tag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post3060476971631211246..comments2023-11-05T14:18:40.316+05:30Comments on मेरी छोटी सी दुनिया: यह लठंतपना शायद कुछ शहरों की ही बपौती है - भाग २PDhttp://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-72134124557640197352011-11-06T07:58:33.977+05:302011-11-06T07:58:33.977+05:30रोचक किस्सा।
मुझे ऐसा लगता है कि समय के साथ हम लो...रोचक किस्सा।<br /><br />मुझे ऐसा लगता है कि समय के साथ हम लोग इतने टाइप्ड होते चले जाते हैं कि जिस तरह से हम कुछ कर रहे होते हैं उससे अलग अगर कोई करता है तो उसको उसका पिछड़ापन मानकर मस्त हो जाते हैं। यह भी एक किस्म का खास कूपमंडूकपन है -शायद अभिजात्य समाज का कूप मंडूक पन! :)<br /><br />जो लोग नियमित जहाज में चढ़ते होंगे उनके लिये उसके नियम-कानून कायदे सहज बात होंगे लेकिन जो पहली दूसरी बात बार जहाजों से यात्रा कर रहे होंगे वे तो अपने हिसाब से ही यात्रा चलेंगे न! <br /><br />जब तुम एयरहोस्टेस से हिंदी में बात करते होगे तो साथ के कुछ लोग, जो हवाई जहाज में सिर्फ़ अंग्रेजी बोलने में यकीन करते होंगे, कनखियों से देखते भी होंगे!<br /><br />पटना में ढुक गये जब हमें पढ़ने में इतना प्यारा लग रहा है तो तुम्हारे क्या हाल हुये होंगे -समझ सकते हैं।<br /><br />इस पढ़कर फ़िर अपनी पोस्ट याद आई- <a href="http://hindini.com/fursatiya/archives/1513" rel="nofollow">यात्राओं में बेवकूफ़ियां चंद्रमा की कलाओं की तरह खिलती है </a> जब इसको फ़िर से पढ़ा तो इसका एक वाक्य और भी सार्थक लगा -<b>बहस शुरू करने का आलस्य हमेशा सुकूनदेह होता है।</b><br /><br />बस्स इसी वाक्य की सलाह मानते हुये बहस का मूड कैसल कर दिया। :)<br /><br />मजे आये इस पोस्ट को पढ़कर और टिप्पणियों को भी! :)अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-19080409158610733712011-11-06T06:36:04.209+05:302011-11-06T06:36:04.209+05:30सोच रहा हूँ कि पीछे वाले अंकल अगर ब्लॉग लिख रहे हो...सोच रहा हूँ कि पीछे वाले अंकल अगर ब्लॉग लिख रहे होते तो क्या लिखते?रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-59476168868280346262011-11-05T21:19:36.073+05:302011-11-05T21:19:36.073+05:30@रश्मि जी - जैसा आप सोच रही हैं ठीक वैसा ही मैं भी...@रश्मि जी - जैसा आप सोच रही हैं ठीक वैसा ही मैं भी सोच रहा था उस समय.. पूरे रास्ते भर उनका बक-बक, उनका चेहरा देखने के बाद वह खला नहीं.. :)<br /><br />@रचना जी - Thanks.<br /><br />@प्रवीण जी & दीपक जी - :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-41204182432466012352011-11-05T19:07:35.054+05:302011-11-05T19:07:35.054+05:30एक तो उत्तर भारतियों के कारण आनंद मिलता है उस पर भ...एक तो उत्तर भारतियों के कारण आनंद मिलता है उस पर भी आप उप बिहार का तुर्रा छोड़ रहे हैं....<br /><br /><br />ये अच्छी बात नहीं.:)दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-76445384183729606102011-11-05T18:12:28.926+05:302011-11-05T18:12:28.926+05:30यात्रा के साथ मनोरंजन का सुख तो केवल यहीं पर ही मि...यात्रा के साथ मनोरंजन का सुख तो केवल यहीं पर ही मिल सकता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-71009928034962463382011-11-05T17:08:01.888+05:302011-11-05T17:08:01.888+05:30PD
I read the last one also and this as well and ...PD <br />I read the last one also and this as well and will continue reading , <br />naration is intresting <br /><br />keep it upरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-65376497580291534522011-11-05T16:04:46.382+05:302011-11-05T16:04:46.382+05:30भाई पीडी, मैं अपनी टिपण्णी में लिखी बात के लिए आपस...भाई पीडी, मैं अपनी टिपण्णी में लिखी बात के लिए आपसे क्षमा मांगता हूँ. सादर.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-63182246642238893152011-11-05T15:52:21.551+05:302011-11-05T15:52:21.551+05:30ओह!! ये कतार वाली बात मैने भी कहीं लिख दी थी और फि...ओह!! ये कतार वाली बात मैने भी कहीं लिख दी थी और फिर लोगो ने लम्बी-चौड़ी बहस की वहाँ ...:)<br /><br />अंतिम पंक्ति में उन साहब के उम्र के जिक्र ने मुस्कान ला दी...ऐसी सौ हरकतें सर आँखों पर...उन्हें मौका तो मिला हवाई सफ़र का...और जाने क्यूँ ये यकीन करने का मन हो रहा है कि .उनके बेटे ने उन्हें इस हवाई यात्रा का मौका दिया होगा...:)rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-6264605468118381272011-11-05T15:00:27.451+05:302011-11-05T15:00:27.451+05:30मैंने कहीं भी ये नहीं लिखा है की उत्तर भारतीयों ने...मैंने कहीं भी ये नहीं लिखा है की उत्तर भारतीयों ने ही ऐसा किया हो.. उन उड़ानों में चढ़ने वाले हर जगह के लोग थे, यहाँ तक की विदेशी भी.. मगर वही लोग किसी और जगह की उड़ानों में चढ़ते वक्त हर कायदे मानने को तैयार रहते हैं मगर... जो मेरा अनुभव था वह लिखा, और ऐसा अनुभव कोई पहली दफ़े मिला हो ऐसा तो कतई नहीं है..<br /><br />@निशांत मिश्र जी - मुझे आपके लिखे इस वाक्य पर सख्त आपत्ति है जिसमें आपने लिखा है <i> पर यूपी-बिहार के कारण अराजकता दूर-दूर तक फ़ैल चुकी है</i>PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-31115351183364905402011-11-05T13:51:49.154+05:302011-11-05T13:51:49.154+05:30सही है कि हमें उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम की तर्ज़ प...सही है कि हमें उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम की तर्ज़ पर नहीं सोचना चाहिए पर यूपी-बिहार के कारण अराजकता दूर-दूर तक फ़ैल चुकी है.<br />दिल्ली को ही देखिये, अब तो यह लगता है के सबसे बदतमीज और बददिमाग लोग यहीं रहते हैं. अपने एमपी को भी इन प्रदेशों का घुन लग गया है.निशांत मिश्र - Nishant Mishrahttps://www.blogger.com/profile/08126146331802512127noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1364552172608471144.post-41611470347785674442011-11-05T12:26:49.173+05:302011-11-05T12:26:49.173+05:30हवाई यात्रा सस्ती होने का ये फायदा हुआ के अब आम इं...हवाई यात्रा सस्ती होने का ये फायदा हुआ के अब आम इंसान भी इसमें सफ़र करने लगे हैं, याने अब ये अभिजात्य वर्ग की बपौती नहीं रही...आम इंसान यात्रा करेगा तो आम जनों जैसा ही बर्ताव करेगा...इसमें अचरज क्या? मेरे साथ ऐसे अनुभव हर शहर की यात्रा के दौरान देखने में आये हैं इसमें उत्तर भारत को अलग नहीं किया जा सकता. हम सब भारत वासियों की मानसिकता एक सी ही है, बल्कि दुनिया के हर इंसान की मानसिकता एक सी है सिर्फ उन्नीस बीस का फर्क हो सकता है बस...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.com