुश - इनसे बात शुरू कैसे हुई यह भी एक मजेदार घटना है.. एक दिन लवली का फोन आया और उसने मुझसे एक नामी चिट्ठाकार का नाम लेते हुये पूछा कि क्या आपने उसे मेरा नंबर दिया है? मुझे वह फोन करके परेशान कर रहा है.. मैंने मना कर दिया और उससे वो नंबर ले लिया जिससे उसे फोन आ रहे थे.. उस नंबर पर मैंने फोन किया तो पता चला कि कुश महाराज लवली को अपने नये नंबर से तंग कर रहे थे.. बेहद खुशमिजाज हैं यह.. कभी इनसे बात करके खुद ही देख लें..
 इनसे बात शुरू कैसे हुई यह भी एक मजेदार घटना है.. एक दिन लवली का फोन आया और उसने मुझसे एक नामी चिट्ठाकार का नाम लेते हुये पूछा कि क्या आपने उसे मेरा नंबर दिया है? मुझे वह फोन करके परेशान कर रहा है.. मैंने मना कर दिया और उससे वो नंबर ले लिया जिससे उसे फोन आ रहे थे.. उस नंबर पर मैंने फोन किया तो पता चला कि कुश महाराज लवली को अपने नये नंबर से तंग कर रहे थे.. बेहद खुशमिजाज हैं यह.. कभी इनसे बात करके खुद ही देख लें..
पूजा उपाध्याय - जब यह अपने लिये स्कूटी खरीदने का सोच रही थी उस समय कुछ जानकारी लेने के लिये इन्होंने मुझे मेल किया और फिर पत्रों का आदान-प्रदान चलता ही रहा.. फिर पत्र कब जीटॉक चैट में बदल गया कुछ पता ही नहीं चला.. जब भी हम फुरसत में ऑनलाईन होते हैं तो खूब बातें होती है.. कभी फोन पर बात करने की जरूरत नहीं हुई सो कभी फोन पर बातें भी नहीं हुई.. मगर इनसे बात बिलकुल वैसे ही होती है जैसे किसी अच्छे मित्र के साथ होती है.. थोड़ा हंसी-मजाक, थोड़ा चिढ़ाना..
 जब यह अपने लिये स्कूटी खरीदने का सोच रही थी उस समय कुछ जानकारी लेने के लिये इन्होंने मुझे मेल किया और फिर पत्रों का आदान-प्रदान चलता ही रहा.. फिर पत्र कब जीटॉक चैट में बदल गया कुछ पता ही नहीं चला.. जब भी हम फुरसत में ऑनलाईन होते हैं तो खूब बातें होती है.. कभी फोन पर बात करने की जरूरत नहीं हुई सो कभी फोन पर बातें भी नहीं हुई.. मगर इनसे बात बिलकुल वैसे ही होती है जैसे किसी अच्छे मित्र के साथ होती है.. थोड़ा हंसी-मजाक, थोड़ा चिढ़ाना..
शिव कुमार मिश्र जी - लास्ट बट नाट लीस्ट.. कई बार इनसे बातें करने की इच्छा होती थी मगर हर बार संकोच कर जाता था.. सोचता था इतने बड़े ब्लौगर हैं, कैसे बात करूंगा.. मगर जो होना होता है वही होता है.. एक दिन लवली से बातें करते हुये इन्हें पता चला कि लवली के पास मेरा नंबर है और इन्होंने बिना संकोच के उससे मेरा नंबर लेकर मुझे फोन लगा दिया.. कितनी खुशी हुई मुझे मैं वह बता नहीं सकता.. फिर हमारी बातें होती ही रही.. हर विषय पर.. इनसे बातें करते वक्त समय का पता ही नहीं चलता है..
 लास्ट बट नाट लीस्ट.. कई बार इनसे बातें करने की इच्छा होती थी मगर हर बार संकोच कर जाता था.. सोचता था इतने बड़े ब्लौगर हैं, कैसे बात करूंगा.. मगर जो होना होता है वही होता है.. एक दिन लवली से बातें करते हुये इन्हें पता चला कि लवली के पास मेरा नंबर है और इन्होंने बिना संकोच के उससे मेरा नंबर लेकर मुझे फोन लगा दिया.. कितनी खुशी हुई मुझे मैं वह बता नहीं सकता.. फिर हमारी बातें होती ही रही.. हर विषय पर.. इनसे बातें करते वक्त समय का पता ही नहीं चलता है..
अब जब सब के बारे में लिख ही दिया है तो कुछ और लोगों को कैसे छोड़ दूं?
जी.विश्वनाथ जी - इनसे जब मिला तब इन्हें देख कर मेरे मन में पहली बात यही आयी, "60 साल के बूढ़े या 60 साल के जवान.." जी हां, इनके भीतर की उर्जा को देखकर कोई भी यही कहेगा.. जितने प्यार और अपनापन से यह मुझसे मिले वो एक यादगार क्षण ही है मेरे लिये.. इनके बारे में मैं पहले भी 3 पोस्ट लिख चुका हूं, सो ज्यादा जानकारी के लिये यहां, यहां और यहां पढ़ सकते हैं..
कुछ और भी हैं जिनका आशीर्वाद हमेशा मुझ पर बना रहता है, भले ही उनसे लगातार बातें हो या ना हो.. उनमें प्रमुख हैं मैथीली जी, मसिजीवी जी, शास्त्री जी और आलोक पुराणिक जी.. ताऊ जी का नंबर भी मुझे मिला है और मैं सोच रहा हूं कि नये साल में एक और मुलाकात आगे बढ़ाई जाये.. मतलब कल मैं उन्हें फोन करता हूं.. आखिर अगले साल के लिये भी तो कुछ चाहिये ना? :)
डा.प्रवीण चोपड़ा जी का नाम छूट गया था, सो क्षमापार्थी हूं..
चलिये आज का यह चिट्ठा बहुत लम्बा हो चुका है और मेरे पिछले पोस्ट से लेकर इस पोस्ट के बीच में मेरे चिट्ठे का मीटर भी 40,000 को पार कर गया है और मेरे इस पोस्ट को मिला कर पूरे 297 पोस्ट हो गये हैं.. चलते चलते ब्लौगवाणी के ऑफिस में लिया गया यह चित्र भी देखें..

आप सभी को नववर्ष कि ढ़ेर सारी शुभकामनायें.. :)
इस साल कि शुरूवात मैंने एक तकनिकी चिट्ठे बनाने के साथ की थी.. पहले महीने बेहद जोश के साथ लिखता रहा, मगर बाद में कुछ अन्य कारणों से नहीं लिख पाया.. उम्मीद करता हूं कि इस साल उसे फिर से जीवंत कर सकूंगा..
इन सबके अलावा मैंने एक और चिट्ठा शुरू किया जिसका मैं लगभग दिवाना सा हूं.. जी हां, कामिक्स चिट्ठा.. अभी हाल-फिलहाल में इस पर लिखना भी काफी हद तक बंद है.. यह एक कम्यूनिटी चिट्ठा मैंने बनाया था.. जिस पर कोई भी अपने बचपन कि कामिक्स या कहानी की किताबों से जुड़ी यादें बांट सकता है.. यूं तो कई लोग इस चिट्ठे के सदस्य हैं मगर अभी तक मेरे अलावा बस आलोक जी ही इसके मुख्य लेखक में से हैं.. इनके लेख हमेशा जानकारी से भरे हुये होते हैं.. महीने में एक या दो पोस्ट ही करते हैं मगर काफी छानबीन करने के बाद इनका पोस्ट आता है..
कुछ चिट्ठाकार जिनसे इस साल संपर्क में आया -
इस साल कुछ चिट्ठाकार के व्यक्तिगत तौर पर संपर्क में भी आया.. इसमें सबसे प्रमुख नाम लवली, दिनेश जी, पंगेबाज जी, अजित वडनेकर जी, कुश, अभिषेक ओझा, पूजा उपाध्याय, अनिता जी, युनुस जी, विकास कुमार, शिव जी हैं.. चलिये एक एक करके इनके बारे में भी बताता हूं..
लवली -
 इससे कैसे बात होनी शुरू हुई मुझे याद नहीं, मगर यह मेरी नेट बहन है.. अब यह मत पुछियेगा कि नेट बहन क्या होता है.. असल में हुआ यह कि रक्षा बंधन से पहले इसने मुझसे मेरा पता मांगा, और चूंकी मैं उस समय घर(पटना) जा रहा था सो मैंने पटना का पता दे दिया.. मेरे घर पहूंचने से पहले इसकी राखी घर पहूंच गई थी.. मेरी मम्मी लवली को जानती नहीं थी, मैंने कभी चर्चा ही नहीं किया था, सो उन्होंने पूछा कि कौन है ये? मेरा उत्तर था कि नेट बहन है.. मम्मी बेचारी हैरान परेशान कि नेट फ्रेंड के बारे में तो सुना है, मगर नेट बहन क्या होता है? और तब मैंने लवली के बारे में मम्मी को बताया.. मैंने उन्हें बताया कि यही स्वभाव है हिंदी ब्लौगिंग का.. यहां बस नेट फ्रेंड ही नहीं नेट अंकल, नेट आंटी और नेट भाई-बहन भी बनते हैं.. :)
इससे कैसे बात होनी शुरू हुई मुझे याद नहीं, मगर यह मेरी नेट बहन है.. अब यह मत पुछियेगा कि नेट बहन क्या होता है.. असल में हुआ यह कि रक्षा बंधन से पहले इसने मुझसे मेरा पता मांगा, और चूंकी मैं उस समय घर(पटना) जा रहा था सो मैंने पटना का पता दे दिया.. मेरे घर पहूंचने से पहले इसकी राखी घर पहूंच गई थी.. मेरी मम्मी लवली को जानती नहीं थी, मैंने कभी चर्चा ही नहीं किया था, सो उन्होंने पूछा कि कौन है ये? मेरा उत्तर था कि नेट बहन है.. मम्मी बेचारी हैरान परेशान कि नेट फ्रेंड के बारे में तो सुना है, मगर नेट बहन क्या होता है? और तब मैंने लवली के बारे में मम्मी को बताया.. मैंने उन्हें बताया कि यही स्वभाव है हिंदी ब्लौगिंग का.. यहां बस नेट फ्रेंड ही नहीं नेट अंकल, नेट आंटी और नेट भाई-बहन भी बनते हैं.. :)(एक बार लवली से उसकी अच्छी सी तस्वीर मांगी थी तो उसने यह तस्वीर दी.. यूं तो मेरे पास उसकी अच्छी वाली तस्वीर है मगर मैं यहां यही लगा रहा हूं..)
दिनेश जी -
पंगेबाज अरूण जी - इनसे जीमेल के चैट द्वारा
 बात शुरू हुई और 14 अगस्त को इनसे मुलाकात भी हुई.. उससे पहले बाकलमखुद में इनके बारे में पढ़कर इनकी जिजिवशा का मैं कायल पहले ही हो चुका था.. जब इनसे मुलाकात हुई तब इनके दिलखुश मिजाज और सेंस ऑफ ह्यूमर का भी मैं कायल हो गया..
बात शुरू हुई और 14 अगस्त को इनसे मुलाकात भी हुई.. उससे पहले बाकलमखुद में इनके बारे में पढ़कर इनकी जिजिवशा का मैं कायल पहले ही हो चुका था.. जब इनसे मुलाकात हुई तब इनके दिलखुश मिजाज और सेंस ऑफ ह्यूमर का भी मैं कायल हो गया..अजित वडनेकर जी -
 इनसे पहले कभी बात नहीं हुई थी और कभी कोई मेल भी नहीं हुआ था.. मगर संयोग ऐसे ही तो बनता है.. जिस दिन(14 अगस्त) मुझे दिल्ली में ब्लौगवाणी के कार्यालय में जाना था उसी दिन इन्हें भी हरिद्वार जाने के लिये दिल्ली आना था और ब्लौगवाणी के कार्यालय में मुलाकात हो गई.. मगर उसके बाद जब भी फुरसत में होता हूं और इन्हें ऑनलाईन देखता हूं तो इन्हें जरूर परेशान करता हूं.. कभी-कभी इन्हीं के अंदाज में इन्हें "जै जै" कह कर इनका अभिवादन भी करता हूं.. :)
इनसे पहले कभी बात नहीं हुई थी और कभी कोई मेल भी नहीं हुआ था.. मगर संयोग ऐसे ही तो बनता है.. जिस दिन(14 अगस्त) मुझे दिल्ली में ब्लौगवाणी के कार्यालय में जाना था उसी दिन इन्हें भी हरिद्वार जाने के लिये दिल्ली आना था और ब्लौगवाणी के कार्यालय में मुलाकात हो गई.. मगर उसके बाद जब भी फुरसत में होता हूं और इन्हें ऑनलाईन देखता हूं तो इन्हें जरूर परेशान करता हूं.. कभी-कभी इन्हीं के अंदाज में इन्हें "जै जै" कह कर इनका अभिवादन भी करता हूं.. :)अनिता जी -
 ब्लौग दुनिया में सबसे पहले किसी से मेरी बात हुई थी तो वो अनिता जी ही थी.. इन्होंने मुझे कमेंट करके मुझसे मेरा ई-मेल पता मांगा था और कुछ मेरे बारे में जानना चाहती थी.. ये वो दौर था जब हिंदी में कुल मिलाकर 1000 के आस-पास चिट्ठे ही हुआ करते थे और मुझे अनिता जी जैसे बड़े लोगों के चिट्ठे पर कुछ भी लिखने में संकोच भी खूब होता था.. जब इनसे पहली बार बात हुई तो खूब मजे में बात हुई.. बहुत अच्छा लगा था उस दिन..
 ब्लौग दुनिया में सबसे पहले किसी से मेरी बात हुई थी तो वो अनिता जी ही थी.. इन्होंने मुझे कमेंट करके मुझसे मेरा ई-मेल पता मांगा था और कुछ मेरे बारे में जानना चाहती थी.. ये वो दौर था जब हिंदी में कुल मिलाकर 1000 के आस-पास चिट्ठे ही हुआ करते थे और मुझे अनिता जी जैसे बड़े लोगों के चिट्ठे पर कुछ भी लिखने में संकोच भी खूब होता था.. जब इनसे पहली बार बात हुई तो खूब मजे में बात हुई.. बहुत अच्छा लगा था उस दिन..युनुस जी -
अभिषेक ओझा -
 जबसे इसने अपना चिट्ठा शुरू किया है तभी से मैं इसका चिट्ठा पढ़ता आ रहा हूं.. मुझे अभी भी याद है जब मैंने इसके चिट्ठे पर कमेंट किया था और सलाह दी थी कि इतना लम्बा-लम्बा पोस्ट ना लिखे, छोटा पोस्ट लिखें और रोचक लिखें तो लोग बड़े चाव से पढ़ने आयेंगे.. इन्होंने सहृदय मेरी बात स्वीकार की थी.. धीरे-धिरे कब इनसे फोन पर भी बाते होने लगी कुछ याद नहीं.. चाहे जो भी कहें मगर इनसे बात करना मन को बहुत भाता है..
 जबसे इसने अपना चिट्ठा शुरू किया है तभी से मैं इसका चिट्ठा पढ़ता आ रहा हूं.. मुझे अभी भी याद है जब मैंने इसके चिट्ठे पर कमेंट किया था और सलाह दी थी कि इतना लम्बा-लम्बा पोस्ट ना लिखे, छोटा पोस्ट लिखें और रोचक लिखें तो लोग बड़े चाव से पढ़ने आयेंगे.. इन्होंने सहृदय मेरी बात स्वीकार की थी.. धीरे-धिरे कब इनसे फोन पर भी बाते होने लगी कुछ याद नहीं.. चाहे जो भी कहें मगर इनसे बात करना मन को बहुत भाता है..विकास कुमार -
कुश -
 इनसे बात शुरू कैसे हुई यह भी एक मजेदार घटना है.. एक दिन लवली का फोन आया और उसने मुझसे एक नामी चिट्ठाकार का नाम लेते हुये पूछा कि क्या आपने उसे मेरा नंबर दिया है? मुझे वह फोन करके परेशान कर रहा है.. मैंने मना कर दिया और उससे वो नंबर ले लिया जिससे उसे फोन आ रहे थे.. उस नंबर पर मैंने फोन किया तो पता चला कि कुश महाराज लवली को अपने नये नंबर से तंग कर रहे थे.. बेहद खुशमिजाज हैं यह.. कभी इनसे बात करके खुद ही देख लें..
 इनसे बात शुरू कैसे हुई यह भी एक मजेदार घटना है.. एक दिन लवली का फोन आया और उसने मुझसे एक नामी चिट्ठाकार का नाम लेते हुये पूछा कि क्या आपने उसे मेरा नंबर दिया है? मुझे वह फोन करके परेशान कर रहा है.. मैंने मना कर दिया और उससे वो नंबर ले लिया जिससे उसे फोन आ रहे थे.. उस नंबर पर मैंने फोन किया तो पता चला कि कुश महाराज लवली को अपने नये नंबर से तंग कर रहे थे.. बेहद खुशमिजाज हैं यह.. कभी इनसे बात करके खुद ही देख लें..पूजा उपाध्याय -
शिव कुमार मिश्र जी -
 लास्ट बट नाट लीस्ट.. कई बार इनसे बातें करने की इच्छा होती थी मगर हर बार संकोच कर जाता था.. सोचता था इतने बड़े ब्लौगर हैं, कैसे बात करूंगा.. मगर जो होना होता है वही होता है.. एक दिन लवली से बातें करते हुये इन्हें पता चला कि लवली के पास मेरा नंबर है और इन्होंने बिना संकोच के उससे मेरा नंबर लेकर मुझे फोन लगा दिया.. कितनी खुशी हुई मुझे मैं वह बता नहीं सकता.. फिर हमारी बातें होती ही रही.. हर विषय पर.. इनसे बातें करते वक्त समय का पता ही नहीं चलता है..
 लास्ट बट नाट लीस्ट.. कई बार इनसे बातें करने की इच्छा होती थी मगर हर बार संकोच कर जाता था.. सोचता था इतने बड़े ब्लौगर हैं, कैसे बात करूंगा.. मगर जो होना होता है वही होता है.. एक दिन लवली से बातें करते हुये इन्हें पता चला कि लवली के पास मेरा नंबर है और इन्होंने बिना संकोच के उससे मेरा नंबर लेकर मुझे फोन लगा दिया.. कितनी खुशी हुई मुझे मैं वह बता नहीं सकता.. फिर हमारी बातें होती ही रही.. हर विषय पर.. इनसे बातें करते वक्त समय का पता ही नहीं चलता है..अब जब सब के बारे में लिख ही दिया है तो कुछ और लोगों को कैसे छोड़ दूं?
जी.विश्वनाथ जी - इनसे जब मिला तब इन्हें देख कर मेरे मन में पहली बात यही आयी, "60 साल के बूढ़े या 60 साल के जवान.." जी हां, इनके भीतर की उर्जा को देखकर कोई भी यही कहेगा.. जितने प्यार और अपनापन से यह मुझसे मिले वो एक यादगार क्षण ही है मेरे लिये.. इनके बारे में मैं पहले भी 3 पोस्ट लिख चुका हूं, सो ज्यादा जानकारी के लिये यहां, यहां और यहां पढ़ सकते हैं..
कुछ और भी हैं जिनका आशीर्वाद हमेशा मुझ पर बना रहता है, भले ही उनसे लगातार बातें हो या ना हो.. उनमें प्रमुख हैं मैथीली जी, मसिजीवी जी, शास्त्री जी और आलोक पुराणिक जी.. ताऊ जी का नंबर भी मुझे मिला है और मैं सोच रहा हूं कि नये साल में एक और मुलाकात आगे बढ़ाई जाये.. मतलब कल मैं उन्हें फोन करता हूं.. आखिर अगले साल के लिये भी तो कुछ चाहिये ना? :)
डा.प्रवीण चोपड़ा जी का नाम छूट गया था, सो क्षमापार्थी हूं..
चलिये आज का यह चिट्ठा बहुत लम्बा हो चुका है और मेरे पिछले पोस्ट से लेकर इस पोस्ट के बीच में मेरे चिट्ठे का मीटर भी 40,000 को पार कर गया है और मेरे इस पोस्ट को मिला कर पूरे 297 पोस्ट हो गये हैं.. चलते चलते ब्लौगवाणी के ऑफिस में लिया गया यह चित्र भी देखें..

आप सभी को नववर्ष कि ढ़ेर सारी शुभकामनायें.. :)
 




