टूटे सपनेसुबह उठा,तो हर चीज को उदास पाया,शायद कुछ खोया था,या कुछ टूटा था,हाँ कुछ सपने टूटे थे शायद,आखें लाल थी,कुछ भींगी सी भी,लगा कुछ चुभ रहा हो,शायद उन्ही सपनों के टुकड़े थे,दिन तो युँ ही गुजर गया,रात जब बिस्तर पर पहुँचा तो देखा,वे टुकड़े अभी भी वहीं पड़े मेरे आने का इन्तजार कर रहे थे,शायद अब भी कुछ...