Friday, December 01, 2006

मेरी लिखी कविता

टूटे सपने
सुबह उठा,
तो हर चीज को उदास पाया,
शायद कुछ खोया था,
या कुछ टूटा था,
हाँ कुछ सपने टूटे थे शायद,
आखें लाल थी,
कुछ भींगी सी भी,
लगा कुछ चुभ रहा हो,
शायद उन्ही सपनों के टुकड़े थे,
दिन तो युँ ही गुजर गया,
रात जब बिस्तर पर पहुँचा तो देखा,
वे टुकड़े अभी भी वहीं पड़े मेरे आने का इन्तजार कर रहे थे,
शायद अब भी कुछ कसर बाकी थी,
लेकिन अभी हर चीज को हंसता पाया,
कोई उदासी नहीं कुछ भी नहीं,
मानो मेरी हँसी उरा रहें हों
और फिर से मेरे नये सपने का इन्तजार कर रहें हों।।।

Thursday, November 30, 2006

First Blog On Internet




My Life's Moto:

Being happy does'nt means everything's perfect,
It means u have decided to live beyond the imperfections..


----"Albert Cannous"




About Myself:

मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.

मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है!

मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......कभी कभी बहुत चालाक और कभी बहुत भोला भी...कभी बहुत क्रूर और कभी बहुत भावुक भी....

मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...बहुत टूटे भी हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर मैं भी एक आम आदमी की तरह् अपनी ज़िन्दगी से सन्तुष्ट नही हूं...

मुझे लगता है कि मैं नास्तिक भी हूं थोड़ा सा...थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ...और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं थोड़ा सा...

मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी... लेकिन बोल कर नहीं...

बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं बहुत अकेला हूं...मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी...

लोग कहते हैं लड़कों को नहीं रोना चाहिये...पर मैं रोता भी हूं...और मुझे इस पर गर्व है क्योंकि मैं कुछ ज्यादा महसूस करता हूं...

मुझे जिंदगी में किसी भी चीज क अफ़सोस नहीं है सिवाय इसके की मैंने कई बार अपने पापा मम्मी को तकलीफ़ पहुँचाया है... पर मेरी मानो मैं ऐसा कभी नही चाहता था... कई बार कुछ लोगो ने मुझे भी बहुत तकलीफ़ पहुँचाया है... और मैं ऐसा सोचता हुँ कि वो भी मेरे साथ ऐसा अनजाने में ही किये होंगे...

तो यही है मेरी छोटी सी कहानी... बाकी बाद में।।।।