
ये कविता मैंने बहुत पहले लिखी थी और मुझे ये किसी बेकार तुकबंदी से ज्यादा कुछ नहीं लगी थी इसलिये अपने ब्लौग पर इसे नहीं डाला था। वैसे ये मुझे आज भी बहुत ज्यादा पसंद नहीं है फिर भी मैंने सोचा की अगर मैं अपनी अच्छी चीजें यहां...
पापा जी को पैर दबवाने की आदत रही है. जब हम छोटे थे तब तीनों भाई-बहन उनके पैरों पर उछालते-कूदते रहते थे. थोड़े बड़े हुए तो पापा दफ्तर से आये, ख...